बच्चों को स्कूल जाने की घबराहट, माता-पिता इन टिप्स की मदद सें दूर करें यह परेशानी

स्कूल जाना कुछ बच्चों को पसंद होता है और कुछ को कम पसंद होता है। लेकिन, कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो हर रोज स्कूल जाने से पहले खूब रोना-धोना मचाना शुरू कर देते हैं। अक्सर बच्चे को यूं रोता देख माता-पिता सोचते हैं कि शायद बच्चे की तबियत ठीक नही है और इसीलिए, वे उन्हें स्कूल नहीं भेजते। वहीं बच्चों को बार-बार रोता देख मां-बाप यह नहीं समझ पाते कि आखिर क्यों उनके बच्चे को स्कूल जाना पसंद नहीं है और क्यों वे स्कूल जाने से पहले रोने लगते हैं। कुछ बच्चों को स्कूल जाना एंजायटी फील कराता है। ऐसे बच्चे स्कूल के माहौल को एन्जॉॉय नहीं कर पाते और उन्हें अपने पैरेंट्स की याद सताने लगती है। इसकी कई वजहें हो सकती है, जो बच्चे के मन में नकारात्मपक भावनाओं को जगाने का काम करता है। ऐसे में माता पिता के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चे की परेशानियों को समझने का प्रयास करें और उन परेशानियों को दूर करने का उपाय करें।

समझें समस्या का कारण

अभिभावकों को सबसे पहले बच्चे से बात करनी चाहिए ताकि वे समस्या की जड़ को समझ पाने में आसानी हो सकेगी। बच्चा किस चीज से डरता है इस बारे में पता करें। साथ ही पता लगाएं कि बच्चे का व्यवहार क्लास में कैसा है, क्लास के बाकी बच्चे कैसे हैं, स्कूल की बस में माहौल कैसा है। इन सब जानकारियों के आधार पर आप समझ सकेंगे कि आपका बच्चा स्कूल में एडजस्ट क्यों नहीं कर पाता। हैं।

हिम्महत दें और तारीफ भी करें

बच्चेह को खुद के इस डर से आगे बढ़ने की हिम्मंत दें और उसे महसूस कराएं कि वो अपनी परेशानियों से खुद निपट लेगा और स्कूल में दोस्त आदि बना लेगा। अगर वह स्कूल में कुछ भी अच्छा कर रहा है, लोगों से बात कर रहा है, दोस्ती कर रहा है तो उसे एप्रिशिएट करें। ऐसा करने से उसे हिम्मत मिलेगी।

बच्चे के ऊपर दबाव ना बनाएं

माता-पिता बच्चे को डांट-फटकार कर या उन्हें धमकाकर स्कूल भेजने के प्रयास ना करें क्योंकि इससे वे और भी अधिक डर जाएंगे। बच्चे का विश्वास जीतें और उसे समझाएं कि स्कूल जाना उसके विकास के लिए जरूरी क्यों है। बच्चे को स्थिति का सामना करने और स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करें।

स्कूल के बारे में पूछें

बच्चों को शुरू में खुद स्कूल लेने और छोड़ने जाएं। उनसे रोजाना स्कूल के बारे में बात करें। कुछ गलत होने पर भी उन्हें इस बारे में प्यार से समझाएं। अपनी कमियों और गलतियों को पॉजिटिव तरीके से सुधारने की बात करें। टीचर से कॉम्यूानिकेशन बनाकर रखें, लेकिन बच्चों के सामने उनसे बात करने से बचें।

डॉक्टर की मदद लें

कई बार बच्चे किसी प्रकार के दर्द या तकलीफ को महसूस तो करते हैं लेकिन, अपने मां-बाप को बता नहीं पाते। विशेषकर बहुत छोटे बच्चों को पेट में दर्द होने, कान में दर्द या एसी क्लासरूम में बैठने से ठंड लगने पर काफी परेशानी होती है और वे बता नहीं पाते। वहीं, कुछ बच्चों के लिए क्लासरूम्स में बहुत देर तक बैठने से पेट में दर्द या उल्टी जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। इसीलिए, अपने बच्चे के व्यवहार में आए बदलावों पर ध्यान दें, नियमित यह चेक करें कि कहीं बच्चे के पेट में दर्द या पैरों में दर्द या ग्रोइंग पेन जैसी परेशानी तो नहीं हो रहा है। बच्चे को तकलीफ से आराम दिलाने के लिए डॉक्टर से बात करें और उनकी सलाह के अनुसार बच्चों को दवाइयां दें और उनका ख्याल रखें।

चेहरे पर रखें पॉजिटिव फीलिंग

बच्चों को यह भरोसा दिलाएं कि आप जानते हैं कि वह बेहतर तरीके से स्कूाल में खुद की परेशानियों को डील कर सकता है। शांत रहें और डांट लगाने या मार पीट करने से बचें।

वर्किंग पेरेंट्स जरूर करें यह बात क्लियर

स्कूल खुलने से पहले और एडमिशन के बाद ही बच्चों को बताएं कि जब बच्चा स्कूल जाना शुरू करेगा तो जीवन में किस तरह के बदलाव आएंगे। हो सकता है कि बच्चे को स्कूल जाने के लिए जल्दी उठना पड़े, स्कूल के बाद डे केयर सेंटर में रहना पड़े या उसका ख्याल रखने के लिए घर में किसी नैनी या आया को बुलाया जाए। बच्चे को समझाएं कि स्कूल खत्म होने के बाद उन्हें लेने मम्मी या पापा आ जाएंगे और उसके बाद बच्चा घर पर रहकर खेल सकता है या घरवालों के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकेगा।

सेपरेशन के डर को करें दूर

बच्चे को कभी भी यह महसूस ना कराएं कि उसे खुद से दूर करने के लिए स्कूल भेजा जा रहा है। बेहतर होगा कि आप उसे इनकरेज करें और स्कूल की अच्छी बातों के बारे में उसे बताएं। अगर बच्चा रो रहा है तो उसे दूसरे बच्चों से तुलना ना करें इससे उनके मन में और भी डर हो जाता है कि उसके माता पिता उसे पसंद नहीं करते। वे अपना आत्मकविश्वाास और भी खो देते हैं।