कोरोना पर यह रिसर्च चिंता बढ़ाने वाली, 80% मरीजों में शुरू हुई हृदय से जुड़ी बीमारियां

दुनिया में कोरोना वायरस के अब तक 1 करोड़ 71 लाख 79 हजार 092 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, 6 लाख 69 हजार 982 की मौत हो चुकी है। 1 करोड़ 69 लाख 30 हजार 12 ठीक भी हो चुके हैं। हालाकि, अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल की रिसर्च में सामने आया है कि कोरोना से उबरने के बाद भी वायरस के संक्रमण का असर लम्बे समय तक शरीर में दिख सकता है। शोध के मुताबिक, कोरोना से उबरने वाले 80% लोगों में हृदय से जुड़ी दिक्कतें देखी गई हैं। रिसर्च अप्रैल और जून के बीच में हुई थी। इस शोध में कोरोना से पीड़ित 100 लोगों शामील किया गया था जो संक्रमण से पहले स्वस्थ थे और उम्र 40 से 50 साल के बीच थी। इनमें से 67 मरीज ऐसे थे जो एसिम्प्टोमैटिक थे या इनमें बेहद हल्के लक्षण दिख रहे थे। अन्य 23 मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। मरीजों के हार्ट पर कोरोना का क्या असर पड़ रहा है इसे जानने के लिए एमआरआई, ब्लड टेस्ट और हार्ट टिश्यू की बायोप्सी की गई।

शोधकर्ता क्लायड डब्ल्यू येंसी के मुताबिक, रिसर्च में सामने आया कि 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। इससे इस बात के प्रमाण मिले कोरोना से उबरने के बाद बहुत सी बातें सामने आनी बाकी हैं कि भविष्य में शरीर के अंगों पर इसका कितना असर पड़ेगा। जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा भविष्य में उतना ज्यादा बुरे साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा।

ब्रिटेन में हुई स्टडी में भी यही पैटर्न नजर आया

ब्रिटेन में हुई एक और ऐसी ही स्टडी में सामने आया कि कोरोना के 1 हजार 216 मरीजों में संक्रमण के बाद हृदय से जुड़े डिसऑर्डर दिखे। 15% मरीजों में हृदय से जुड़े ऐसे कॉम्प्लिकेशंस सामने आए जो बेहद गंभीर थे और जान का जोखिम बढ़ाने वाले थे।

ऐसा क्यों हो रहा है

अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। मरीजों पर लम्बे समय तक कोरोना के साइडइफेक्ट क्यों दिखते हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना सीधे तौर पर मरीजों के फेफड़े पर असर करता है। जिससे शरीर में ऑक्सीजन का लेवल प्रभावित होता है। इस स्थिति में हृदय को ब्लड दूसरे अंगों तक पहुंचाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। लगातार दबाव बने रहने पर हार्ट के टिश्यू कमजोर होने लगते हैं और हृदय रोगों से जुड़े मामले सामने आते हैं।