बैठकर नहीं खड़े होकर करें काम, सेहत के साथ प्रोडक्टिविटी में भी मिलेंगे अच्छे परिणाम

आजकल देखा जाता हैं कि लोग घंटो ऑफिस में बैठकर काम करते हैं जो कि उनकी सेहत के लिए तो नुकसानदायक है ही साथ में इसका असर प्रोडक्टिविटी पर भी पड़ता हैं। जी हां, हाल ही में हुई एक शोध में खुलासा हुआ हैं कि खड़े होकर काम करने वाले डेस्क से न सिर्फ कर्मचारियों के स्वास्थ्य में बढ़ोतरी होगी बल्कि उनकी प्रोडक्टिविटी (उत्पादकता) भी बेहतर होगी। यह शोध अमेरिका में स्थित टैक्सास ए एंड एम हेल्थ साइंस सेंटर स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा की गई।

सभी प्रतिभागी एक कॉल सेंटर के कर्मचारी थे और शोधकर्ताओं ने छह महीनों तक इनकी कार्यशैली की जांच की। इस शोध में पाया गया कि जो लोग खड़े होने वाले डेस्क पर काम कर रहे थे, उनकी उत्पादकता उन लोगों से 46 फीसदी ज्यादा थी जो लोग पारंपरिक तौर से कुर्सी पर बैठकर काम कर रहे थे। हर एक घंटे में कर्मचारी ने कितने कॉल सफलतापूर्वक पूरे किए, इसे उत्पादकता मापने का पैमाना बनाया गया था। इस शोध में पाया गया कि जो लोग खड़े होने वाले डेस्क पर काम कर रहे थे वह बैठने वाले लोगों की तुलना में दिनभर में एक घंटा छह मिनट कम देर तक बैठे।

शोधकर्ता मार्क ब्रेंडन ने कहा, हमें उम्मीद है कि इस शोध से कंपनियों को यह पता चलेगा कि खड़े होकर काम करने वाले वर्क स्टेशन कर्मचारियों की उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए बेहतर होते हैं। हालांकि, इन वर्क स्टेशन को इंस्टॉल करने में थोड़ा खर्च करना पड़ता है। एक बार खर्च कर यह वर्क स्टेशन इंस्टॉल कर देने से कर्मचारियों के साथ कंपनी को भी काफी फायदा हो सकता है।

इस शोध का एक रुचिकर पहलू ये है कि दोनों समूहों के बीच की उत्पादकता का अंतर पहले महीने में कुछ खास ज्यादा नहीं था। वहीं, दूसरे महीने में हमें दोनों की उत्पादकता में काफी अंतर नजर आने लगा। दूसरे महीने की शुरुआत में खड़े होने वाले समूह को स्टैंडिंग वर्क स्टेशन पर काम करने की आदत पड़ने लगी।

शोध में ये भी पता चला है कि खड़े होकर काम करने से कर्मचारियों की बुद्धिमत्ता पर भी कुछ असर पड़ता है। कंपनी की उत्पादकता को बढ़ाने के साथ खड़े होकर काम करने वाले वर्क स्टेशन कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकर सिद्ध हुए। इस दौरान तकरीबन 75 फीसदी कर्मचारियों ने शारीरिक परेशानियों के बारे में कम शिकायत की। छह महीने तक स्टैंडिंग वर्क स्टेशन पर काम करने के बाद लोगों के शरीर में दर्द की शिकायतें भी कम देखने को मिली। शोधकर्ता ग्रेगोरी ने कहा शारीरिक परेशानियों में कमी आने के कारण ही दोनों कर्मचारियों के समूहों की उत्पादकता के बीच में यह अंतर देखने को मिला।