दुनियाभर में अपने पांव पसार चुका कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ था और आज सभी देशों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ हैं। अभी तक इसका इलाज न मिल पाने की वजह से सावधानी ही इसका बचाव हैं। भारत में भी इससे संक्रमित कई लोग पाए गए हैं और तभी से लोगों से सावधानियां बरतने की अपील की जा रही है। हांलाकि कई बार यह सुना गया हैं कि गर्मियां आते ही इस कोरोना का कहर समाप्त हो जाएगा, क्या सच में ऐसा हैं?
इसके फैलने का एक कारण यह है कि ठंड में ज्यादा संख्या में लोग एक स्थान पर रहते हैं, जिससे यदि कोई भी व्यक्ति इस वायरस की चपेट में आता है तो यह बड़े पैमाने पर फैलने लगता है। खासकर खांसते या छींकते हुए यह और तेजी से फैलता है। दरअसल, सर्दियों में सर्दी, खांसी, जुकाम आम होती है। ऐसे में विषाणु आराम से फैलने लगते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि COVID-19 यानी कोरोनावायरस के प्रसार के लिए ठंड का मौसम या कम तापमान अनुकूल होता है।
अक्सर हम देखते हैं कि सर्दी के मौसम में सीजनल फ्लू और कोल्ड वायरस बड़े पैमाने पर फैलता है और जैसे ही गर्मी का मौसम आता है, वायरस अपने आप ही खत्म हो जाते हैं। पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इन्फेक्शियस डिजीज डायनेमिक्स की निदेशक एलिजाबेथ मैकग्रा के अनुसार कोरोना सर्दियों से जुड़ा वायरस है जो कि कम तापमान में ज्यादा फैलता है।
डॉयचे वेले में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, गर्म वातावरण में अपने आप को बचाए रखना विषाणुओं के लिए चुनौती होती है। विषाणुओं पर काम करने वाले वैज्ञानिक थॉमस पीट्समन के मुताबिक कोरोना वायरस बाहरी ओर से चर्बी की परत से घिरा हुआ है। उसकी इस परत के पास गर्मी को झेलने की शक्ति नहीं होती है। जैसे ही तापमान बढ़ने लगता है, वायरस आसानी से खत्म हो जाता है। प्रोटीन और जेनेटिक मेटेरियल से बनी चर्बी की परत वाले कुछ वायरस गर्मी में भ्ज्ञी खुद को जीवित रख सकते हैं, लेकिन कोरोना के लिए यह मुश्किल है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वायरस का आकार 400 से 500 माइक्रोमीटर का होता है। कोरोना वायरस मेटल सरफेस पर 12 घंटे तक जिंदा रह सकता है। वहीं फेब्रिक या कपड़े पर यह 9 घंटे तक जिंदा रह सकता है, जबकि व्यकत्इ के शरीर पर 10 मिनट से ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सकता है। डॉक्टर शरीर का तापमान भी मेंटेन रखने और शरीर की इम्यूनिटी बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं।