कोरोनाकाल में सिमित किया बच्चों का दायरा, उनके माइंड को हेल्दी बनाए रखने के लिए करें ये काम

कोरोना का दौर आभी टाक समाप्त नहीं हुआ हैं। हांलाकि अब इसका संक्रमण इतना नहीं हैं। इस कोरोनाकाल ने बच्चों का दायरा सिमित कर दिया हैं। बच्चों की सेहत के दर से पेरेंट्स उन्हें ज्यादा बाहर नहीं जाने देते हैं और ऐसे हालात भी आए थे जब कई महीनों तक बच्चे घर से बाहर भी नहीं निकले थे। ऐसे में बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित होता हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से पेरेंट्स अपने बच्चों को व्यस्त रखते हुए उनके माइंड को हेल्दी और शार्प कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में...

ऑनलाइन लर्निंग

कोरोना काल में जब हर चीज ऑनलाइन संभव है तो बच्चों की जरूरतों को भी ऑनलाइन उपलब्ध कराने में हिचकिए मत। वर्तमान समय में ऑनलाइन काम करना और सीखना हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है। ऐसे में बच्चों को कला से जोड़ने के लिए कई ऑनलाइन कार्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध हैं। आप इनकी मदद से नृत्य, संगीत और कई अन्य एक्टिविटी में बच्चों को इंगेज करें। इन प्रोग्राम के जरिए बच्चों की पर्सनैलिटी डेवलपमेंट में बहुत फायदा मिलेगा।

रीसाइकल टास्ट दें

घर पर बच्चों को क्रिएटिव टास्क दें। पुरानी चीजों की रीसाइकिल करना और उनसे कुछ नया बनाना आदि के लिए प्रोत्साहित करें। उनकी बनाई चीजों को ड्रॉइंग रूम में डेकोरेट करें। ऐसा करने से बच्चों की क्रिएटिविटी बढ़ेगी और उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा।

घर के काम में लें मदद

घर के काम में आप बच्चों की मदद ले सकते हैं। सब्जियों और फलों को धोने, डस्टिंग करने आदि में बच्चों की मदद लें, देखिएगा वे भी खूब एन्जॉय करेंगे। इस दौरान उन्हें सब्जियों के गुणों आदि के बारे में बताएं और खूब बात करें। अपने बचपन का एक्सपेरियंस भी आप शेयर कर सकते हैं। किसी भी काम को हेक्टिक ना बनाएं। गलतियों को माफ करते चलें और उन्हें डराएं नहीं।

अनुशासित रूटीन के साथ मौज मस्ती जरूरी

बच्चों का अनुशासित रूटीन तैयार करें। इसमें बच्चों का खाने, खेलने, पढ़ने और सोने का समय तय करें। बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करें। मोबाइल और टीवी देखने की एक समय सीमा तय करें। लेकिन उनके साथ मौज मस्ती भी करें। थोड़ा शरारत करने दें और अधिक टोकटाक ना करें।

गार्डनिंग सिखाएं

बच्चों को गार्डनिंग जरूर सिखाएं। इसके माध्यम से आप जीवन की बारीकियों को प्रैक्टिकली उन्हें समझा सकते हैं। इससे बच्चों में बहुत सी अच्छी आदतों को भी विकसित किया जा सकता है। पौधे लगाना और रोज पानी देना सिखाएं। पौधों का नाम रखें और उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से बच्चों को दें।