रिसर्च में हुआ खुलासा, देर से सोने वाले किशोरों में बढ़ रहा इस बीमारी का खतरा

आज के समय में देखा जाता हैं कि युवा वर्ग की दिनचर्या बेहद अव्यवस्थित हो चुकी हैं और उनके सोने और उठने के वक्त का कोई हिसाब नहीं हैं। किशोरों में देखा गया हैं कि वे रात को लंबे समय तक किन्हीं कारणों की वजह से सो नहीं पाते हैं। ऐसे में यह उनके लिए खतरे की घंटी हैं क्योंकि एक अध्ययन में खुलासा हुआ हैं कि देर से सोने वाले किशोरों में अस्थमा और एलर्जी का खतरा बढ़ता जा रहा हैं। जो किशोर रात में देर तक जागते हैं और सुबह देर तक सोते हैं, उनमें एलर्जी और अस्थमा (Asthma And Allergies) का खतरा काफी बढ़ जाता है वो भी उन लोगों की तुलना में जो लोग समय पर सोते और जागते हैं।

ईआरजे ओपन रिसर्च नामक एक पत्रिका में प्रकाशित हुए इस अध्ययन का नेतृत्व और नेतृत्व अलबर्टा विश्वविद्यालय, डॉ. सुभब्रता मोइत्रा की ओर से किया गया था, जो कि कैनेडा के विश्वविद्यालय में फुफ्फुसीय चिकित्सा विभाग से है। डॉ. मोइत्रा ने बार्सिलोना इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ, स्पेन में किया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस अध्ययन में नींद की अहमियत को देखते हुए भारत के पश्चिम बंगाल में 13 और 14 साल की उम्र के 1684 किशोरों ने इसमें हिस्सा लिया था।

अध्ययन के दौरान सभी किशोरों से सवाल किया गया कि वे सुबह किस समय उठना पसंद करते हैं, वे किस समय थके हुए महसूस करते हैं या कब नींद लेते हैं आदि के बारे में पूछा गया। इसके साथ ही इन सभी सवालों से जुड़ा हुआ एक सवाल पूछा गया कि क्या वे अस्थमा, एलर्जी (Asthma And Allergies) जैसे नाक बहना और छींकना महसूस करते हैं। इसके बाद शोधकर्ताओं ने सभी किशोरों के लक्षणों की तुलना उनकी नींद से की और दूसरे सभी कारकों पर भी ध्यान डाला, जो अस्थमा के लक्षण और परिवार में धूम्रपान किया जाता है। ऐसे में शोधकर्ताओं को पाया गया कि किशोरों में देर से सोने और देर से उठने वाले किशोरों में अस्थमा और एलर्जी का खतरा ज्यादा है।

शोधकर्ताओं का इस अध्ययन में खुलासे के बाद कहना है कि 'हमारे परिणामों का सुझाव ये है कि सोने का समय और किशोरों में अस्थमा और एलर्जी (Asthma And Allergies) के बीच में एक गहरा संबंध है। हालांकि हम इस बात को लेकर काफी निश्चित नहीं हो सकते कि देर से सोने के कारण अस्थमा हो सकता है, लेकिन हम जानते हैं कि स्लीीप हार्मोन्स मेलाटोनिन अक्सर देर से सोने वालों में सिंक से बाहर हो जाते हैं और इससे एलर्जी और अस्थमा की प्रतिक्रिया प्रभावित हो सकती है।'