दिवाली के मौके पर पटाखे जलाने पर रोक नहीं रहेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसमें कुछ शर्ते डाली है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि रात 8-10 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकेंगे और इसकी ऑनलाइन बिक्री पर भी रोक है और केवल लाइसेंस रखने वाले दुकानदार ही बेच सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, इस आदेश पर अमल करने के लिए हर इलाके का SHO जवाबदेह होगा, और अगर आदेश का पालन नहीं हुआ, तो SHO को निजी तौर पर कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद चिंतामणि मालवीय Chintamani Malviya ने विरोध किया है। उन्होंने ट्वीट कर ऐलान किया है कि उन्हें हिन्दू परंपरा में किसी की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं है और वह इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। मैं अपनी दिवाली अपने परंपरागत तरीके से मनाऊंगा और रात में लक्ष्मी पूजन के बाद 10 बजे के बाद ही पटाखे जलाऊंगा। हमारी हिन्दू परंपरा में किसी की भी दखलंदाजी मैं हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकता। मेरी धार्मिक परंपराओं के लिए अगर मुझे जेल भी जाना पड़े तो मैं खुशी-खुशी जेल भी चला जाऊंगा।
बीजेपी सांसद ने कहा, 'हमारी धार्मिक परंपराएं और त्योहार हिंदू कैलेंडर के मुताबिक होते हैं। मैं दिवाली पर तभी पटाखे फोड़ूंगा जब पूजा खत्म कर लूंगा। त्योहारों को हम समय सीमा में नहीं बांध सकते। ऐसे प्रतिबंध तो मुगलों के काल में भी नहीं लगे थे। यह स्वीकार नहीं है।'
आपको बता दें कि 28 अगस्त को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने देशभर में पटाखों की बिक्री पर बैन का विरोध किया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-पटाखों के उत्पादन को लेकर नियम बनाना बेहतर कदम है। एल्युमिनियम और बेरियम जैसी सामग्री का इस्तेमाल रोकना सही होगा। तमिलनाडु सरकार, पटाखा उत्पादकों और विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- बिना किसी ठोस वैज्ञानिक रिसर्च के कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में पटाखों की बिक्री रोक दी थी। इससे लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ। प्रदूषण के लिए पटाखों से ज्यादा कई अन्य चीजें जिम्मेदार हैं।