अपनी ही सरकार पर अरुण शौरी ने साधा निशाना, कहा - 'सरकार इवेंट ओरियेंटेड और चुनाव ओरियेंटेड है'

पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज की कश्मीर पर किताब और उनके बयानों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही भाजपा को किताब के विमोचन पर उसके ही पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने आड़े हाथों लिया। शौरी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर तंज कसते हुए उसे फर्जिकल स्ट्राइक ठहराया और सरकार पर चुनाव जीतने के लिए हिंदू-मुस्लिम में बांटने वाला बताया।

सरकार इवेंट ओरियेंटेड और चुनाव ओरियेंटेड है

- शौरी ने कहा कि सरकार के पास कश्मीर,पाकिस्तान, चीन और बैंकों के लिए कोई नीति नहीं है। उन्होंने चुटकी ली कि खान साहब ने कहा देसी घी का खाना बना है तो हम पहुंच गए।
- शौरी ने कांग्रेस नेताओं के कार्यक्रम में न पहुंचने पर तंज कसा कि अमित शाह के कहने पर आप डर गए।
- उन्होंने कहा कि सरकार पर आरोप लगाया कि सबका साथ सबका विकास नहीं कर पाई इसलिए हिंदू-मुसलमान में बांटा जा रहा है। सरकार इवेंट ओरियेंटेड और चुनाव ओरियेंटेड है। एक चुनाव इसलिए जीता जाता है ताकि दूसरा चुनाव जीता जा सके।
- शौरी ने कश्मीर समस्या के समाधान पर सोज से भी अपील किया कि पुरानी बातों और पीछे किसने क्या किया क्या कहा इसे भुलाकर आगे बढना चाहिए। कश्मीर की स्वायत्ता की बात कुछ लिहाजा सही कुछ में गलत है।
- उन्होंने कश्मीर और नार्थ-ईस्ट की समस्या को लगभग एक जैसा बताते हुए कि सरकार सीधे संपर्क न करके सब कांट्रेक्ट करती है जो उचित नहीं है क्योंकि सरकार जो रकम भेजती है कहीं ने पहले दिल्ली के अधिकारी और फिर कश्मीर के अधिकारी राजनेता हिस्सा बांट लेते हैं इस लिहाज से स्वायत्तता ठीक नहीं है। जबकि सोज के मुताबिक अगर सीमा पर पांच किलोमीटर पर बसे लोगों को सुरक्षित बसाने उन्हें उतनी जमीन कहीं और देने की स्वात्तता अच्छा सुझाव है।

किताब के विमोचन पर कश्मीर के लोगों की प्राथमिकता आजादी है और सरदार पटेल कश्मीर को पाकिस्तान को देना चाहते थे जैसे विवादित बयानों पर सैफुद्दीन सोज किनारा करते दिखे। उन्होंने ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हो सकता है और आजादी भी संभव नहीं है। परवेज मुशर्रफ के समर्थन पर साफ किया मैं उनका प्रतिनिधि नहीं हूं। उन्होंने कहा कि सरकार को विपक्ष आदि को कश्मीर के लोगों के बीच जाना चाहिए और संविधान के तहत बातचीत हो। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने भी अपने विचार रखे।

सोज के बयानों से किनारा करने के साथ कांग्रेस के बड़े नेताओं डा. मनमोहन सिंह, पी.चिदंबरम और गुलामनबी आजाद ने कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया। हालांकि कांग्रेस के एक मात्र नेता तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश वहां पहुंचे और फिर मीडिया के कैमरे से बचते दिखे। इस कार्यक्रम में चिदंबरम को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि किताब को लेकर खड़े हुए विवाद को देखते हुए यह राय बनी कि चिदंबरम को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए। यही कारण था कि पहले निमंत्रण स्वीकार करने के बावजूद चिदंबरम विमोचन समारोह में नहीं पहुंचे।

सोज के इस बयान पर विवाद

दरअसल, हाल ही में सोज की इस पुस्तक के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्होंने परवेज मुशर्रफ के उस बयान का भी समर्थन किया है कि कश्मीर के लोग भारत या पाकिस्तान के साथ जाने की बजाय अकेले और आजाद रहना पसंद करेंगे। इस मीडिया रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोज पर अपनी किताब बेचने के लिए ‘सस्ते हथकंडे’ अपनाने का आरोप लगाया था।

सुरजेवाला ने कहा था, ‘जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, अभिन्न हिस्सा है, और युग युगांतर तक अभिन्न हिस्सा रहेगा। किताब बेचने के लिए अगर कोई सस्ते हथकंडे अपनाता है तो उससे यह सच नहीं बदला जाएगा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।’