कोरोना संक्रमितों की संख्या रिकॉर्ड तोड़ते हुए अब 3 करोड़ को पार कर चुकी हैं और वहीँ भारत में यह आंकड़ा 52 लाख से ऊपर जा चुका हैं। दुनियाभर में इस पर लगाम लगाने के लिए कई वैक्सीन पर काम चल रहा हैं और कई वैक्सीन इसके अंतिम चरण में भी हैं। ऐसे में लोगों के मन में बात आती हैं कि वैक्सीन के आते ही स्थिति सही हो जाएगी और पहले जैसा सामान्य जीवन हो जाएगा। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने जरूरी जानकारी दी हैं और स्थिति को स्पष्ट किया हैं। उनका कहना है कि साल 2022 से पहले पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन का मिल पाना मुश्किल है, जिससे लोग फिर से सामान्य जीवन में लौट सकें।
सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोवाक्स प्लान के तहत अलग-अलग देशों में बराबर रूप से वैक्सीन पहुंचाने का काम किया जाएगा, लेकिन इसके लिए अगले साल के मध्य तक वैक्सीन की करोड़ों खुराक तैयार करनी होंगी और 2021 के अंत तक वैक्सीन की दो अरब खुराक हासिल कर लेने का लक्ष्य रखा जाएगा।
स्वामीनाथन ने कहा कि फिलहाल लोगों को ऐसा लग रहा है कि अगले साल की शुरुआत में दुनिया को वैक्सीन मिल जाएगी और लोग फिर से अपने सामान्य जीवन में लौट पाएंगे जबकि ऐसा है नहीं। 2021 की शुरुआत में तो वैक्सीन के प्रभावी नतीजों को देखना शुरू किया जाएगा और उसके बाद उसके वितरण के बारे में सोचा जाएगा।
स्वामीनाथन ने कहा कि अभी जिन वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं, उनमें कम से कम 12 महीने का वक्त लगेगा। इस दौरान वैक्सीन के प्रभाव और उसके दुष्प्रभावों को देखा जाएगा, क्योंकि लोगों की सुरक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अमेरिका का फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन बहुत जल्द वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए गाइडलाइन जारी करेगा।
इससे पहले हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि हमारे मानदंडों के मुताबिक क्लिनिकल परीक्षण के एडवांस स्टेज पर पहुंची कोई भी वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 50 फीसदी भी असरदार नहीं है। संगठन के प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने कहा था कि एक भी वैक्सीन ऐसी नहीं है जिसे प्रभावी बताया जा सके। उन्होंने यह भी कहा था कि 2021 के मध्य तक भी व्यापक टीकाकरण की कोई उम्मीद नहीं है।