कोटा : कोरोना ने दिया कभी ना भूलने वाला दर्द, माता-पिता के बाद 2 बेटियों के सामने लोन चुकाने और घर चलाने का संकट

कोरोना महामारी कई लोगों की असमय मौत का कारण बनी हैं। इसमें कई बच्चों के सिर से उनके माता-पिता का सहारा भी छिना है और कोई कुछ नहीं कर पाया। ऐसा ही एक मामला सामने आया कोटा में जहां एक परिवार को कोरोना ने कभी ना भूलने वाला दर्द दिया। महावीरनगर निवासी श्याम माहेश्वरी परिवार का परिवार काेराेना से पहले तक काफी हंसी खुशी रह रहा था। बेटियाें काे अच्छा पढ़ाया-लिखाया, लेकिन एक ही झटके में काेराेना के कारण श्याम और उनकी पत्नी की माैत हाे गई। पीछे रह गई केवल दाे बेटियां और पहाड़ जैसी जिम्मेदारियां।

सबकुछ खत्म हाे गया। किराए का मकान है, लेकिन किराए देने तक की स्थिति नहीं है। तीन-तीन लाेन चल रहे हैं, लेकिन चुकाने के लिए कुछ भी नहीं है। महावीरनगर निवासी श्याम का 9 मई काे निधन हाे गया। इससे पहले उनकी पत्नी महिमा का 28 अप्रैल काे काेराेना से निधन हाे गया था। परिवार में उनकी दाे बेटियां रिया माहेश्वरी (24) और पूर्वी माहेश्वरी (26) बची हैं। पूर्वी ने बताया कि उनके पिता एक हॉस्टल और मेस चलाते थे।

दाेनाें लीज पर हैं। काेरोना के चलते बच्चों का हॉस्टल और मेस पिछले एक वर्ष से ही बंद थे। इसके चलते आय पहले ही बंद हाे चुकी थी। घर के किराए और खर्च से लेकर हॉस्टल के किराए तक, सभी चीजों को साथ लेकर चलना कठिन था। घर में अब आय का कोई साधन नहीं है। अपना सब कुछ माता-पिता के इलाज में लगा दिया। वह किराए के घर में रहते हैं। बिजनेस के चक्कर में पिता ने 3 लाेन ले रखे थे। लाेन इंश्याेर्ड नहीं हाेने के कारण अब उन्हें चुकाना पड़ेगा। किराए का घर भी 1 माह में खाली करना है। घर का सामान काफी है, जिसे बेचना चाहती है, लेकिन सही दाम नहीं मिल रहे। उनका कहना है कि बस छाेटी बहन काे सरकारी नाैकरी मिल जाए और रहने के लिए मकान हाे जाए। वाे खुद बीटेक है।