डायबिटीज को कंट्रोल करे जैतून के पत्‍तों का काढ़ा, जानें इसको बनाने का तरीका

दुनियाभर में डायबिटीज एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाए तो इससे निजात पाना मुश्किल है। यह बीमारी आज कल केवन बुजुर्ग को ही नहीं बल्कि हर उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। डायबिटीज बीमारी ब्लड शुगर अनियंत्रित होने और अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन न निकलने के चलते होती है। यह समस्‍या खान पान में लापरवाही, व्‍यायाम आदि ना करने और खराब लाइफ स्‍टाइल की वजह से होती हैं। कार्बोहाइड्रेट युक्त खाने की चीजों का ब्लड शुगर के स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। क्योंकि कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज में टूटकर रक्तप्रवाह में एब्जोर्व हो जाते हैं। जिससे डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए उन्हें कार्बोहाइड्रेट युक्त चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करने की सलाह दी जाती है।

डाइबिटीज के मरीजों को अपनी सेहत पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। अगर आप भी डायबिटीज से जूझ रहे हैं तो कुछ घरेलू उपाय अपनाकर इसको खत्म हो नहीं बल्कि कंट्रोल कर सकते है। इन उपायों में से एक है जैतून की पत्तियों से तैयार काढा। अगर आप नियमित इस काढ़े का सेवन करते है तो डाइबिटीज में आपको काफी फायदा होगा। तो आइए जानते है कैसे जैतून की पत्तियों से तैयार काढा हमारी डाइबिटीज को कंट्रोल कर सकता है।

जैतून की पत्तियों के फायदे

जैतून की पत्तियों में एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है है। यही नहीं, यह ब्‍लड शुगर लेवल को स्थिर रखने और हेल्‍दी लेवल पर मेंटेन रखने में भी काफी सहायक साबित होता है। शोधों में यह पाया गया है कि जैतून की पत्तियों का अर्क शरीर के इंसुलिन प्रतिरोध को कम कर सकता है। इसके साथ ही इसके सेवन से आपकी इम्‍यूनिटी भी मजबूत होती है और कई क्रॉनिक डिजीज जैसे हार्ट, कैंसर, पारकिंसन, अल्‍जाइमर आदि में फायदा मिलता है। इसके अलावा यह गुड कोलेस्‍ट्रॉल को भी बढ़ाता है। इसमें मौजूद एंटी ऑक्‍सीडेंट और एंटी एनफ्लामेंट्री गुण स्किन को हेल्‍दी रखते हैं और शरीर में किसी भी तरह के सूजन को कम करते हैं।

इस तरह तैयार करे काढ़ा


सबसे पहले जैतून की पत्तियों को अच्‍छी तरह साफ कर ले और एक ग्‍लास पानी के साथ उबालें। जब ये उबल कर आधा हो जाए तो इसमें काली मिर्च और स्‍वादानुसार नमक डालकर इसका सेवन करें। इसमें आप शहद भी डाल सकते है।

कुछ और तरीके डाइबिटीज को कंट्रोल करने के

यहां हम आपको कुछ सब्जियों के बारे में बताने जा रहे है जिनका सेवन डाइबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

ब्रोकली

भले ही ब्रोकली बहुत लोकप्रिय सब्जी नहीं है लेकिन इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि ये गुणों का खजाना है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन ए, सी और कई दूसरे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें कई प्रकार के लवण भी पाए जाते हैं जो शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखने में मददगार साबित होते हैं। ब्रोकोली का जीआई (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) सिर्फ 10 है। इसके अलावा ब्रोकली में पाया जाने वाला कैरेटेनॉयड्स ल्यूटिन दिल की धमनियों को स्वस्थ बनाए रखता है। इसके सेवन से दिल का दौरा पड़ने और अन्य बीमारियों के होने की आशंका कम हो जाती है। इसमें मौजूद पोटैशि‍यम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ने नहीं देता है।

टमाटर

टमाटर जितना देखने में अच्छा लगता है, उतना ही वह खाने में स्वादिष्ट भी है और स्वास्थ्यवर्द्धक भी। तभी को टमाटर का उपयोग सब्जी के रूप में करने के साथ-साथ सलाद और चटनी तथा सूप के रूप में भी उपयोग किया जाता है। टमाटर में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस व विटामिन सी पाये जाते हैं। इसमें क्रोमियम भी पाया जाता हहै जो आपके ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद करता है। डाइबिटीज के मरीजों के लिए टमाटर फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा टमाटर को खाने से कैंसर का खतरा भी कम होता है। एक शोध में सामने आया है कि अगर एक हफ्ते में आप 10 टमाटर खाते है तो कैंसर होने का खतरा 45% कम हो जाता है। इतना ही नहीं, टमाटर को सलाद में लेने से पेट के कैंसर होने का रिस्क 60% तक घट जाता है।

