अच्छी सेहत के लिए करें ये योगासन, होगा फ़ायदा

एक कहावत है कि, "आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में है", और अच्छी संभावना है कि यह योग से प्रेरित है। योग आपको मुद्राओं की शक्ति से स्वस्थ रहने और गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। मुद्राएं हाथों के आकार हैं जो ध्यान के दौरान आपके शरीर को ऊर्जा के प्रवाह को निर्देशित करती हैं। हम आपको ऐसे योगासन के बारे में बता रहे हैं जिसे बैठकर किया जाता है। योग आसन में 'आसन' शब्द का अर्थ है 'बैठना', तो इसे बैठकर करना अधिक फायेदमंद है। योग का नियमित अभ्यास हमारे स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत ही फायदेमंद है, इससे हमारा शरीर लचीला तो होता है साथ ही सामान्य और खतरनाक बीमारियों से भी बचाव होता है। आइये जानते हैं ऐसे योग के बारे में।

* ज्ञान मुद्रा :

यह मुद्रा ज्ञान को बढ़ाने में मदद करती है, आपकी याददाश्त में सुधार लाती है, और आपको बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है। यह आपको आराम करने और बेहतर ध्यान देने में भी सहायता करती है। यह तनाव और चिंता से राहत दिलाती है, और जीवन में संतुलित रहने में आपकी मदद करती है।

* मार्जारी आसन :


रीड की हड्डी के लचीलेपन के लिये उत्तम खिंचाव देता है। यह पाचन अंगों की मालिश करने में सहायक है जिससें पाचन में सुधार होता है और आप को अच्छी नींद आने में सहायता मिलती है। इससे रक्त परिसंचरण में सुधार होता है और मन को विश्राम मिलता है।

* सुखासन :

इसे करने के लिए आप जमीन पर पैर मोड़ कर आराम से बैठ जाइए। दोनों हाथों की हथेलियों को खोल कर एक-के ऊपर एक रख दीजिए। इस आसन को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा कर के बैठें और उसे बिल्कुल भी ना मोड़े। सुखासन से पैरों का रक्त संचार कम हो जाता है और अतिरिक्त रक्त अन्य अंगों की ओर संचारित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है। यह तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

* वायु मुद्रा :

इससे आपको गैस मुक्त रखने और अपने पेट से अतिरिक्त हवा को बाहर करने में मदद मिलती है। यह आपके शरीर से हवा को रिहा करने में मदद करता है और विभिन्न स्वास्थ्य देती है। यदि आपका मन चिंतित, बेचैन, अति उत्साहित है, और आपका शरीर विभिन्न हार्मोनल असंतुलन महसूस रहा है, यह आपके मन और शरीर को संतुलन में वापस लाने के लिए सबसे अच्छी मुद्रा है।

* सिद्धासन :

इस आसन को करने के लिए दंडासन में बैठकर पैरों को एक दूसरे पर रखें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और अपने हथेलियों को घुटनों पर आराम से रखें। सिद्धासन कूल्हों और रीढ की हड्डी की मजबूती प्रदान करता है। लेकिन इस पूरे आसन के दौरान गहरी सांसें लेना ना भूलें।

* शून्य मुद्रा :

यह उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनको सॉफ सुनने में परेशानी है। इसका उपयोग कानों के उपचार के लिए किया जा सकता है, कान में शोर और आंशिक या पूर्ण बहरापन। यह यात्रा में होनी वाली पाचन संबंधी दिक्कतों को दूर करने में भी आपकी मदद कर सकती है।

* पद्मासन :


संस्कृत शब्द पद्म का अर्थ होता है कमल। इसीलिए पद्मासन को कमलासन भी कहते हैं। ध्यान मुद्रा के लिए यह आसन सबसे अच्छी मुद्रा है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर बैठकर बाएं पैर की एड़ी को दाई जांघ पर इस प्रकार रखते हैं कि एड़ी नाभि के पास आ जाएं। इसके बाद दाएं पांव को उठाकर बाई जांघ पर इस प्रकार रखें कि दोनों एड़ियां नाभि के पास आपस में मिल जाएं। इस मुद्रा का अभ्यास करते सम गहरी सांस लेने का अभ्यास करें।