पैरेंटिंग के दौरान अपनाए ये गोल्डन रूल्स, खुशहाल हो जाएगी जिंदगी

बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम तो होता नहीं हैं जहां उन्हें सही सीख देते हुए एक नेक इंसान बनाना होता हैं और खुद को उनके लिए उदाहरण बनना पड़ता हैं। हांलाकि कई लोग इसमें इतने सख्त हो जाते हैं कि बच्चों पर दबाव पड़ने लगता हैं और वह उनके स्वभाव पर पड़ता हैं। देखा जाता हैं कि ज्यादा दबाव पड़ने पर बच्चे चिडचिडे और गुस्सैल स्वभाव के होने लगते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को यह समझने की जरूरत हैं कि हर बच्चा एक -समान नहीं होता हैं और आपको अपने बच्चे के अनुरूप ही उसे संभालना होगा। आज इस कड़ी में हम आपको पैरेंटिंग के दौरान अपनाए जाने वाले कुछ गोल्डन रूल्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो बच्चों के साथ आपकी बॉन्डिंग को मजबूत करने के साथ ही जिंदगी को खुशहाल बनाएंगे। तो आइये जानते हैं इन टिप्स के बारे में...

शुरू करें सुनना

हम सभी के साथ एक समस्या देखी जाती है कि हम सभी बच्चों को हमेशा ज्ञान देते रहते हैं। उनकी सुनने में हमें कोई इंटरस्ट नहीं होता। लेकिन जब आप बच्चों के साथ हों तो उन्हें सुनने की आदत डालें। दरअसल, बच्चे अपनी हर बात को अपने पैरेंट्स के साथ शेयर करना चाहते हैं और जब आप उनकी बातें नहीं सुनतें तो आपके बीच एक अच्छी बॉन्डिंग नहीं बन पाती।

मदद लेना सीखें

पैरेंटिंग समझदारी का काम है जिसमें जिद के लिए कोई जगह नहीं है। आत्मनिर्भर दिखाने की कोशिश में आपका और बच्चों के बीच रिश्ता खराब हो सकता है। अगर आप पैरेंटिंग को बोझ नहीं एन्जॉयमेंट की तरह लेना चाहते हैं तो आपको मदद लेने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।

पेश करें उदाहरण

बच्चों के लिए उनके पहले गुरू और रोल मॉडल माता-पिता ही होते हैं। ऐसे में आप जिस तरह से लाइफ को जीएंगी, बच्चे भी वैसा ही करेंगे। अगर आप चाहती हैं कि बच्चे के भीतर अच्छी आदतों का विकास हो तो पहले खुद के भीतर उन आदतों को शामिल करें। उदाहरण के तौर पर, आप एक एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाएं। प्रतिदिन कुछ देर व्यायाम करें और हेल्दी फूड पर फोकस करें। आपको देखकर बच्चा भी वैसा ही करने लगेगा। अगर आप संवेदनशील रहेंगे तो बच्चे भी आपके प्रति संवेदनशील बनेंगे। वे आपसे ही काम के प्रति समर्पण, लोगों के साथ बातचीत का तरीका, मदद करने की आदत आदि सीखते हैं। ऐसे में खुद के व्यवहार में बदलाव लाएं।

क्वॉलिटी टाइम जरूरी

आप भले ही बच्चे को तमाम व्यस्तताओं के बीच कम समय दे पाते हों लेकिन जितना भी समय दे क्वालिटी वाला समय हो। आप उस समय पूरे ध्यान से बच्चों की बातों, उनके सवालों, उनकी हरकतों और शरारतों को देखें। उनके साथ खेलें, खाएं, हंसे, बोलें और उन्हें कहानियां सुनाएं।

रहें हमेशा सकारात्मक

बच्चों के साथ हमेशा सकारात्मक बने रहना बेहद जरूरी होता है, लेकिन पैरेंट्स ऐसा कम ही करते हैं। अगर गलती से बच्चा जरूरत से ज्यादा शरारत करता है या फिर वह पढ़ाई में कमजोर होता है, तो माता-पिता बच्चे के साथ नकारात्मक बातें करने लग जाते हैं। जिससे बच्चे का आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति में उनके साथ नकारात्मक ना हो, बल्कि बच्चे को हमेशा मोटिवेट करती रहें।

मल्टी-टास्कर बनें

जब आप पैरेंट बनते हैं तो मल्टी-टास्कर बनना अनिवार्य ही हो जाता है। आपको पहले की जिम्मेदारियों के साथ-साथ बच्चे के लालन-पालन की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है। ऐसे में कम समय में कई काम निपटाने की कला सीखें। इसके लिए हो सकता है कि आपको अधिक मेहनत करनी पड़े और आपको हर चीज के लिए प्लान करना पड़े लेकिन यकीन मानिए, आपको इससे पैरेंटिंग में काफी फायदा मिलेगा।