क्या आपको भी हैं रातभर ईयरबड्स लगाकर सोने की आदत, जानें इससे होने वाले नुकसान

आजकल की लाइफस्टाइल में देखने को मिलता हैं कि बच्चा हो या बड़ा, वह अपने कानों में ईयरबड्स लगाकर म्यूजिक या साउंड का आनंद उठाना पसंद करता हैं। रात को सोने से पहले ईयरबड्स लगाकर OTT पर फिल्में देखने का चलन बहुत बढ़ गया है। कई लोग तो ऐसा करते हुए सो जाते हैं और रातभर ईयरबड्स उनके कान में ही लगे रह जाते हैं। इन सबके बीच हमारा ध्यान इस बात से हट रहा है कि ईयरफोन हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है। जी हां, इसका ज्यादा इस्तेमाल करने से हमारे कान और दिमाग पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। आज इस कड़ी में हम आपको ईयरबड्स के अधिक इस्तेमाल से होने वाले नुकसान और उनसे बचने के तरीके बताने जा रहे हैं। आइये जानते है इनके बारे में...

ईयरबड्स से कान को होने वाले नुकसान

सुनने की क्षमता खो देना

अगर कोई व्यक्ति पूरी रात कानों में ईयरबड्स लगाकर गाने सुनता है और उसकी वॉल्यूम बहुत तेज है, तो इससे सुनने की क्षमता पर बहुत बुरा असर पड़ता है। विशेषकर, जब कोई रोजाना ऐसा करता है, तो एक समय बाद कानों में दर्द की समस्या शुरू हो सकती है, जो धीरे-धीरे पूरी तरह सुनने की क्षमता को खत्म कर सकती है।

ब्रेन पर असर

बहुत लंबे समय तक हेडफोन को लगाने से इसका असर हमारे ब्रेन पर भी पड़ता है। दरअसल, ईयरफोन या हेडफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स ब्रेन को प्रभावित करती है। कई बार ईयरफोन के अधिक इस्तेमाल से आवाज आने का भ्रम होने लगता है।

कानों में बीप की आवाज आना

कानों में ईयरबड्स होने के कारण, कानों में ब्लड फ्लो प्रभावित होता है और कानों में एक किस्म का स्ट्रेस पैदा हो जाता है। अगर बीच-बीच में कानों को ईयरबड्स से गैप नहीं दिया गया, तो एक समय के बाद कानों में लंबी बीप की आवाज सुनाई दे सकती है। आपको बता दें, इस स्थिति टिनिटस कहा जाता है, जिसका कोई स्थाई इलाज नहीं है।

ईयर इन्फेक्शन

कई बार लोग एक दूसरे से हेडफोन एक्सचेंज भी करते हैं, ऐसा करने से ईयरफोन स्पंज के जरिए बैक्टीरिया एक इंसान से दूसरे इंसान में चले जाते हैं, ऐसे में कान में इंफेक्शन की संभावना रहती है। अगर आप भी किसी के साथ ईयरफोन एक्सचेंज करते हैं तो यूज से पहले ईयर स्पंज को जरूर साफ कर लें।

कानों में वैक्स का जमना

कानों में वैक्स बनना एक प्राकृतिक प्रकिया है। कानों में मौजूद वैक्स, कानों को बाहरी गंदगी, कीड़े-मकोड़े से बचाने के काम आते हैं। यहां तक कि वैक्स की मदद से कान के अंदर नमी भी नहीं बनती, जिससे ईयरड्रम सुरक्षित रहते हैं। वहीं, अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक ईयरबड्स पहनता है, तो इससे कानों की वैक्स अंदर की ओर खिसक सकती है, जो कि कान के लिए सही नहीं है। इस वजह से कानों में घंटियों की आवाज सुनाई दे सकती है, खुजली और सूखेपन की समस्या भी हो सकती है।

चक्कर आना

चाहे आप म्यूजिक सुनते हों या ईयरफोन लगाकर बात करते हों, इसका यूज लिमिट में ही करें। इसकी तेज आवाज से ईयर कैनल में दबाव पड़ता है। जिससे आपको चक्कर महसूस हो सकते हैं।

कैसे रखें अपने कानों का ध्यान

नॉइज़-कैंसलेशन वाले हेडफ़ोन का इस्तेमाल करें

अधिकांश लोग बाहरी आवाज से बचने के लिए हेडफोन के वॉल्यूम को मैक्सिमम कर लेते हैं। ऐसे में मैक्सिमम वॉल्यूम से होने वाले नुकसान से बचने के लिए नॉइज़-कैंसलेशन हेडफोन का इस्तेमाल करना उचित रहेगा। यह स्पेशल डिवाइस लोगों को काफी ज्यादा पसंद आ रहा है। यज बाहरी आवाज को ब्लॉक कर देता है और आप मिनिमम वॉल्यूम में भी अपनी म्यूजिक को इंजॉय कर सकती हैं।

ईयरबड्स की जगह हेडफोन को दें प्राथमिकता

डॉक्टर के अनुसार यदि आप के लिए हेडफोन, इयरबड्स और इयरफोन जैसे डिवाइस को इस्तेमाल करना जरूरी है। तो ऐसे में हमेशा हेडफोन का इस्तेमाल करें। क्योंकि यह ईयरबर्ड्स और ईयरफोन की तुलना में कम हानिकारक होता है।

ब्रेक लेने के साथ वॉल्यूम लिमिट सेट करें

नॉइज इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। बहरहाल, इसका मतलब यह नहीं है कि आप दोबारा कभी अच्छी तरह से सुन नहीं सकती। परंतु सचेत रहना बहुत जरूरी है। ऐसे में हेडफोन का इस्तेमाल करते हुए एक उचित समय के बाद इसे निकाल कर रख दें। साथ ही मैक्सिमम वॉल्यूम के 60% वॉल्यूम से अधिक पर म्यूजिक न सुनें।