कोरोना संक्रमित बच्चों में तेज बुखार और कंपकंपी जैसे दिख रहे लक्षण, स्वाद-गंध का जाना जरूरी नहीं: एक्सपर्ट

भारत में कोरोना की तीसरी लहर चल रही है। इस लहर में बच्चों भी संक्रमित हो रहे हैं। कोरोना से संक्रमित बच्चों में तेज बुखार और कंपकंपी जैसे लक्षण देखें जा रहे हैं। इस बीच रविवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ धीरेन गुप्ता ने बताया कि डेल्टा वैरिएंट के विपरीत ओमिक्रॉन मरीजों में स्वाद और गंध का खोना आम नहीं है। उन्होंने कहा कि 11 से 17 साल के बीच के बच्चे और किशोर जो कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, उनमें तेज बुखार और कंपकंपी के लक्षण दिख रहे हैं। दो साल से कम उम्र के बच्चों में भी ये लक्षण दिख रहे हैं। उनमें से कुछ को अस्पताल में भर्ती भी करना पड़ रहा है।

उन्होंने कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर कहा कि इस बार, हमने पाया है कि वायरस मुख्य रूप से रोगी के अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है। इसलिए संक्रमण में सर्दी, सिरदर्द, नाक बहने जैसे लक्षण दिखते हैं। कंपकंपी के साथ बुखार भी आता है।

डॉ गुप्ता ने कहा कि मैंने कोविड-19 से संक्रमित लगभग 9 शिशुओं का इलाज किया है, जिनमें से एक को वेंटिलेशन सपोर्ट की जरूरत पड़ी है। दूसरे मरीजों की तरह हाई फीवर के कारण शिशुओं को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि वयस्कों में संक्रमण की गंभीरता कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कम है, जबकि शिशुओं के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है। डॉ गुप्ता ने कहा कि मेरे अनुभव के अनुसार, 2 साल से कम उम्र के बच्चे जो हाई रिस्क ग्रुप के होते हैं उनमें संक्रमण की गंभीरता लगभग डेल्टा वैरिएंट के समान है।

दूसरी लहर के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षणों की तुलना करते हुए, डॉ गुप्ता ने कहा कि दूसरी लहर के विपरीत, ओमिक्रॉन मरीजों में स्वाद और गंध की खोना बहुत आम नहीं है। 10 में से केवल 2-3 मरीज गंध और स्वाद जाने की शिकायत कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीनेटेड और स्वस्थ लोगों में ओमिक्रॉन के लक्षण उन लोगों की तुलना में कम गंभीर हैं, जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अब तक मैं 3 मरीजों से मिला हूं, जिन्हें निमोनिया हुआ है। उन्हें इलाज के लिए स्टेरॉयड दिया गया।