पेट दर्द की समस्या में आराम दिलाएंगे ये 10 आसन, दिनचर्या में करें शामिल

वर्तमान समय की लाइफस्टाइल बेहद अनिश्चित होती जा रही हैं जिसकी वजह से खाने-सोने जैसी आम चीजों में भी अव्यवस्था देखने को मिल रही हैं और इसका सीधा असर आपके पाचन और पेट पर पड़ रहा हैं। ऐसे में कई बार पेट में उठी समस्याओं जैसे गैस, कब्ज या अपच से परेशान होने के साथ ही पेट दर्द का सामना करना भी पड़ जाता हैं। पेट दर्द में अक्सर लोग पेन किलर का इस्तेमाल करते हैं जो सेहत को और नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए आप योग की मदद ले सकते हैं जो प्राकृतिक तौर पर पेट की समस्याओं को दूर करते हुए दर्द में राहत दिलाए। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे ही योगासन बताने जा रहे हैं जो पेट दर्द में आराम दिलाएंगे। आइये जानते हैं इनके बारे में...

भद्रासन

यह आसान पेट में होने वाले किसी भी तरह अकड़न या तनाव को कम करने में मददगार है। इसे करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पैरों को सामने की तरफ फैला कर सीधे बैठें और अपने हाथों को कूल्हे के पास रखें। ध्यान रखें आपके शरीर का वजन हाथों पर न पड़े। इस मुद्रा को दंडासन कहा जाता है। अब दंडासन की स्थिति में धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने पैरों के तलवों को आपस में जोड़ें। अब हाथों को अपने पैरों के अंगूठों पर कसें और धीरे धीरे अपने दोनों पैरों की एड़ियों को जितना संभव हो उतना मूलाधार के पास लाएं। अगर ऐसा करते समय आपकी जांघें जमीन को न छू रही हों तो आप उनके नीचे तकिया रखकर उन्हें सहारा दे सकते हैं। भद्रासन विराम आसन है यानी लंबे समय तक बैठे रहने की मुद्रा। इसलिए अब इस मुद्रा में आंख बंद करके सामान्य रूप से सांस लें और छोडें। कुछ समय तक इस अवस्था में स्थिर रहें। अब अपनी आंखें खोलें और धीरे-धीरे सांस अंदर लेते हुए और अपने पैरों को सामने की तरफ फैलाते हुए दंडासन की मुद्रा में कुछ समय तक आराम करें।

पार्श्व सुखासन

पेट दर्द को कम करने के लिए रोजाना पार्श्व सुखासन का अभ्यास करना फायदेमंद हो सकता है। इस योगासन को करके पेट की सूजन व गैस को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही पाचन भी बेहतर होता है। पार्श्व सुखासन करने के लिए सबसे पहले साफ जगह पर योग मैट बिछा लें। अब सुखासन में यानी दोनों पैरों को क्रॉस करके आराम से बैठ जाएं। अब बाएं हाथ को हवा में उठाएं और दाएं हाथ को पैरों से दूर जमीन पर रखें। इसके बाद दाहिनी तरह कमर से झुक जाएं। कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहते हुए सामान्य गति से सांस लेते रहें। इसके बाद सीधे हो जाएं और ऐसा ही बाईं तरफ से करें। इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहरा सकते हैं।

मलासन

जरूरत से ज्यादा खाना खा लेने के बाद पेट भारी लगने लगता है और पाचन शक्ति भी खराब हो जाती है। इस समस्या से निजात पाना है तो आपको मलासन का अभ्यास करना चाहिए। अक्सर गैस व कब्ज से परेशान रहने वालों के लिए ये आसन काफी राहत दे सकता है। यह योग आपके पेट और पीठ के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके अलावा यह हमारे मन को भी शांत करता है। इसे स्क्वाट मुद्रा भी कहते हैं। इसके लिए सबसे पहले एक मैट पर सधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच कम से कम डेढ़ फीट की दूरी रखें। अब दोनों हाथ उपर उठाते हुए जोड़ें और प्रार्थना की मुद्रा बनाएं। इसके बाद धीरे-धीरे इसी मुद्रा में नीचे की ओर बैठें। इसी तरह ऊपर नीचे उठे और बैठें इस दौरान ध्यान रखें कि आपका धड़ आपके दोनों जांघों के बीच फंसा रहे। एक बार में कम से कम 1 मिनट के लिए इस मुद्रा में बने रहें।

भुजंगासन

भुजंगासन करने से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं, बॉडी टोन भी होती है। इस आसन को करने से पाचन में सुधार होता है। गैस, अपच और कब्ज की वजह से होने वाले पेट दर्द में भी आराम मिलता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं। पूरे शरीर को बिल्कुल सीधा रखें और पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाकर रखें। इसके बाद हाथों को कोहनी से मोड़कर हथेलियों को कंधों के पास जमीन पर रखें। अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे हाथों के सहारे नाभि तक के हिस्से को ऊपर उठाएं। फिर जितना संभव हो सके सिर को पीछे की तरफ ले जाएं। कुछ देर इसी अवस्था में रहते हुए सामान्य गति से सांस लेते रहें और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं। इस योगासन को 4-5 बार दोहरा सकते हैं।

