World Stroke Day 2022: याद कर लें ये लक्षण, स्ट्रोक से पहले दिमाग देता है इशारे

स्ट्रोक एक खतरनाक बीमारी है, जिसके लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। इसलिए इस भयंकर बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाया जाता है। इस साल वर्ल्ड स्ट्रोक डे की थीम है ‘इसके लक्षणों के बारे में जानकारी फैलाना’ ताकि लोग इसके लक्षणों को नजरअंदाज करने की बजाए पहले ही सचेत हो जाएं और उनकी जान बच सके।

स्ट्रोक, जिसे कभी-कभी मस्तिष्क का दौरा भी कहा जाता है यह तब होता है जब आपके मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति बाधित या कम हो जाती है। यह आपके मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से वंचित करता है, जिससे आपकी मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ मिनटों के भीतर ही नष्ट होना शुरू हो जाती हैं। स्ट्रोक से स्थायी मस्तिष्क क्षति, दीर्घकालिक विकलांगता, या यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। मस्तिष्क में ब्लीडिंग भी कुछ मामलों में स्ट्रोक का कारण बन सकता है। स्ट्रोक के दो स्तर होते हैं- मिनि स्ट्रोक और स्ट्रोक। मिनी स्ट्रोक तब होता है, जब क्षति केवल कुछ मिनटों तक रहती है और मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव नहीं छोड़ती है। इसके लक्षण अन्य स्ट्रोक के समान होते हैं और इसे अक्सर आने वाले बड़े स्ट्रोक की चेतावनी के रूप में लिया जाता है। यह जानना बहुत जरूरी है कि स्ट्रोक स्थायी मस्तिष्क क्षति और दीर्घकालिक विकलांगता का कारण बन सकता है।

आपको बता दे, स्ट्रोक एक चिकित्सीय आपातकालीन स्थिति है, जिसमे तत्काल उपचार महत्वपूर्ण है। तत्काल उपचार व प्रारंभिक कार्रवाई मस्तिष्क क्षति और संभावित जटिलताओं को कम कर सकती है। स्ट्रोक का अनुभव करने वाले व्यक्तियों को उनके चेहरे, हाथ या पैरों पर आंशिक पक्षाघात का सामना करना पड़ सकता है। ज्यादातर मामलों में यह शरीर के एक तरफ देखा जाता है। इसे पहचानने के लिए, रोगी को अपने हाथ/पैर ऊपर उठाने या मुस्कुराने के लिए कहा जाता है। ऐसे में आज वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर हम आपको ट्रोक के सभी लक्षणों से अवगत कराने जा रहे हैं...

बात करने और समझने में परेशानी

स्ट्रोक से पहले व्यक्ति को अचानक से भ्रम या बातों को समझने में कठिनाई होती है। ऐसे मामलों में, शांत रहने और संकेतों को सत्यापित करने के लिए एक छोटी-सी जांच करने की सलाह दी जाती है। मरीज को अचानक वाक्य बोलने और संवाद करने में सक्षम नहीं होने के कारण मदद की आवश्यकता हो सकती है।

आंखों की रौशनी जाना

अचानक आंशिक या पूर्ण दृष्टि का चला जाना भी स्ट्रोक से पहले के लक्षण हो सकते है। ऐसा एक या दोनों आंखों में हो सकता है। स्ट्रोक के कुछ मामलों में रोगी की आंखों की रौशनी आ और जा सकती है। जबकि आंशिक दृष्टि हानि कम गंभीर होती है। रेटिनल आर्टरी ऑक्लूशन की वजह से आंख में एक रक्त का थक्का बन जाता है, जिसके कारण स्थायी अंधापन हो सकता है। यह भी स्ट्रोक की वजह से होता है।

संतुलन खो जाना

चक्कर आना, असंतुलन और समन्वय नहीं बैठा पाना भी मस्तिष्क के नुकसान की और संकेत करता है। इससे मरीज को चलना, बैठना और चलना-फिरने में कठिनाई होती है।

गंभीर सिरदर्द

बिना किसी कारण के असहनीय सिरदर्द होना भी स्ट्रोक के लक्षण हो सकते है जिसको नजरंदाज करना हानिकारक हो सकता है। यह दिमाग में कुछ गलत होने का पहला संकेत है। एक स्ट्रोक के बाद ठीक होने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों का समय पर हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है।

मिनी-स्ट्रोक और उनके लक्षणों को हल्के में लेना एक सामान्य बात है और इससे स्ट्रोक के बुरे मामले सामने आते हैं। स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जागरूक और सक्रिय रहना और लगातार परीक्षण करवाना सर्वोत्तम उपचार के लिए आवश्यक है।

स्ट्रोक से बचाव

- रक्तचाप को नियंत्रित रखना स्ट्रोक जोखिम को कम करने में मदद करता है। यदि आपको स्ट्रोक था, तो अपने रक्तचाप को कम करके क्षणिक इस्कीमिक स्ट्रोक या गंभीर स्ट्रोक को रोकने में मदद मिल सकती है। तनाव का प्रबंधन करने से, सही खान पान व स्वस्थ वजन बनाए रखने से, व्यायाम करने से, और सोडियम और अल्कोहल या शराब की मात्रा को सीमित करने से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव करना उच्च रक्तचाप के इलाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

- कोलेस्ट्रॉल और वसा, विशेष रूप से संतृप्त वसा और ट्रांस वसा, आपके धमनियों में फैटी जमावट (प्लाक) को बढाते हैं। ऐसे में स्ट्रोक से बचने के लिए आपको कोलेस्ट्रोल को और वसा के स्तर पर नियंत्रण पाना बेहद जरुरी है। अगर आप आहार से इसे कंट्रोल में नहीं रख सकते है तो आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

- तम्बाकू के प्रयोग से व धूम्रपान करने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में धूम्रपान न करें।

- मधुमेह पर नियंत्रण पाकर भी आप स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकते हैं।

-फलों और सब्जियों से समृद्ध आहार को रोज़ खाने से स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है

- ज़्यादा शराब पीने से उच्च रक्तचाप, इस्केमिक स्ट्रोक और रक्तस्रावी स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, कम शराब पीने से, जैसे कि एक दिन में एक पीना, आइकेमिक स्ट्रोक को रोकने में मदद कर सकता है और आपके रक्त की थक्के की प्रवृत्ति कम कर सकता है। शराब अन्य दवाइयों जो आप ले रहे हैं उनपे दुष्प्रभाव भी डाल सकता है।

- अवैध नशीले पदार्थों से बचें जैसे कोकेन और मेथाम्फेटामाइन, क्यूंकि यह टीआईए या स्ट्रोक के निर्धारित जोखिम कारक हैं। कोकीन रक्त के प्रवाह को कम करता है और धमनियों को पतला कर सकता है।