मटर

मटर को सुपरफूड कहा जाता है क्योंकि यह पोष्टिक आहार से भरपूर है। इसमें हाई फाइबर, विटामिन, पोटेशियम, आयरन पाए जाते हैं और यह एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर है। माना जाता है कि मटर का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है। दरअसल, फाइबर को पचने में ज्यादा समय लगता है जिससे ग्लूकोज का अवशोषण धीरे हो जाता है। जिस कारण से pancreas को इंसूलिन प्रोड्यूज करने का समय मिल जाता है। जिससे हमारा ब्लड शुगर लेवल सामान्य बना रहता है। इसके अलावा मटर के सेवन से वजन भी कम हो सकता है। मटर में मिलने वाला डायट्री फाइबर की वजह से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। जिससे आप बार- बार नहीं खाते हैं। डायट्री फाइबर को पचाने में ज्यादा एनर्जी का भी इस्तेमाल होता है इसलिए ज्यादा कैलोरी भी बर्न होती है। इससे मटर को नेगेटिव कैलोरी फूड भी कहा जाता है जो कैलोरी को बर्न कर मैटाबोलिज्म को सही करने से वजन कम करने में मदद करता है।

गाजर

गाजर में पौष्टिक तत्वों की कमी नहीं है। इसका उपयोग सब्जी के साथ, सलाद, जूस, अचार, केक, हलवा आदि बनाने में किया जाता है। गाजर विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन-के, पोटेशियम व आयरन जैसे कई जरूरी पोषक तत्वों से समृद्ध होती है। गाजर का उपयोग मधुमेह के घरेलू उपचार के रूप में किया जा सकता है। चीन की एक लेब में चूहों पर किए गए एक शोध में पता चला है कि गाजर का जूस खून में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करने और इंसुलिन एवं एंटीऑक्सीडेंट क्षमता को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है। कच्चे गाजर का जीआई 14 जो कि बहुत कम होता है, लेकिन अगर इसे उबाला जाए तो ये बढ़कर 41 हो सकता है। इसमें बहुत कम स्टार्च पाया जाता है। इसके अलावा गाजर का सेवन आपको कैंसर से भी बचाता है। गाजर पॉली-एसिटिलीन व फालकैरिनोल जैसे तत्वों से भरपूर होती है, जो एंटी कैंसर गुण प्रदर्शित कर सकते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि गाजर कैंसर कोशिकाओं को विकसित होने से रोक सकता है।

शकरकंद

शकरकंद खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उतना ही ये आपके स्वास्थ के लिए भी फायदेमंद होता है। शकरकंद में प्रोटीन, फायबर, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि पाए जाते है। शकरकंदी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी बहुत कम होता है, इसलिए डायबिटीज के मरीज भी इसे खा सकते हैं। इसके अलावा शंकरकंद खाने से दिल की बीमारियां दूर हो सकती है। शकरकंद भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो आपके शरीर से खराब कोलेस्टॉल को कम करता है। शकरकंद में पोटैशियम की मात्रा भी होती है, इसलिए ये आपको हाई ब्लड प्रेशर से बचाने में मदद कर सकती है।

हरी बीन्स

हरी बीन्स में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो डायबिटीज को बढ़ने से रोकते हैं। इसमें पर्याप्त मात्रा में डायट्री फाइबर्स और कार्बोहाइड्रेट्स पाए जाते हैं। मधुमेह के मरीजों के लिए इसे आदर्श सब्जी माना जाता है। इसके अलावा हरी बीन्स का डाइट में शामिल करना आपके वजन को भी कंट्रोल रखता है। हरी बिन्स में कैलोरी भी कम होती है। साथ ही साथ यह ऑयरन के साथ मिलकर रेड ब्लड सेल्स बनाने में भी मदद करता है। प्रोटीन से भरपूर हरी बिन्स से पेट भरा रहता है जिससे आपको बार-बार खाने की क्रेविंग नहीं होती। इसके साथ ही हरी बीन्स में कैल्शियम पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत होती है।

बैंगन

बैंगन भले ही कुछ लोगों को पसंद नहीं आता लेकिन यह हमें विटामिन, खनिज और पोषक तत्व प्रदान करता है। इसमें विटामिन सी, के व बी 6, थायामिन, नियासिन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, कॉपर, फाइबर, पोटेशियम और मैंगनीज पाया जाता है। इसमें कोलेस्ट्रोल या संतृप्त वसा नहीं पाया जाता है। बैंगन में उच्च मात्रा में फाइबर और कम मात्रा में घुलनशील कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो मधुमेह को संतुलित करने में मदद करते हैं। बैंगन शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन गतिविधि को संतुलित करता है और मधुमेह जैसी समस्या में मदद करता है। इसके अलावा बैंगन के सेवन से याददाश्त भी बढ़ती है। दरअसल, मानसिक स्वास्थ्य के लिए आयरन, जिंक, फोलेट और विटामिन ए, बी व सी उपयोगी माना जाते हैं, जो बैंगन में भी उपलब्ध होते हैं। इंसान की याददाश्त दिमागी कार्य क्षमता पर निर्भर करती है, इस कारण बैंगन के गुण याददाश्त बढ़ाने में भी सहायक माने जा सकते हैं।