आज के समय में देखा जाता हैं कि कई लोग सिगरेट की लत का शिकार हो चुके हैं और रोज कई पैकेट सिगरेट पी जाते हैं। कई लोग सोचते हैं कि इस लत का शिकार होने के बाद इसे दूर नहीं किया जा सकता जो कि आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाल ही में हुए एक रिसर्च से पता चला हैं कि जैसे ही आप धूम्रपान छोड़ते है वैसे ही आपके फेफड़े ठीक होने लगते हैं। धूम्रपान की आदत छोड़ते ही फेफड़े अपने आप ठीक होने लगते हैं और आप कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बच सकते हैं।
दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित जर्नल नेचर में प्रकाशित एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने बताया है कि धूम्रपान छोड़ने से कैंसर का खतरा कम हो जाता है। सभी जानते हैं कि धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है लेकिन धूम्रपान की आदत छोड़ने से शरीर क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं को खुद ही ठीक करने लगता है और फेफड़े अपने आप स्वस्थ हो सकते हैं।
शोधकर्ता पीटर कैंपबेल के मुताबिक जो लोग 10-20 या इससे अधिक सालों से स्मोकिंग करते रहे हैं, वे सोचते हैं कि जो नुकसान होना था वह हो चुका है और अब क्या फायदा? ऐसे लोगों के लिए यह रिसर्च आशा की किरण लेकर आई है। इस रिसर्च में बताया गया है कि धूम्रपान की आदत को कभी भी छोड़ा जा सकता है।
इस स्टडी में जिन 16 लोगों को शामिल किया गया था, उनमें से कई अपने जीवन में करीब 15,000 हजार सिगरेट के पैकेट खत्म किए थे। ऐसे लोगों ने जब धूम्रपान छोड़ा तो कुछ सालों के भीतर ही उनकी श्वास नली को अस्थिर करने वाली कोशिकाओं में धूम्रपान से हुए नुकसान नदारद थे। इस अध्ययन में जीवन भर धूम्रपान करने वाले, आदत छोड़ने वाले, कभी स्मोकिंग नहीं करने वाले और कुछ बच्चों को भी शामिल किया गया था।
सभी के फेफड़ों की बायोप्सी का लैब में विश्लेषण किया गया। धूम्रपान करने वाले 10 में से नौ लोगों के फेफड़ों की कोशिकाओं में ऐसा म्यूटेशन पाया गया, जो कैंसर का कारण बन सकता है। वहीं धूम्रपान छोड़ने वालों की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की जगह स्वस्थ कोशिकाएं ले चुकी थीं। उनके फेफड़े बिल्कुल वैसे ही थे, जैसे कभी धूम्रपान नहीं करने वालों के थे। ऐसे लोगों के फेफड़ों की 40 फीसदी तक कोशिकाएं स्वस्थ थी, यानि धूम्रपान करने वालों की तुलना में चार गुना ज्यादा स्वस्थ।
शोधकर्ता कैंपबेल के मुताबिक यह नहीं कहा जा सकता कि क्षतिग्रस्त कोशिकाएं जादुई रूप से खुद को दुरुस्त कर पाई हैं, बल्कि स्वस्थ कोशिकाओं ने उनकी जगह ले ली थी। वे बताते हैं कि एक बार जब व्यक्ति धूम्रपान छोड़ देता है, तो स्वस्थ कोशिकाएं धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बदलने के लिए फैलती हैं।
वान एंडल इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर एपिजेनेटिक्स में प्रोफेसर गेरड फेफर ने शोध की प्रशंसा की। लेकिन यह भी कहा कि केवल उन 16 रोगियों के नमूने लिए जिन्हें चिकित्सा कारणों की वजह से बायोप्सी से गुजरना पड़ा था। उन्हें संशय ये भी है कि स्टडी के नमूने का छोटा आकार निष्कर्षों को मुश्किल में डाल सकता है, हालांकि यह आगे की जांच के लिए कई रास्ते खोलेगा। वहीं, वे यह भी कहते हैं कि अगर हम यह पता लगा लें कि स्वस्थ कोशिकाओं का भंडार कहां है और धूम्रपान छोड़ने वाले लोगों की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं पर यह किस तरीके से काम करता है, तो हम इन कोशिकाओं का भविष्य में और बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं।