कोरोना बन रहा जी का जंजाल, टीका नहीं आने तक सोशल डिस्टेंसिंग ही सहारा

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को मजबूर और विवश बना दिया हैं। पूरी दुनिया में लगभग 37 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और मौत का आंकड़ा करीब 2.60 लाख तक पहुंच चुका हैं। देश में स्थिति भयावह होती जा रही हैं। ऐसे में सरकार द्वारा सभी को घरों में रहने और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की अपील की जा रही हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जबतक टीका नहीं आ जाता, सोशल डिस्टेंसिंग ही कोरोना से बचाव का कारगर तरीका है।

इसके इलाज के लिए अलग-अलग दवाओं से लेकर अलग-अलग थेरेपी तक का प्रयोग किया जा रहा है, जिसके ट्रायल में काफी हद तक सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। अब तक हुए ट्रायल में सकारात्मक परिणाम वाले और पहले से उपलब्ध सभी नैदानिक विकल्प सीमित लाभ वाले हैं। व्यक्ति से व्यक्ति में संक्रमण फैलाने वाला यह वायरस भीड़ या समूह में रहने की स्थिति में और अधिक तेजी से फैल सकता है। इसलिए सामाजिक शारीरिक दूरी का पालन करना बहुत जरूरी है।

यूरोप के तीन बड़े विश्वविद्यालयों के जनसांख्यिकी और समाजशास्त्र के शोधकर्ताओं के मुताबिक, लोगों की आबादी को छोटे समूहों में बांटना जरूरी होगा। क्योंकि व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है और समाज यानी कि समूह में रहने की आदत होती है। लेकिन फिलहाल ऐसा करना खतरा बढ़ाता है। छोटे समूह में बांटे जाने पर दूसरे समूह के लोगों से संपर्क कम किया जा सकेगा और जितना कम संपर्क होगा, वायरस के प्रसाद की संभावना भी उतनी कम होगी।

बाहर निकलने पर सभी लोगों को मास्क लगाने, समय-समय पर हाथ धोने की आदत, साफ-सफाई बरतने और सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह पर वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ एकमत हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, धर्मस्थल से लेकर कार्यस्थल तक व्यवस्था बदलने की जरूरत है। ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के लीवरहल्म सेंटर फॉर डेमोग्राफिक साइंस एंड डिपार्टमेंट ऑफ सोशियोलॉजी के एक शोधकर्ता का कहना है कि लंबी दूरी के हमारे वैसे संबंध, जिन्हें टाले जाने में आपत्ति न हो, उन्हें टाला जाना चाहिए। आने वाले समय में कुछ दिनों तक हमें अपने संपर्क कम करने पड़ सकते हैं। हालांकि, ऐसर रणनीति भारत जैसे देशों में मुश्किल भी है।

विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना महामारी से न केवल देश में, बल्कि दुनियाभर में अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। बेरोजगारी बढ़ी है। मजदूर और गरीबों का और ज्यादा बुरा हाला है। सरकारों के जिम्मे अर्थव्यवस्था को भी दुरुस्त करने की जिम्मेदारी है। ऐसे में कार्यस्थल के नियमों में, वहां की शिफ्ट टाइमिंग में कार्यालय के स्ट्रक्चर और फर्नीचर में, कार्य संरचनाओं में बदलाव करने होंगे, ताकि कर्मचारियों के बीच शरीरिक दूरी बनी रहे। मालूम हो कि चीन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग में सामाजिक दूरी की रणनीति अपना कर ही कोरोना का असर कम किया। अधिकांश जगहों पर लॉकडाउन प्रतिबंध भी हटाए हैं। फ्रांस, इटली और स्पेन इस महीने के अंत में अधिक लोगों को घूमने की अनुमति देने की योजना बना रहे हैं। हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना अब भी उतना ही जरूरी होगा।