किसानों को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की मिली इजाजत, 22 जुलाई से लेकर 9 अगस्त तक रोज 200 किसान लगाएंगे किसान संसद

26 जनवरी को हुए उग्र प्रदर्शन के बावजूद किसानों को दिल्ली में एंट्री की मंजूरी मिल गई है. दिल्ली सरकार ने यह परमिशन 22 जुलाई से लेकर 9 अगस्त तक की दी है। तीनों केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर (सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर और गाजीपुर) पर धरना प्रदर्शन करने वाले किसान अब सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे. बताया जा रहा है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल के निर्देश पर दिल्ली पुलिस और किसान प्रदर्शनकारियों के बीच सहमति बनी। दिल्ली पुलिस की ओर से अनुमति के तौर पर 200 प्रदर्शनकारी रोजाना जंतर-मंतर पर सुबह 11 से शाम 5 बजे तक प्रदर्शन कर सकेंगे।

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के लीडर राकेश टिकैत सिंघु बॉर्डर पहुंच चुके हैं। यहां से 200 किसानों को बस से जंतर-मंतर ले जाया जाएगा, जहां वो किसान संसद लगाएंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि हम मानसून सत्र की कार्यवाही पर भी नजर रखेंगे।

जंतर-मंतर और बॉर्डर पर सिक्युरिटी बढ़ा दी गई

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डर पर जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे किसान सिंघु बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। दिल्ली में जंतर-मंतर और बॉर्डर पर सिक्युरिटी बढ़ा दी गई है। पुलिस ने किसानों को इस शर्त पर प्रदर्शन की इजाजत दी है कि वो संसद तक कोई मार्च नहीं निकालेंगे।

किसानों के आधार कार्डों की जांच की जाएगी

बताया जा रहा है कि जंतर मंतर जाने वाले 200 किसानों की बसों को सिंघु बॉर्डर पर रोका जाएगा। यहां बसों में बैठे प्रदर्शनकारियों व उनके आधार कार्डों की जांच की जाएगी। पुलिस यह भी देखेगी कि 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारी बसों में तो नहीं बैठे हैं। इसको लेकर भारी संख्या में पुलिस व सुरक्षा बलों के जवान तैनात किए गए हैं।

दिल्ली पुलिस चौकन्नी

किसानों को कृषि सुधार कानूनों के विरोध में जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति देने के बाद दिल्ली पुलिस चौकन्नी हो गई है। बुधवार देर शाम को पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी कर कहा गया है कि जो पुलिस कर्मी आफ ड्यूटी पर हैं उन्हें भी जंतर मंतर पर बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे वर्दी में तैनात होना होगा। इसके अलावा जो पुलिस कर्मी दिल्ली में अपने घर में हैं और एक घंटे में जंतर मंतर पहुंच सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि सभी पुलिस कर्मी सभी यूनिट के दंगा रोधी गतिविधियों को रोकने तैयार रहेंगे । इसके लिए आंसू गैस के गोले, लाठी आदि वो अपने साथ लेकर ड्यूटी पर तैनात होंगे ।

26 जनवरी को रैली में हुई थी हिंसा

इसी साल 26 जनवरी को लाल किले तक किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद उन्हें पहली बार दिल्ली में प्रदर्शन की इजाजत मिली है। 26 जनवरी की रैली के दौरान प्रदर्शनकारी उग्र हो गए थे और कई उपद्रवियों ने लाल किले में घुसकर पुलिसकर्मियों से मारपीट की थी और किले की प्राचीर पर धार्मिक झंडा भी फहरा दिया था।

केंद्र और किसान दोनों अड़े

देश के किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल दिसंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान किसान संगठनों की केंद्र सरकार से 12 दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका है। किसान तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि वह किसानों की मांगों के मुताबिक कानूनों में बदलाव कर सकती है, लेकिन कानून वापस नहीं लिए जाएंगे।