दिल से निभाएं रिश्ते दिमाग से नहीं, जानें क्या करें इसके लिए

ऐसा होता है कि कई बार रिलेशनशिप को स्ट्रांग बनाने के लिए आप जो निर्णय ले रहे हैं, वह दिमागी तौर पर सही नहीं है, लेकिन अगर दिल से सोचने पर लगे कि आप सही कर रहे हैं तो दिल की ही सुननी चाहिए। कई बार रिश्तों को निभाने के लिए कुछ नादानियां करना भी जरूरी होता है। ऐसे में एक बात याद रखने वाली है कि दिमाग लगा कर बनाए गए रिश्ते अक्सर लंबे समय तक साथ नहीं चलते हैं। दिल से बनाए गए रिश्ते वास्तविक खुशियां देते हैं, जबकि सिर्फ दिमाग लगा कर बनाए गए रिश्तों को निभाने के लिए आपको बहुत सारे जतन भी करने पड़ते हैं।हम आपको बतायेगे रिश्ते निभाने में कैसे सुनें अपने दिल की-

रिश्तों में फायदे-नुकसान के बारे में न सोचें

लाभ-हानि का रिश्ता व्यापार में अच्छा लगता है। उन्हें अपने काम तक ही सीमित रखें। अपने खास लोगों के साथ कभी यह बात न सोचें कि उनके साथ रहने से या उन्हें वक्त देने से आपका क्या नुकसान या फायदा होगा। खास रिश्ता तभी बनता है और टिकता है, जब आप फायदे और नुकसान को देखे बगैर, जरूरत पड़ने पर उनके सुख-दुख के समय उनके साथ मजबूती से खड़े रहें।

रिश्तों को पैसों से न तौलें

कई बार ऐसा होता है कि हम अपने रिश्तों को अहमियत देने के बजाय उन्हें पैसों से तौलने लग जाते हैं। यह सोचे-समझे बगैर कि जो आपके गहरे रिश्ते हैं, वे आपकी जिंदगी का हिस्सा तब बनते हैं, जब आपके पास कुछ भी नहीं होता है। इस बात को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जो रिश्ते पैसों के दम पर बनते हैं, वे अधिक दिन टिकते भी नहीं हैं।

रिश्तो को नजरअंदाज ना करें

कई बार ऐसा भी होता है कि हम सबसे करीबी रिश्तों में ही सबसे ज्यादा लापरवाह हो जाते हैं और फॉर ग्रांटेंड लेने लगते हैं। ऐसा ना करें।

किसी को नीचा न दिखाएं

जब हम रिश्ते निभाते वक्त बुद्धिजीवी सोच को दूसरों पर हावी होने देते हैं,तब हमें लगने लगता है कि हम महान हैं और हर वक्त अपने करीबियों के साथ भी ऐसी ही बातें करते हैं, जिसमें सिर्फ ज्ञान की बातें होती हैं। जरूरी है कि आप अपने किसी भी रिश्ते को, कभी किसी के सामने नीचा न दिखाएं।

एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहें


एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहें। एक-दूसरे को सपोर्ट करें। एक-दूसरे की जिंदगी में पॉजिटिवीटी लाने की कोशिश करें।