प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (मंगलवार को) देश के सबसे लंबे रेल सह सड़क बोगीबील पुल का शुभारंभ किया। 4.94 किलोमीटर लंबा असम में ऊपरी ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबील ब्रिज भारतीय सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है। उद्घाटन से पहले पीएम मोदी ने प्रदर्शनी का जायजा भी लिया और पुल की खूबियां जानीं। इसके बाद पीएम मोदी इस पुल पर पहुंचे और यहां पैदल और अपनी कार के जरिये इस पुल का जायजा भी लिया। इस दौरान उन्होंने नीचे रेल लाइन पर खड़ी तिनसुकिया-नाहरलगुन इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार यात्रियों का भी हाल हिलाकर अभिवादन किया। पीएम मोदी, दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वर्षगांठ (25 दिसंबर) के अवसर पर इस बोगीबील पुल और उस पर रेल आवागमन की शुरूआत की। पीएम मोदी दोपहर करीब डेढ़ बजे असम के डिब्रूगढ़ पहुंचे थे। यह दिन केंद्र सरकार द्वारा ‘सुशासन दिवस’ के रूप में भी बनाया जाता है।
'बोगीबील' से फ़ायदा-असम के डिब्रूगढ़ और अरुणाचल के पासीघाट की दूरी 400 Km तक कम
-डिब्रूगढ़ से धीमाजी का सफर सिर्फ 4 घंटे में पूरा किया जा सकेगा
-ब्रिज से हर रोज़ 10 लाख रुपये से ज्यादा के ईंधन की बचत होगी
-असम-अरुणाचल के 50 लाख से ज्यादा लोगों को सफर में सुविधा
-अरुणाचल से डिब्रूगढ़ आने के लिए गुवाहाटी जाना पड़ता है, अब सीधे आ सकेंगे
-तिनसुकिया-नाहरलगुन इंटरसिटी एक्सप्रेस सप्ताह में 5 दिन चलेगी
-तिनसुकिया-नाहरलगुन के बीच ट्रेन के सफर में 10 घंटे बचेंगे
हिंदुस्तान का नया 'रक्षक' भी बनेगा यह पुल-भारत के पूर्वोत्तर सीमा तक सेना की पहुंच आसान
-चीन की सीमा तक सेना के पहुंचने में वक्त बचेगा
-चीन सीमा पर तैनात सैनिकों तक मदद जल्द पहुंचेगी
-टैंक और सेना के साज़ो-सामान तेजी से पहुंचाए जा सकेंगे
-जरूरत पड़ने पर ब्रिज पर विमानों की लैंडिंग हो सकेगी
-अरुणाचल में किबिथू, वलॉन्ग और चगलगाम चौकियों तक पहुंच आसान
'बोगीबील': 21 साल का सफ़र -1985 में असम समझौते में ब्रिज का वादा
-1997-98 में ब्रिज निर्माण को मंजूरी मिली
-एचडी देवगौड़ा ने 1997 में शिलान्यास किया
-2002 में वाजपेयी सरकार ने निर्माण शुरू कराया
-2007 में ब्रिज को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का दर्जा मिला
-2009 में ब्रिज का निर्माण पूरा होना था