5 राफेल आज भारतीय वायुसेना में होंगे शामिल, 6 घंटे की सेरेमनी में होगी सर्वधर्म पूजा

बीते दिनों फ्रांस से भारत आए 5 आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल 43 दिन बाद आज आधिकारिक रूप से वायुसेना का हिस्सा बन जाएंगे। इस दौरान सर्वधर्म यानी हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई धर्म के अनुसार पूजा होगी। फिर एयर-शो होगा। सेरेमनी 6 घंटे चलेगी। समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए वायुसेना ने तैयारी पूरी कर ली है। कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लोरेंस पार्ले भी शामिल होंगी। सुबह 10 बजे राजनाथ सिंह और फ्रांस के रक्षामंत्री अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में लैंड करेंगे। इसके बाद 10:30 बजे एयर शो शुरू होगा। हवा में एक के बाद एक कई विमान प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद ध्रुव हेलीकॉप्टर की सारंग टीम करतब दिखाएगी। अम्बाला के लोगों को घरों की छतों से एयर शो के करतब दिखाई दिखाई देंगे। राफेल के साथ अम्बाला में पहली बार स्वदेशी तेजस भी करतब दिखाएंगे। तेजस विमान में राफेल की तरह डेल्टा विंग हैं। इनके अलावा जगुआर और सुखोई-30 भी परफॉर्म करेंगे।

ऐसे में राफेल लड़ाकू विमानों की खासियत क्या हैं और क्यों दुश्मन इससे घबराया हुआ है, एक नज़र डालिए...

- राफेल ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जेनरेशन का सबसे फुर्तीला विमान है। इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।

- राफेल लड़ाकू विमान का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है, साथ ही ये दो इंजन वाला विमान है जिसको भारतीय वायुसेना को दरकार थी।

- राफेल में तीन तरह की मिसाइल लगाई जा सकती हैं। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल और हैमर मिसाइल। ये मिसाइलें हवा में 150 किमी तक के टारगेट को निशाना बना सकती हैं।

- इसमें आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 12। राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। भारत को मिले राफेल लड़ाकू विमान करीब 24,500 किलोग्राम तक का भार उठाकर ले जाने के लिए सक्षम हैं, साथ ही 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की भी गारंटी है।

- राफेल पर लगी गन एक मिनट में 2500 फायर करने में सक्षम है। खतरे की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। ये 100 किलोमीटर के दायरे में एकबार में एकसाथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है।

- राफेल लड़ाकू विमान स्टार्ट होते ही ऊंचाई तक पहुंचने में अन्य विमानों से काफी आगे है। राफेल का रेट ऑफ क्लाइंब 300 मीटर प्रति सेकंड है, जो चीन-पाकिस्तान के विमानों को भी मात देता है। यानी राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है।

- लद्दाख सीमा के हिसाब से देखें तो राफेल लड़ाकू विमान फिट बैठता है। राफेल ओमनी रोल लड़ाकू विमान है। यह पहाड़ों पर कम जगह में उतर सकता है। इसे समुद्र में चलते हुए युद्धपोत पर उतार सकते हैं।

- एक बार फ्यूल भरने पर यह लगातार 10 घंटे की उड़ान भर सकता है। ये हवा में ही फ्यूल को भर सकता है, जैसा इसने फ्रांस से भारत आते हुए किया भी था।

- राफेल में अभी जो मिसाइलें लगी हैं, वो सीरिया, लीबिया जैसी जगहों में इस्तेमाल हो चुकी हैं। इसके अलावा जल्द ही SPICE 2000 को भी इसमें जोड़ा जाएगा।

- भारतीय वायुसेना को अभी तक पांच राफेल लड़ाकू विमान मिले हैं, जबकि 2022 तक इनकी संख्या कुल 36 हो जाएगी। जिसे अलग-अलग एयरबेस पर तैनात किया जाएगा।

- राफेल लड़ाकू विमान अभी अंबाला एयरबेस पर तैनात हैं, जो चीन और पाकिस्तान सीमा के पास है। ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों में ये बिल्कुल भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

आपको बता दे, भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल जेट की डील की थी। इनमें से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे। भारत को जुलाई के आखिर में 5 राफेल फाइटर जेट्स का पहला बैच मिला। 27 जुलाई को 7 भारतीय पायलट्स ने राफेल लेकर फ्रांस से उड़ान भरी थी और 7,000 किमी का सफर तय कर 29 जुलाई को भारत पहुंचे थे।