अगर जड़ से अस्थमा को करना है खत्म तो अपनाये ये योगा...

अस्थमा फेंफड़ों से संबंधित बीमारी है। अस्थामा में छाती और गला संवेदनशील रहता है। अस्थामा का मरीज, धूल, धुवां या ज्यादा कोल्ड वातावरण बर्दाश्त नहीं कर सकता। शहर में बढ़ते प्रदूषण, स्मॉग की वजह से अस्थमा रोगी बहुत ही जल्दी डॉक्टरों के मेहमान बन चुके हैं। अर्थात शहरों में अस्थमा रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जहां ज्यादा ऑक्सिजन नहीं है वहां रहने में भी उसे तकलीफ होती है। यह बात रिसर्च में भी सामने आई है कि अगर आप नियमित 15-20 मिनट तक रोज योग करेंगे तो आप को अस्थमा से राहत मिलेगी और अटैक धीरे धीरे कम हो कर खतम हो जाएगा। तो आइये जानते हैं उन योगासन के बारे में जिनसे अस्थमा में राहत मिलती हैं

* अनुलोम-विलोम :

इस आसन को करने के लिए एक शांत स्थान पर सामान्य अवस्था में बैठ जाएं। उसके बाद अपने दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं हाथ की नाक के छिद्र को बंद करें। अब बाएं नाक के छिद्र से सांस को अंदर की ओर लें और उसे अंगूठे के बगल वाली उंगलियो से बंद करें। अब दायीं नाक से अंगूठा हटाकर सांस को छोड़ें। ऐसा 4-5 बार करें। यह प्रक्रिया आप दोनों नाक से करें। यह आसन सांस की प्रक्रिया को सामान्य करता है, दिमाग शांत करता है, अनिद्रा से बचाता है, आंखों की रोशनी बढ़ाता है और मस्तिष्क संबंधी समस्या से भी मुक्ति दिलाता है।

* कपालभाति :

शांत वातावरण में आराम से बैठ जाये तथा साँस को अंदर करे और छोड़े, साँस लेते समय पेट को धक्का देते हुए साँस अंदर ले। इस आसन को प्रतिदिन करने से, वजन कम होता है, पेट की चर्बी कम होती है। चेहरे की झुर्रियां और आँखों के निचे का कालापन दूर होता है तथा चेहरे की चमक बढ़ती है। स्मरण शक्ति बढ़ती है और नकारात्मक तत्व दूर होते है।

* मत्स्यासन :

इसमें आपको एक मछली की तरह से ही अपने शरीर की आकृति बनानी होती है, यह काफी आसान है और अस्थमा में बहुत ज्यादा लाभदायक भी। इस आसन का सबसे बड़ा लाभ यह है की इसको करने पर रोगी के गले पर खिंचाव बनता है जिसके कारण रोगी की थायराइड ग्रंथि और सांस की नली रोग मुक्त होती हैं और सांस लेने में परेशानियों का सामना नहीं करना होता है।

* शवासन :

शवासन बहुत ही सरल योगासन है इसको हर आयु वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं। इसको करने से व्यक्ति का चित्त और शरीर बेहद तनाव मुक्त हो जाता हैं आर अगर आप तनावमुक्त रहेंगे तो आपका शरीर पहले से ज्यादा अच्छे से काम करेगा और चुस्त रहेगा।

* ब्रिज पोज़ :

यह योगासन यदि रोगी करता हैं तो इससे रोगी के फेफड़ों और सीने पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता हैं, इससे रोगी के फेफड़े खुलते है और सीना चौड़ा होता हैं, जिसके कारण रोगी को अस्थमा में बहुत लाभ मिलता हैं।