बॉलीवुड और टेलीविजन जगत के जाने माने कलाकार अरुण बाली (Arun Bali) का शुक्रवार को 79 की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से मायस्थेनिया ग्रेविस (Myasthenia Gravis) नामक दुर्लभ बीमारी जंग लड़ रहें थें। उन्होंने मुंबई के हीरानंदानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार अरुण बाली के बेटे ने बताया कि उनके पापा मायस्थेनिया ग्रेविस से पीड़ित थे और उनकी नसों और मांसपेशियों के बीच में सही से संचार नहीं हो पा रहा था। दो-तीन दिन से उनका मूड भी बार बार बदल रहा था। बता दे, अरुण बाली 3 इडियट्स, पीके, केदारनाथ, पानीपत जैसी बहुचर्चित फिल्मों में काम कर चुके हैं। लोग भले ही इन्हें नाम से न जानते हों लेकिन इनके अभिनय की पहचान किसी से छिपी नहीं है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है मायस्थेनिया ग्रेविस बीमारी और यह हमारे शरीर को किस तरह से प्रभावित करती है…।
द लेसेंट की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में हर साल लगभग 700,000 लोग मायस्थेनिया ग्रेविस से प्रभावित होते हैं। हालांकि एमजी न्यूरोमस्कुलर ट्रांसमिशन का सबसे आम विकार है, फिर भी यह एक दुर्लभ बीमारी है।
क्या है मायस्थेनिया ग्रेविसमायस्थेनिया ग्रेविस बीमारी हमारे शरीर की मांसपेशियां को प्रभावित कर उन्हें कमजोर बना देती है। लेकिन यह मांसपेशियों की बीमारी नहीं होती है। दरअसल, इस बीमारी में शरीर के मांसपेशियों और इन तक कार्यो को करने के लिए मस्तिष्क का संदेश पहुंचाने वाली नसों के बीच स्थित जंक्शन में ब्लॉकेज हो जाता है। इस वजह से संदेश के रूप में नर्व प्लसेस मांसपेशियों तक नहीं पहुंच पाता और वह काम करना बंद कर देती है। यह ब्लॉकेज थायमस ग्लेंड के एक्टिव होने से बनने वाले केमिकल का परिणाम होता है। इसलिए इस बीमारी को ऑटोइम्यून कहा जाता है।
मायस्थेनिया ग्रेविस के लक्षण- डबल विजन
- आंखों की पुतली नीचे आ जाना
- हाथ-पैर, शरीर में कमजोरी आना
- चबाने- निगलने में परेशानी
- खाने का नाक के जरिए बाहर आना
- गर्दन में दर्द
- आवाज में बदलाव
- सांस लेने में दिक्कत
- किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाना
बच्चों में मायस्थेनिया के लक्षण- शिशु ठीक से दूध नहीं पी पाता
- बच्चों को आखें खोलने में दिक्कत होती है
- सांस लेने में भी काफी परेशानी होती है
सुबह से रात तक बदलती रहती मरीज की स्थितिएक्सपर्ट बताते हैं कि मायस्थेनिया ग्रेविस का मरीज जब सुबह उठता है, तो उसकी हालत बेहतर होती है। लेकिन जैसे-जैसे वह एक्टिविटी करना शुरू करता उसकी हालत गंभीर होने लगती है।
किन्हें है इसका ज्यादा खतरामेयो क्लिनिक के अनुसार, मायस्थेनिया ग्रेविस पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है। हालांकि सबसे ज्यादा इस बीमारी का खतरा युवा वयस्क महिलाओं (40 वर्ष से कम) और वृद्ध पुरुषों (60 से अधिक) को होता है, लेकिन यह बचपन सहित किसी भी उम्र में हो सकता है। मायस्थेनिया ग्रेविस जेनिटिक या एक से दुसरे व्यक्ति में फैलने की प्रवृति की नहीं होती है।
मायास्थेनिया ग्रेविस कितना गंभीर हैमायस्थेनिक क्राइसिस इस बीमारी का अंतिम चरण होता है। इस स्टेज में मरीज के रेस्पिरेट्री अंग फुलने लगते हैं। इसके वजह से मरीज सांस नहीं ले पाता है, और उसे इमरजेंसी ट्रिटमेंट व वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है। ये स्थिति कई बार जानलेवा साबित होती है।
क्या मायस्थेनिया ग्रेविस ठीक हो सकता है?मायस्थेनिया एक जटिल बीमारी है और फिलहाल अभी इसका कोई कारगर इलाज नहीं है, लेकिन सही इलाज से इसके संकेतों और लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। आमतौर पर इस बीमारी में कमजोरी सबसे ज्यादा महसूस होती है। इसमें हाथ या पैर की मांसपेशियों की कमजोरी, दोहरी दृष्टि, पलकें झपकना और बोलने, चबाने, निगलने और सांस लेने में कठिनाई की समस्या का कम करना शामिल है। इसलिए यह जरूरी है कि इससे पीड़ित लोग जितना संभव हो सके आराम करें। मायस्थेनिया ग्रेविस होने पर मरीज को फिजिकल एक्टीविटी बंद कर देनी चाहिए। ऐसे मरीज के साथ एक साथी होना जरूरी है ताकि वह पीड़ित मरीज की मदद कर सके।