World AIDS Day: 3 स्टेज में फैलता है एड्स का वायरस, देश में हर दिन 115 लोगों की ले रहा जान, 2021 में भारत में मिले 62 हजार से ज्यादा मरीज

हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मकसद लोगों को एड्स को लेकर जागरूक करना है। एड्स का कारण है HIV या ह्यूमन इम्युनोडिफेशिएंसी वायरस। HIV ऐसा वायरस है, जिसका समय पर अगर इलाज नहीं किया गया तो ये आगे चलकर AIDS की बीमारी बन जाता है। यह वायरस मनुष्य के इम्युन सिस्टम पर हमला करता है और उसे इतना कमजोर कर देता है कि शरीर दूसरा कोई संक्रमण या बीमारी झेलने के काबिल नहीं बचता। जैसा की हमने आपको बताया इसका अभी तक कोई पुख्ता इलाज नहीं मिला है लेकिन कुछ दवाओं की मदद से वायरल लोड को कम किया जा सकता है, जिससे शरीर का इम्युन सिस्टम दोबारा से मजबूत बनाया जा सके। इससे संक्रमित लोगों को एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) दी जाती है, जिससे वायरल लोड कम होता है। अगर समय पर इलाज हो जाए तो काफी मदद मिलती है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो AIDS होने का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर HIV की चपेट में आने के कई सालों बाद AIDS की बीमारी होती है।

1986 में भारत में मिला था पहला मामला

HIV से संक्रमित होने का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध है। कई मामलों में संक्रमित खून के संपर्क में आने से भी संक्रमण हो जाता है। वहीं, बच्चों में ये संक्रमण उनकी मांओं से आ जाता है। HIV का पता 1981 में ही चल गया था, लेकिन भारत में इसका पहला मामला 1986 में सामने आया था। तब चेन्नई की रहने वालीं कुछ सेक्स वर्कर्स इससे संक्रमित पाई गई थी। HIV के संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है।

इसी साल मध्य प्रदेश के रहने वाले एक्टिविस्ट चंद्र शेखर गौर ने एक RTI दायर की थी, जिसके जवाब में नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) ने बताया है कि 10 साल में भारत में 17 लाख से ज्यादा लोग असुरक्षित यौन संबंधों के कारण HIV की चपेट में आ चुके हैं। NACO के मुताबिक, 2011 से 2021 के बीच 15,782 लोग ऐसे हैं जो संक्रमित खून के जरिए HIV पॉजिटिव हुए हैं। जबकि 4,423 बच्चे माओं के जरिए संक्रमित हुए हैं। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 2021 के आखिर तक करीब 3.84 करोड़ लोग ऐसे थे जो इस वायरस से संक्रमित थे। 2021 में दुनियाभर में 6.5 लाख लोगों की मौत का कारण HIV ही था। NACO के मुताबिक, 2021 में भारत में AIDS के 62,967 नए मामले सामने आए थे और 41,968 लोगों की मौत हो गई थी। यानी हर दिन औसतन 115 मौतें। UNAIDS के आंकड़े बताते हैं कि 2021 तक भारत में 24 लाख लोग HIV संक्रमित थे।

HIV से AIDS तक...3 स्टेज में फैलता वायरस

HIV का खतरा असुरक्षित यौन संबंध बनाने और संक्रमित खून के संपर्क में आने से बढ़ जाता है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, HIV से संक्रमित होने पर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे- बुखार होना, गला खराब होना या कमजोरी आना। इसके बाद इस बीमारी में तब तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, जब तक AIDS न बन जाए। AIDS होने पर वजन घटना, बुखार आना या रात में पसीना आना, थकान-कमजोरी जैसे लक्षण दिखते हैं। HIV के AIDS में तब्दील होने में आमतौर पर 3 स्टेज लगती है।

पहली स्टेज

व्यक्ति के खून में HIV का संक्रमण फैल जाता है। इस स्टेज में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि, कई बार संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण दिखाई भी नहीं देते हैं।

दूसरी स्टेज

इस स्टेज में वायरस एक्टिव रहता है लेकिन संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखता। कई बार 10 साल से भी ज्यादा वक्त गुजर जाता है, लेकिन व्यक्ति को दवा की जरूरत नहीं पड़ती। इस दौरान व्यक्ति संक्रमण फैला सकता है। आखिर में वायरल लोड बढ़ जाता है और व्यक्ति में लक्षण नजर आने लगते हैं।

तीसरी स्टेज

अगर सही समय पर HIV का पता लगते ही इलाज शुरू कर दिया जाए तो इस स्टेज में पहुंचने की आशंका बेहद कम हो जाती है। HIV का ये सबसे गंभीर स्टेज है, जिसमें व्यक्ति AIDS से पीड़ित हो जाता है। AIDS होने पर व्यक्ति में वायरल लोड बहुत ज्यादा हो जाता है और वो काफी संक्रामक हो जाता है। अगर इस स्टेज में संक्रमित व्यक्ति को इलाज नहीं मिले तो उसके लिए 3 साल जी पाना भी मुश्किल होता है।

कैसे बचा जाए?

असुरक्षित यौन संबंध बनाने से HIV का संक्रमण फैलने का सबसे अधिक खतरा रहता है। इसके अलावा इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वालों से भी दूर रहना चाहिए। अगर HIV का पता चल जाए तो घबराने की बजाय तुरंत एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (antiretroviral therapy) शुरू करें। एआरटी एचआईवी के लिए प्राथमिक उपचार है, जो एक ‘दवा कॉकटेल’ है, जिसका मतलब है कि रोगी को वायरल लोड के आधार पर हर दिन सात एंटीरेट्रोवायरल दवाओं का संयोजन लेना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एआरटी एचआईवी संचारित करने के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है। WHO के अनुसार, एचआईवी उपचार का मुख्य लक्ष्य किसी व्यक्ति के वायरल लोड को अनडिटेक्टेबल लेवल तक लाना होता है। दवाएं एचआईवी को बड़ी संख्या में गुणा करने या दोहराने से रोकती हैं, जिससे वायरल लोड कम हो जाता है। डब्ल्यूएचओ कहता है कि एचआईवी रोगी को वायरस का पता चलने के तुरंत बाद ART थेरेपी शुरू कर देनी चाहिए।