मन की बात में पीएम मोदी - एक टीम की तरह काम कर रहा देश, आदतें बदलें, मॉस्क लगाएं, कहीं भी थूकें नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कोरोना वायरस से जंग के लिए देशवासियों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा आज पूरा देश एकसाथ चल रहा है। ताली, थाली, दीया और मोमबत्ती ने देश को प्रेरित किया है। ऐसा लग रहा है कि महायज्ञ चल रहा है। हमारे किसान खेत में मेहनत कर रहे हैं ताकि कोई भूखा नहीं रहे। कोई मास्क बना रहा है, तो कोई क्वारैंटाइन में रहते हुए स्कूल की पुताई कर रहा है। कोई घर का किराया माफ कर रहा है। मन की बात में पीएम मोदी ने लोगों के उस जज्बे की तारीफ की, जिसके तहत लोग मदद के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि गरीबों की मदद हो, उनके खाने की व्यवस्था हो, अस्पताल की व्यवस्था हो, मेडिकल उपकरणों का देश में ही निर्माण हो हर चीज के लिए लोग बढ़-चढ़कर आगे आए और दूसरों की मदद की। उन्होंन मन की बात में लोगों को एक मंत्र भी दिया- 'दो गज दूरी, बहुत है जरूरी।'

उन्होंने कहा, 'बहुत ही आदर के साथ 130 करोड़ देशवासियों की इस भावना को नमन करता हूं। सरकार ने https://covidwarriors.gov.in/ प्लेटफॉर्म भी तैयार किया है। इसमें सरकार ने सभी को एक-दूसरे से जोड़ दिया है। इससे सवा करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, आशा कार्यकर्ता, नर्स सभी जुड़े हैं। ये लोग आगे की योजना बनाने में मदद भी कर रहे हैं। हर लड़ाई कुछ न कुछ सिखाकर जाती है। कुछ मार्ग बनाती है, मंजिलों की दिशा भी देती है।'

एक टीम की तरह काम कर रहा देश

जब देश एक टीम बनकर काम करती है, तब हम देखते हैं कि कितना बेहतर हो सकता है। सरकार ने एक लाइफलाइन उड़ान सेवा शुरू की है, जिसके तहत 3 लाख किलोमीटर की हवाई यात्रा हो चुकी है। 500 टन से भी अधिक मेडिकल सामग्री एक से दूसरे हिस्से में पहुंचाई गई हैं। 60 से अधिक मार्गों पर 100 से भी अधिक पार्सल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। डाक सेवा भी मजबूती से काम कर रही है। गरीबों के अकाउंट में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। गरीबों को सिलेंडर और राशन दिया जा रहा है।

पुलिस को लेकर सोच में भी बदलाव आया

स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारों की कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका है। हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है, स्वास्थ्यकर्मियों ने इसकी प्रशंसा की है। ऐसे स्वास्थ्यकर्मी जो कोरोना से लड़ाई में लगे हुए हैं, उन पर हमला करने वालों को सजा का प्रावधान किया गया है। पहले की बजाय पुलिस को लेकर सोच में भी बदलाव आया है। आज पुलिस जरूरतमंदों को खाना पहुंचा रही हैं। इससे पुलिस का मानवीय पक्ष सामने आया है। इसके चलते लोग पुलिस से जुड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में बहुत ही सकारात्मक बदलाव आ सकता है। हमें कभी भी इसे नकारात्मक रंग से रंगना नहीं है।'

मदद करना हमारी संस्कृति

जो मेरा नहीं है, जिस पर मेरा हक नहीं है, उसे छीनकर उपयोग लाता हूं तो यह विकृति है। जब अपनी जरूरत छोड़कर दूसरे का ध्यान रखा जाता है तो इसे संस्कृति कहते हैं। भारत ने अपनी संस्कृति के अनुरूप फैसले लिए हैं। ये ऐसा समय है, जब भारत किसी देश को दवाएं न दे तो बड़ी बात नहीं है। भारत ने अपनी संस्कृति के अनुरूप फैसला लिया। दुनिया से आ रही मांग पर ध्यान दिया। आज दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों से बात होती है तो वे थैंक्यू इंडिया कहते हैं। इससे गर्व और बढ़ जाता है।

इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयोग जरूर करें

'आप लोग इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयोग जरूर कर रहे होंगे। काढ़े आदि के प्रयोग से प्रतिरक्षा बढ़ाई जा सकती है। जब कोई देश हमारे फॉर्मूले को बताता है तो हम हाथों-हाथ ले लेते हैं। कई बार हम अपने पारंपरिक सिद्धांतों को अपनाने की बजाय छोड़ देते हैं। जैसे विश्व ने योग को स्वीकार किया है, वैसे ही आयुर्वेद को भी स्वीकार करेगा। युवा पीढ़ी को इस बारे में भूमिका निभानी होगी।

आदतें बदलें, मॉस्क लगाएं, कहीं भी थूकें नहीं

कोविड 19 ने हमारी जीवनशैली में जगह बनाई है। हमारी चेतना और समझ जागृत हुई है। इसमें मास्क पहनना और चेहरा ढंकना है। हमें इसकी आदत नहीं रही, लेकिन हो यही रहा है। अब आप खुद के साथ दूसरों को भी बचाना चाहते हैं तो मास्क जरूर पहनें। गमछा भी बेहतर है। सार्वजनिक स्थानों पर थूक देना गलत आदतों का हिस्सा था। हम हमेशा से इस समस्या को जानते थे, लेकिन यह खत्म नहीं हो रही थी। अब समय है कि थूकने की आदत छोड़ देनी चाहिए। यह बेसिक हाईजीन के साथ कोरोना को फैलने से भी रोकेगी।

त्योहार हमें बुरे वक्त से लड़ना सिखाते हैं

आज अक्षय तृतीया है। यह त्योहार याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी विपत्तियां या कठिनाइयां आएं, इससे लड़ने की हमारे ताकत अक्षय रहेगी। उन्होंने बताया कि इसी दिन पांडवों को अक्षय पात्र मिला था, जिसमें भोजन कभी खत्म नहीं होता था। मोदी ने कहा कि अब किसान इसी सोच के साथ मेहनत करते हैं कि लोगों के पास भोजन कम न पड़े। पीएम ने आगे कहा कि इस अक्षय तृतीया पर हमें पर्यावरण, जंगल, नदियों के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि अगर वे जिंदा रहीं तो ही धरती जिंदा रहेगी और तब ही हम जिंदा रह पाएंगे।

रमजान घर पर मनाएं, फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाएं रखें

रमजान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'रमजान का भी पवित्र महीना शुरू हो गया है। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि रमजान में इतनी बड़ी मुसीबत होगी। लेकिन जब विश्व में मुसीबत आ ही गई है तो हमें इसे सेवाभाव की मिसाल देनी है। हम पहले से ज्यादा इबादत करें कि ईद से पहले यह बीमारी खत्म हो जाए जिससे धूमधाम से ईद मनाई जा सके।' मोदी ने आगे कहा कि रमजान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखना है। उन्होंने कहा कि रमजान को संयम, सेवा भाव के साथ मनाना है। मोदी ने आशा जताई कि रमजान के दौरान लोग प्रशासन के दिशा-निर्देश मानेंगे।

दो गज दूरी बनाए रखें, अतिआत्मविश्वास में न आएं

मेरा आपसे आग्रह है कि अतिआत्मविश्वास न पालें कि शहर, गली में कोरोना पहुंचा नहीं है, इसलिए वह नहीं पहुंचेगा। लेकिन दुनिया का अनुभव कुछ और कह रहा है। इसे समझना होगा। नजर हटी, दुर्घटना घटी। हल्के में लेकर छोड़ी गई आग, कर्ज और बीमारी मौके पड़ते ही दोबारा उभर जाती है। इसलिए कोई लापरवाही न करें। फिर कहूंगा- दो गज दूरी बनाए रखें। अगली बार जब मन की बात में मिलूं तो दुनिया से अच्छी खबरें आएं।

प्रधानमंत्री का यह इस साल का चौथा और मन की बात का कुल 64वां संस्करण था। इससे पहले पीएम मोदी ने 29 मार्च को मन की बात की थी। 12 अप्रैल को एक ट्वीट करते हुए बताया था कि इस महीने की मन की बात 26 तारीख को होगी। इसके लिए पीएम मोदी ने सुझाव मागे थे। पीएम ने लिखा था, 'आपके क्या सुझाव हैं? अपना संदेश रिकॉर्ड करने के लिए 1800-11-7800 डायल करें या फिर MyGov और NaMo ऐप पर लिखें।'