उदराकर्षणासन

उदराकर्षणासन शंख प्रक्षालन की क्रिया से जुड़ा हुआ है। योग में षट्कर्म की एक क्रिया है, जिसका नाम है शंखप्रक्षालन। जो पेट के लिए फायदेमंद होती है। इसे करने के लिए सबसे पहले घुटने मोड़कर, दोनों पैरों की एड़ी और पंजों पर बैठ जाएं और हाथों को घुटनों पर रख लें। अब गहरी सांस भरें फिर सांस निकालते हुए दाहिने घुटने को बाएं पंजे के पास जमीन पर टिकाएं और बाएं घुटने को छाती की ओर दबाएं। ऐसा करने से बाई जंघा पेट पर दबाव डालने लगेगी। अब पूरा शरीर गर्दन सहित बाईं ओर घुमा दें। ऐसी स्थिति में दायां घुटना बाएं पंजे के पास रहेगा। यथाशक्ति आसन को रोक कर रखें, फिर सांस भरते हुए सामान्य अवस्था में लौट आएं। इसी प्रकार दूसरे पैर से भी कर लें। अधिकतम फायदा लेने के लिए 4-6 बार इसका अभ्यास कर लें।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने से पेट दर्द में आराम मिल सकता है। इससे पेट के अंदरूनी अंगों में खिंचाव महसूस होता है। साथ ही पाचन में सुधार होता है और गैस व कब्ज से छुटकारा मिलता है। इसलिए, पेट दर्द होने पर अर्ध मत्स्येन्द्रासन किया जा सकता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले योग मैट पर सुखासन में बैठ जाएं। अब बाएं पैर के तलवे को दाएं पैर के घुटने या जांघ के ऊपर से पार करके जमीन पर रखें। इस दौरान दाहिने पैर का तलवा बाएं नितंब के अंदर की तरफ होगा। फिर दाएं हाथ को मोड़कर कोहनी को बाएं घुटने के बाहर रखें। सिर को बाईं तरफ घुमाएं और बाईं हथेली को बाएं नितंब के पास रखें। इस स्थिति में कुछ देर बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें। इस दौरान रीढ़ की हड्डी, पीठ को बिल्कुल सीधा रखें। फिर सामान्य अवस्था में वापस आकर इस प्रक्रिया को दाईं तरफ से करें। इसे 3-5 बार दोहराया जा सकता है।

नौकासन

पेट दर्द और एसिडिटी की समस्या के लिए नौकासन काफी फायदेमंद माना जाता है। नौकासन करते समय हमारे शरीर का आकार नौका यानि नाव के समान रहता है। इस योग का अभ्यास करने से वजन को नियंत्रित किया जा सकता है साथ ही कमर दर्द से भी छुटकारा पाया जा सकता है। नौकासन करने के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए। अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर ध्यान दें। अब आप सांस लेते हुए अपने सिर, पैर, और पुरे शरीर को 30 डिग्री पर उठायें। ध्यान रहे आपके हाथ ठीक आपके जांघ के ऊपर हो। जब अपने शरीर को नीचें लाना हो तो लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सतह की ओर आएं।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन

पेट के लिए सुप्त मत्स्येन्द्रासन करना काफी लाभकारी होता है। इस योगासन से कब्ज और सूजन की वजह से होने वाले पेट दर्द में आराम मिल सकता है। इससे पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। इस आसन के नियमित अभ्यास से गैस व अपच भी दूर होती है। यह पीठ के निचले हिस्से को भी स्ट्रेच करता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कंधों की सीध में दोनों तरफ फैला लें। दाएं पैर को घुटनों से मोड़ लें। इसके बाद दाएं पैर को बाएं घुटने पर टिका लें। अब सांस छोड़ते हुए पीठ को बाईं तरफ मोड़ लें, ताकि दायां घुटना जमीन से स्पर्श कर सके और सिर को दाईं तरफ मोड़ें। इस अवस्था में आपका सिर और शरीर अलग-अलग दिशा में मुड़े हुए होने चाहिए। इस मुद्रा में 30-60 सेकंड तक रुकें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। फिर ऐसा ही दूसरी तरफ से करें। इस प्रक्रिया को 4-5 बार दोहरा सकते हैं।

विपरीत करनी आसन

यह योगासन हमारे पेट के दर्द को कम करने के साथ हूँ स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसे करने के लिए दीवार के करीब बैठकर अपने पैरों को फर्श पर रखें। अपनी पीठ के बल लेटें और पैरों को दीवार से लगाकर सीधा करें। अब दीवारों के सहारे अपने पैरों को ऊपर उठाएं। अब धीरे-धीरे अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं। अपने शरीर को अपने हाथों से सपोर्ट करें। अपनी गर्दन, कंधे और चेहरे को स्थिर रखें। इस अवस्था में 5 मिनट तक गहरी सांस लें और सांस छोड़ें।

पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन पीठ के निचले हिस्से के तनाव को दूर करता है। इस आसन को करने से अपच नहीं होता और मल त्याग की प्रक्रिया सही रहती है। पेट दर्द को कम करने के लिए भी पवनमुक्तसान किया जा सकता है। इसे करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को बिल्कुल सीधा रखें। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए शरीर के पास लेकर आएं। फिर हाथों से घुटनों को पकड़ लें और सांस लेते हुए धीरे-धीरे उन्हें छाती के पास लेकर आएं। इसके बाद सांस छोड़ते हुए सिर को घुटने से लगाने का प्रयास करें। कुछ देर इसी स्थिति में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें। फिर सांस लेते हुए सिर को नीचे ले आएं और पैरों को भी सीधा कर लें। पेट दर्द होने पर इस आसन को 3-5 बार दोहराया जा सकता है।