कुटजघन वटी : पेट के रोग फुर्र! लेकिन ये लोग नहीं कर सकते इसे इस्तेमाल...

कुटजघन वटी, कुटज तथा अतिविषा के प्रयोग से बनी एक महत्वपूर्ण औषधि है जो पेट के रोगों में बहुत काम आती है। कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के सभी प्रकार के दोष, बवासीर, गैस्ट्रिक अल्सर इत्यादि पेट के रोगों में काम आती है। यह पतंजलि द्वारा दी जाने वाली एक प्रमुख औषधि है।

कुटजघन वटी के फायदे और उपयोग

कुटजघन वटी का प्रयोग कई रोगों को ठीक करने के लिए कर सकते हैं, जो ये हैं :—

पेचिश में कुटजघन वटी के फायदे

पेचिश को ठीक करने के लिए कुटजघन वटी बहुत फायदेमंद होती है। जिन लोगों को दस्त के साथ खून आने की शिकायत है वे कुटजघन वटी का इस्तेमाल कर पेचिश से छुटकारा पा सकते हैं।

कब्ज में कुटजघन वटी के फायदे

खान-पान में असंतुलन और अनियमित दिनचर्या के कारण कब्ज की समस्या से ग्रस्त हो जाना बहुत आम है। लगभग सभी लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। कब्ज को ठीक करने के लिए कुटजघन वटी का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। कुटजघन वटी के सेवन से कब्ज ठीक होती है।

कुटजघन वटी के सेवन से दस्त पर रोक

आप दस्त की समस्या में भी कुटजघन वटी का उपयोग कर सकते हैं। इसके सेवन से दस्त पर रोक लगती है।

अपच की समस्या में कुटजघन वटी के सेवन से लाभ

अनेक लोग पाचनतंत्र विकार से ग्रस्त होते है। कुटजघन वटी के सेवन से अपच की परेशानी ठीक हो जाती है। पाचनतंत्र विकार से परेशान लोग कुटजघन वटी का सेवन करें। यह फायदेमंद होता है।

सूजन की समस्या में कुटजघन वटी के फायदे

सूजन की समस्या शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। कुटजघन वटी सूजन को ठीक करने का काम भी करती है। आप त्वचा में होने वाली सूजन में भी कुटजघन वटी का प्रयोग कर सकते हैं। यह लाभदायक होती है।

बहुत पसीना आने पर कुटजघन वटी से लाभ

कई लोगों के शरीर से बहुत पसीना निकलता है। ऐसी परेशानी में भी कुटजघन वटी का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है। इसके अलावा कुटजघन वटी का इस्तेमाल जीवाणु के संक्रमण, डिहाइड्रेशन सहित अन्य रोगों में भी किया जाता है। इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श जरूर लें।


किन्हें कुटजघन वटी का इस्तेमाल नहीं करना है?

इन लोगों को कुटजघन वटी का प्रयोग नहीं करनी चाहिए :—

- सिर की गंभीर चोट वाले लोग

- फेफड़े में ट्यूमर वाले रोगी

- मानसिक विकार से ग्रस्त मरीज

- एलर्जी से पीड़ित होने पर

इन समस्याओं की स्थिति में कुटजघन वटी का सेवन नहीं करना चाहिए। कुटजघनवटी का इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

कुटजघन वटी की खुराक

कुटजघन वटी का सेवन इतनी मात्रा में करना चाहिए :—

250-500 मि.ग्रा.

अनुपान – नींबू पानी, ठंडा पानी


आयुर्वेद में कुटजघन वटी के बारे में उल्लेख

कुटजघन वटी के बारे में ‘सिद्ध योग संग्रह’ नामक आयुर्वेदिक ग्रंथ के अतिसार-प्रवाहिका–ग्रहणी रोग संबंधित अध्याय में उल्लेख मिलता है।

कुटजघन वटी बनाने के उपयोगी घटक

आप इन घटकों से कुटजघन वटी बना सकते हैं :—


1 कुटज (Holarrhena antidysenterica Linn.Wall.)
छाल 12 ग्राम

2 जल (क्वाथार्थ) 768 मि.ग्रा.

3 अतीस चूर्ण (अतिविषा) (Aconitum heterephylum Wall.) 12 ग्राम