'कोरोना वायरस' मरीज के लिए आखिर क्यों इतना जरूरी हैं वेंटिलेटर, आइये जानें

वर्तमान समय में कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए एक परेशानी बना हुआ हैं और संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा हैं। ऐसे में सभी देश इसको रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और निकट भविष्य में आने वाली परिस्थिति को संभालने के लिए वेंटिलेटर की समुचित व्यवस्था पर ध्यान दे रहे हैं। 'कोरोना वायरस' मरीज के लिए वेंटिलेटर बहुत अहम भूमिका निभाता हैं। हांलाकि ऐसा नहीं हैं कि हर कोरोना मरीज के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, कोविड-19 के लगभग 80% मरीज ऐसे हैं जो बिना अस्‍पताल में इलाज के ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन, छह में से एक व्‍यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो जाता है और उसे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। कोरोना के जो 5 से 10 प्रतिशत गंभीर मामले होते हैं उनमें आईसीयू केयर और वेंटिलेटर की जरूरत होती है। इसलिए, तमाम देश वेंटिलेटर की व्‍यवस्‍था कर रहे हैं।

किसी संक्रमण के सबसे बुरे प्रभाव वाले रोगियों के लिए वेंटिलेटर मरीज के जीवित रहने का एक जरिया बन सकता है। दरअसल, जब कोरोना वायरस या अन्‍य रोग फेफड़ों को विफल (Lung Failure) कर देते हैं तो एक वेंटिलेटर शरीर की सांस लेने की प्रक्रिया को मैनेज करता है। इससे मरीज को संक्रमण से लड़ने और ठीक होने का समय मिल जाता है। विभिन्न प्रकार की चिकित्सा में वेंटिलेशन का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं कि मरीज की जान बचाई जा सकती है।

गंभीर मामलों में, वायरस फेफड़ों (Lungs) को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) इसका पता लगाती है और रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) का विस्तार करती है ताकि अधिक प्रतिरक्षा कोशिकाएं प्रवेश करें। लेकिन, इसके कारण द्रव (Fluid) फेफड़ों में प्रवेश कर सकता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और शरीर का ऑक्सीजन स्तर (Oxigen Level) गिर सकता है।

इसे कम करने के लिए, वेंटिलेटर का उपयोग हवा को धकेलने के लिए किया जाता है, जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है। वेंटिलेटर में एक ह्यूमिडिफायर (Humidifier) भी होता है, जो मरीज को हवा में गर्मी और नमी प्रदान करता है। यह मरीज के शरीर के तापमान से मेल खाता है। सांस की मांसपेशियों को आराम देने के लिए मरीजों को दवा दी जाती है ताकि उनकी सांस को मशीन द्वारा पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सके।

कोरोना वायरस में मौत का सबसे बड़ा कारण फेफड़ों की विफलता है, और जब लंग्‍स फेल हो जाते हैं, उनमें एयर की जगह पानी भर जाता है, ऐसे में ऑक्‍सीजन बॉडी में नहीं पहुंचती है। इसी वजह से हमें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। ये लंग्‍स के काम को सरल बनाता है, वह हमारी बॉडी को ऑक्‍सीजन देता है और कार्बन डाई ऑक्‍साइड निकालने का काम करता है, इसके साथ ही वह हार्ट और दूसरे ऑर्गन को भी आराम पहुंचाता है।