आंख और जबड़ा निकलने का ऐसा डर कि एम्स से छुट्टी लेकर गांव में झाड़-फूंक से करा रहे ब्लैक फंगस का इलाज

कोरोना के साथ अब ब्लैक फंगस भी अपना कहर बरपा रहा हैं जिसके आए दिन कई संक्रमित पाए जा रहे हैं। कई लोग इसका डटकर सामना कर रहे हैं। लेकिन राजस्थान के बाड़मेर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया जहां ग्रामीण आंख और जबड़ा निकलने के डर से घबराकर झाड़-फूंक से ब्लैक फंगस का इलाज करा रहे हैं। यह अजीबोगरीब मामला बाड़मेर का हैं जहां ब्लैक फंगस के मरीज को दो बार जोधपुर एम्स भर्ती में करवाने के बाद दोनों बार आंख और जबड़ा निकालने के डर से गांव लेकर आ गए।

कल्याणपुर क्षेत्र के कांकराला ग्राम पंचायत के राजस्व गांव खारवा निवासी संवालराम देवासी (55) 24 मई को ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर जोधपुर रेफर किया था। जो जोधपुर एम्स में भर्ती था। डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने की सूचना परिजनों को दी। ऑपरेशन के डर से परिजन मरीज को 26 मई को अपने गांव लेकर आ गए। रविवार को परिजनों से समझाइश कर जोधपुर एम्स वापस भेजा था, लेकिन सोमवार को परिजन वापस अपने गांव लेकर आ गए। नायब तहसीलदार शैतान सिंह चौहान टीम के साथ इनके घर पहुंचे और समझाया। प्रशासन ने पूरे परिवार को होम क्वारैंटाइन कर दिया है।

परिजनों का कहना है कि हमें आंख और जबड़ा नही निकलवाना है। संवालराम देवासी के पुत्र का कहना है कि जोधपुर AIIMS में डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन कर सांवलाराम का आंख और जबड़ा निकालना पड़ेगा। यह दोनो चीज निकालने के बाद कुछ बचता ही नही है तब हम लोग अपने गांव लेकर आ गए और घर पर ही सेवा कर रहे हैं। डॉक्टरों ने जो दवाइयां दी इसको दे रहे हैं।