ना करें सीने में उठे दर्द को एसिडिटी मानने की गलती, जरूर कराएं ये 7 टेस्ट

अक्सर देखने को मिलता हैं कि कई लोगों को सीने में दर्द की शिकायत रहती हैं जिसे सामान्य तौर पर एसिडिटी की वजह से उठने वाला दर्द माना जाता हैं। लेकिन यह आपके दिल से जुड़ी बीमारी भी हो सकती हैं जो गंभीर होने पर हार्ट अटैक में भी तब्दील हो सकती हैं। कई लोग हार्ट अटैक और गैस के दर्द में अंतर नहीं कर पाते हैं और कई बार इससे भविष्य में भारी क्षति का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जरूरी हैं कि शुरूआती लक्षण दिखते ही सतर्क हुआ जाए और समय रहते जरूरी चिकित्सकीय जांच कराई जाए। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे टेस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं जो सीने में दर्द के सही कारणों का पता लगाने में आपकी मदद करेंगे। अगर आपके सीने में दर्द रहता है तो यहां बताए जा रहे टेस्ट जरूर करवाएं।

ईसीजी

ईसीजी हृदय की जांच करने के लिए एक सबसे आसान टेस्ट है। इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति को कोई परेशानी या दिक्कत महसूस नहीं होती है। ईसीजी के जरिए हृदय के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को रिकॉर्ड किया जा सकता है। इसमें पता चलता है कि हृदय सही से कार्य कर रहा है या नहीं। इस टेस्ट में डॉक्टर दिल की धड़कनों के जरिए हृदय रोगों का पता लगाते हैं। हर किसी को एक साल में ईसीजी टेस्ट करवा लेने चाहिए ताकि आप हृदय रोगों से बचे रहें। इसके जरिए समय रहते पता चल जाता है कि आपको हृदय से संबंधित कौन सी बीमारी है या भविष्य में हो सकता है। इससे समय रहते अपना इलाज करवा कर हार्ट अटैक के कारण होने वाली असमय मृत्यु से बचे रह सकते हैं।

ब्लड टेस्ट

हार्ट हेल्थ के बारे में जानने के लिए आप अपना ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं। ब्लड टेस्ट से मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने के बारे में पता चल सकता है। इसके अलावा जब दिल का दौरा पड़ता है, जो शरीर आपके रक्त में पदार्थ छोड़ता है। रक्त में अन्य पदार्थों को मापने के लिए ब्लड टेस्ट किया जा सकता है। ब्लड टेस्ट से शरीर के अंदर सोडियम, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, विटामिन और मिनरल्स को नापा जा सकता है।

इको टेस्ट

हृदय के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए इको टेस्ट भी किया जा सकता है। इको टेस्ट को इकोकार्डियोग्राम भी कहा जाता है। इको एक तरह का अल्ट्रासाउंड होता है। इससे देखा जाता है कि हृदय की धड़कने और पंप कैसे काम कर रहा है। इको टेस्ट से ध्वनि तरंगों से हृदय के अंदर की तस्वीरों को देखा जा सकता है। हृदय मं चली रही गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है। यह टेस्ट काम के समय दिल की विभिन्न संरचनाओं को देखने और उनका मूल्यांकन करने में डॉक्टरों की मदद करता है। हार्ट वाल्व में खून के बहाव की जांच करने के लिए इको टेस्ट के साथ अक्सर डॉपलर अल्ट्रासाउंड और कलर डॉपलर अल्ट्रासाउंड टेस्ट को संयोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

कोलेस्ट्रॉल टेस्ट

बॉडी में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल होता है, एक गुड और दूसरा बैड। बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ जाने से हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाता है। कोलेस्ट्रॉल को एमजी/डीएल में मापा जाता है। अगर आपका कुल कॉलेस्ट्रॉल 200 एमजी/डीएल या इससे ज्यादा आता है तो डॉक्टर आगे का इलाज कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि नसों में कोलेस्ट्रॉल का लेवल जांचने के लिए टेस्ट कराना एकमात्र सरल उपाय है। जाहिर है इसकी कम मात्रा आपको दिल के रोगों से बचा सकती है। इस टेस्ट को कराने से आपको खून की नसों में एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल, कुल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का लेवल पता करने में मदद मिल सकती है।

कार्डियक सीटी स्कैन

कार्डियक सीटी स्कैन हृदय और चेस्ट के चारों तरफ की तस्वीरों को लेता है। सीटी स्कैन से डॉक्टर व्यक्ति को हृदय से जुड़ी समस्या किस कारण से हो रही है, इस बारे में पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट के लिए व्यक्ति को मशीन के अंदर टेबल पर लिटा दिया जाता है। इसके बाद इस टेबल के अंदर लगी एक्स-रे ट्यूब हृदय के आसपास के तस्वीरों को लेता है और समस्या का सही कारण पता चलता है।

चेस्ट एक्स-रे

जब किसी व्यक्ति को सांस लेने से संबंधित कोई दिक्कत होती है, तो डॉक्टर चेस्ट एक्स-रे करवाने की सलाह दे सकते हैं। चेस्ट एक्स-रे करवाने से चेस्ट, हृदय की तस्वीरों को देखा जाता है और सांस की तकलीफ की असली वजह का पता चल पाता है। चेस्ट एक्स-रे को कम रेडिएशन के साथ किया जाता है।

हॉल्टर मॉनिटरिंग

हॉल्टर मॉनिटरिंग टेस्ट करने से हृदय के चलने की गति का पता लगाया जा सकता है। यह टेस्ट अकसर तब किया जाता है, जब ईसीजी के बाद कोई तकलीफ नजर नहीं आती है। इस टेस्ट को पोर्टेबल ईसीजी डिवाइस की मदद से किया जाता है। इसके जरिए दिल की बीमारी का वैसी स्थिति में भी पता लगाया जा सकता है, जब ईसीजी और इकोग्राफी से कारण पता नहीं चल पाए। इस यंत्र को मरीज के शरीर में 24 घंटो के लिए लगा दिया जाता है। तय समय के बाद यंत्र को मरीज के शरीर से निकाल कर बीमारी की वजह का पता लगाया जाता है।