रिसर्च में हुआ खुलासा, फाइजर की वैक्सीन ब्रिटेन में मिले नए कोरोना वैरिएंट पर भी प्रभावी

पूरी दुनिया में कोरोना ने अपना कहर फैला रखा हैं। हांलाकि अब वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई हैं। लेकिन ब्रिटेन में मिले कोरोना वैरिएंट ने चिंता बढ़ा दी थी जो कि अधिक संक्रमण फैलाता हैं। लेकिन हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया कि फाइजर की वैक्सीन ब्रिटेन में मिले नए कोरोना वैरिएंट पर भी प्रभावी हैं। इस शोध के परिणाम बुधवार को फाइजर और बायोएनटेक ने जारी किए। पिछले हफ्ते फाइजर कंपनी ने कहा था कि इसी तरह के एक प्रयोगशाला अध्ययन से पता चला है कि उसकी वैक्सीन एक प्रमुख म्यूटेशन के खिलाफ प्रभावी है, जिसे N501Y कहा जाता है, जो ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में फैलने वाले दो उच्च परिवर्तनीय नए वैरिएंट में पाया गया है।

इस नए अध्ययन को BioRxiv.org नामक वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है। फाइजर और बायोएनटेक द्वारा विकसित वैक्सीन कोरोना वायरस के नए और अत्यधिक संक्रामक वैरिएंट पर भी असरदार है। हालांकि इस अध्ययन की अभी तक समीक्षा नहीं की गई है। इस अध्ययन के 11 लेखकों में बायोएनटेक के सह-संस्थापक उगुर साहिन और ओजलेम तुइरेसी हैं। साहिन मुख्य कार्यकारी हैं जबकि उनकी पत्नी तुइरेसी मुख्य चिकित्सा अधिकारी हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में फैल रहा कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन म्यूटेशन की वजह से तेजी से फैलता है। बायोएनटेक का कहना है कि अब तक कुल 16 म्यूटेशन की जांच की जा चुकी है। हालांकि नए स्ट्रेन को ध्यान में रखते हुए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी के वैज्ञानिक भी संयुक्त रूप से वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं, ताकि नए स्ट्रेन से निपटा जा सके और महामारी को खत्म किया जा सके।

कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए शोध में यह भी पाया गया है कि कोरोना से ठीक हो चुके लोग दूसरे स्ट्रेन से संक्रमित हो सकते हैं। इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि नया स्ट्रेन शरीर में मौजूद एंटीबॉडी के प्रोटीन में मौजूद स्पाइक को बेअसर करने के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेता है जो एंटीबॉडी के प्रतिक्रिया देने की क्षमता को प्रभावित करता है। इससे कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के नए स्ट्रेन से संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है।