चमकी बुखार बन रहा है बच्चों की जान का दुश्मन, इसका पता लगने पर बरतें ये सावधानियाँ

आपने वर्तमान समय में चमकी बुखार का नाम तो सुना ही होगा जो बिहार में बच्चों के लिए काल बन रही हैं और उनकी जान की दुश्मन बन रही हैं। चमकी बुखार, मस्तिष्क ज्वर का एक रूप हैं जिसमें शरीर की इम्युनिटी कम होने लगती हैं। इस संक्रामक बीमारी में वायरस खून के साथ मिलकर मस्तिष्क में जाता हैं और कोशिकाओं में सूजन आने लगती हैं। इस बीमारी की वजह से कई बच्चे की मौत हो चुकी हैं। इसलिए आज हम आपके लिए चमकी बुखार से जुड़ी कुछ सावधानियाँ लेकर आए हैं जिनका ध्यान रखना बहुत जरूरी हैं।

बुखार आने पर क्या करें

- बच्चे को तेज बुखार आने पर उसके शरीर को गीले कपड़े से पोछते रहें।ऐसा करने से बुखार सिर पर नहीं चढ़ेगा।
- पेरासिटामोल की गोली या सिरप डॉक्टर की सलाह पर ही रोगी को दें।
- बच्चे को साफ बर्तन में एक लीटर पानी डालकर ORS का घोल बनाकर दें। याद रखें इस घोल का इस्तेमाल 24 घंटे बाद न करें।
- बुखार आने पर रोगी बच्चे को दाएं या बाएं तरफ लिटाकर अस्पताल ले जाएं।
- बच्चे को बेहोशी की हालत में छायादार स्तान पर लिटाकर रखें।
- बुखार आने पर बच्चे के शरीर से कपड़े उतारकर उसे हल्के कपड़े पहनाएं। उसकी गर्दन सीधी रखें।

बुखार आने पर क्या न करें

- बच्चे को खाली पेट लीची न खिलाएं।
- अधपकी या कच्ची लीची का सेवन करने से बचें।
- बच्चे को कंबल या गर्म कपड़े न पहनाएं।
- बेहोशी की हालत में बच्चे के मुंह में कुछ न डालें।
- मरीज के बिस्तर पर न बैठें और न ही उसे बेवजह तंग करें।
- मरीज के पास बैठकर शोर न मचाएं।