जाने आखिर क्यों चुना गया चांद के दक्षिणी धुव्र को चन्द्रयान-2 के लिए

चन्द्रयान-2 (Chandrayaan-2) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरीकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन की ख़ास बात ये है कि ये चंद्रयान उस जगह पर जाएगा जहां अब तक कोई देश नहीं गया है। चंद्रयान चांद के दक्षिणी धुव्र पर उतरेगा। इस इलाक़े से जुड़े जोखिमों के कारण कोई भी अंतरिक्ष एजेंसी वहां नहीं उतरी है। अधिकांश मिशन भूमध्यरेखीय क्षेत्र में गए हैं जहां दक्षिण धुव्र की तुलना में सपाट जमीन है। वहीं, दक्षिणी ध्रुव ज्वालमुखियों और उबड़-खाबड़ जमीन से भरा हुआ है और यहां उतरना जोखिम भरा है। अब यह सवाल आता है जब इस मिशन में इतना जोखिम तो आखिर इसको क्यों चुना गया। दरअसल, चंद्रमा का दक्षिणी धुव्र एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी अभी तक जांच नहीं की गई। यहां कुछ नया मिलने की संभावना हैं। इस इलाके का अधिकतर हिस्सा छाया में रहता है और सूरज की किरणें न पड़ने से यहां बहुत ज़्यादा ठंड रहती है। वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि हमेशा छाया में रहने वाले इन क्षेत्रों में पानी और खनिज होने की संभावना हो सकती है। हाल में किए गए कुछ ऑर्बिट मिशन में भी इसकी पुष्टि हुई है।

पानी की मौजूदगी चांद के दक्षिणी धुव्र पर भविष्य में इंसान की उपस्थिति के लिए फायदेमंद हो सकती है। यहां की सतह की जांच ग्रह के निर्माण को और गहराई से समझने में भी मदद कर सकती है। साथ ही भविष्य के मिशनों के लिए संसाधन के रूप में इसके इस्तेमाल की क्षमता का पता चल सकता है।