HC से जेएनयू के प्रदर्शनकारी छात्रों को मिली राहत, कहा - पुरानी फीस पर ही रजिस्ट्रेशन के आदेश

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के स्टूडेंट को शुक्रवार को बड़ी राहत मिली है। फीस में बढ़ोतरी को लेकर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि छात्रों को फिलहाल पुरानी फीस के आधार पर ही रजिस्ट्रेशन करने की इजाजत दी जाए। अदालत ने कहा कि इन छात्रों से किसी भी तरह की लेट फीस भी नहीं ली जाएगी। जेएनयू प्रशासन ने जब कई छात्रों के फीस जमा करने की बात कही तो छात्रों की पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि बच्चों ने दबाव में आकर डर के कारण फीस जमा की है। कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रशासन को बढ़ी फीस वापस तो लेनी ही चाहिए जिन छात्रों से पैसे लिए हैं, उन्हें भी लौटाना चाहिए। अदालत में जेएनयू छात्र संगठन के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि फीस में बढ़ोतरी गैर कानूनी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जेएनयू की हाई लेवल कमेटी को होस्टल मैनुअल में बदलाव का अधिकार नहीं था। वकील कपिल सिब्बल ने ड्राफ्ट हॉस्टल मैनुअल पर कोर्ट से स्थगन की मांग भी की। इससे पहले असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने यह माना कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी के माध्यम से भारत सरकार इस मामले में पक्षकार है।

यह है पूरा मामला?

जेएनयू प्रशासन ने हॉस्टल फीस में भारी इजाफा किया था। जिसके बाद छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। जेएनयू प्रशासन ने सिंगल रूम रेंट को 20 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये और डबल रूम रेंट को 10 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये किया गया था। जिसके बाद आंदोलन होने पर प्रशासन ने सिंगल रूम रेंट को 600 से घटाकर 300 और सिंगल रूम रेंट को 300 से घटाकर 150 रुपये कर दिया।

जिसके बाद छात्र संघ ने फीस में वृद्धि के खिलाफ कोर्ट का रूख किया और विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिस पर सुनवाई के दौरन आज छात्र संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा।

बता दे, अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।