महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाती हैं मेनोपॉज से जुड़ी ये बातें

आमतौर पर माना जाता हैं की महिलाओं में हार्ट अटैक की समस्या कम होती हैं। लेकिन ऐसा मानना बहुत गलत हैं क्योंकि खतरा महिलाओं को भी उतना ही होता हैं। महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा मेनोपॉज से बी जुदा होता हैं। जी हाँ, आमतौर पर 45 की उम्र के बाद ही महिलाओं में मेनोपॉज की शुरुआत होती है। हांलाकि कुछ महिलाओं को 40 की उम्र से पहले भी मेनॉपॉज हो जाता है। जिन महिलाओं के साथ मेनोपॉज 40 की उम्र या इसके आस-पास ही शुरू हो जाता है, उन महिलाओँ में हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा सामान्य महिलाओं की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिन महिलाओं में 40 की उम्र या इससे पहले मेनॉपॉज हो जाता है, आमतौर पर ये महिलाएं अपनी उम्र के 60वें दशक में कार्डियोवस्कुलर और डायबीटीज जैसी क्रॉनिक डिजीज का शिकार होती हैं। जबकि जिन महिलाओं को 50 साल की उम्र के बाद मेनोपॉज की शुरुआत होती है, उनमें 60 साल की उम्र और इसके आस-पास गंभीर बीमारियां कम ही होती हैं।

पिछले दिनों 'ह्यूमन रीप्रॉडक्शन' जर्नल में प्रकाशित डेटा के आधार पर एक्सपर्टस द्वारा यह कहा गया 20 साल तक चले एक शोध के बाद यह बात सामने आई है कि जिन महिलाओं में सामान्य प्रक्रिया के साथ सही उम्र में रजोनिवृत्ति हो जाती है, उन्हें 11 खतरनाक बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ता है। इनमें विशेषतौर पर महिलाओं में होनेवाला जानलेवा ब्रेस्ट कैंसर भी शामिल है। इसके अतिरिक्त समय पर मेनोपॉज हो जाने से महिलाओं में गठिया, हार्ट से संंबंधित बीमारियां, ऑस्टियोपोरोसिस, अस्थमा और डिप्रेशन जैसे रोग होने का खतरा भी कई गुना कम हो जाता है।

आमतौर पर यह बात कही जाती है कि विकासशील और गरीब देशों की तुलना में संपन्न और विकसित देशों की महिलाओं मेनोपॉज के बाद अपने जीवन के करीब एक तिहाई हिस्से को बहुत ही अच्छी तरह से इंजॉय करती हैं। यह बात सेहत से संबंधित स्थितियों को ध्यान में रखकर कही जाती है। हालांकि पूरे 20 साल तक चले इस शोध में सामने आया कि जिन महिलाओं में प्रीमेच्योर मेनोपॉज हो जाता है, उनमें मेनोपॉज के बाद होनेवाली दिक्कतें यानी मल्टीमोर्बिडिटी अधिक और गंभीर रूप में देखने को मिलती हैं।

हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि मल्टीमॉर्बिडिटी मिड ऐज और उम्रदराज महिलाओं में होना एक सामान्य प्रक्रिया की तरह है। लेकिन चिंता की बात यह है कि प्रीमेच्यॉर मेनॉपॉज इन महिलाओं में मल्टीमॉर्बिडिटी की समस्या को कई गुना अधिक कर देता है। इसलिए एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो महिलाएं प्राकृतिक तौर पर मेनॉपॉज की स्थिति से गुजर रही हों, उन्हें भी डॉक्टर्स से समय-समय पर अपनी सेहत को लेकर सुझाव लेते रहना चाहिए। ऐसा करने से निकट भविष्य में किसी खतरनाक बीमारी की आशंका को दूर किया जा सकता है। साथ ही यदि किसी बीमारी को उसके प्रारंभिक लक्षणों के साथ ही पहचान लिया जाए तो उसका उपचार और निदान सरल होता है।