इस तरह बिना किसी दवा के भी हो सकता है कोरोना का इलाज, शोध में खुलासा

पूरी दुनिया में 160 देश कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में आ गए है। इस वायरस की वजह से 2 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए है। अकेले चीन में ही 80,994 लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 69,614 लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। इस वायरस की वजह से 8000 लोग अपनी जान गवां चुके है। भारत में कोरोना के मामले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 153 हो गई है। इनमें 25 विदेशी हैं। कोरोना की वजह से देश में अब तक तीन लोगों की मौत हो गई है। महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे ज्यादा 42 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। इस बीच कोलकाता में पहला संक्रमित मरीज मिला है। यह शख्स लंदन से भारत आया था। इस वायरस को खत्म करने के लिए पूरी दुनिया के डॉक्टर वैक्सीन ढूंढने में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में एक अध्ययन में सामने आया कि 47 वर्षीय महिला जो कि हल्के तौर पर कोरोनो वायरस से पीड़ित थी उसके शरीर में एंटीबॉडी पैदा हुआ जो कोरोना संक्रमण से लड़ा और लगभग 10 दिनों में बिना किसी दवा के महिला ठीक हो गई।

इससे शोध करने वाले डॉक्टरों ने पाया कि एक मरीज के शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी का उत्पादन कर सकती है जो कोरोनो वायरस संक्रमण के हल्के असर से लड़ती है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस अध्ययन से कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन (टीका) के विकास में अहम हो सकता है। मंगलवार को पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन एंड इम्यूनिटी के शोधकर्ताओं द्वारा नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित किए गए इस शोध लेख में चार अलग-अलग समय बिंदुओं पर परीक्षण किए गए रक्त के नमूनों पर आधारित था, जो यह बता रहा था कि किसी मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के प्रति कैसे प्रतिक्रिया देती है।

इस शोध के दौरान जिस मरीज को चुना गया था वो कोरोना वायरस से संक्रमण से कम प्रभावित था। इस शोध के दौरान उसे एंटीबायोटिक्स, स्टेरॉयड या एंटीवायरल कोई दवा नहीं दी गई। केवन शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए तरल पदार्थ दिए गए। वायरस मुख्य रूप से उसके फेफड़ों को प्रभावित कर रहे थे। जिस महिला पर यह शोध किया गया उसने चीन में वुहान से यात्रा की थी, जो वैश्विक महामारी का केंद्र था।

शोध को लेकर प्रोफेसर कैथरीन केडज़ियर्स ने कहा, हमने देखा कि भले ही COVID-19 एक नए वायरस के कारण होता है। स्वस्थ व्यक्ति में, विभिन्न सेल प्रकारों में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया क्लिनिकल रिकवरी से जुड़ी हुई थी, जैसा कि हम इन्फ्लूएंजा में देखते हैं,।

उन्होंने कहा कि COVID-19 (कोरोना वायरस) के मामले में यह एक अविश्वसनीय कदम है कि आखिर वो शरीर पर किस तरह से प्रभाव डालती है और किस पर सबसे पहला हमला होता है। लोग हमारे तरीकों का उपयोग बड़े COVID-19 समूहों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए कर सकते हैं, और यह भी समझ सकते हैं कि इससे बुरी तरह पीड़ित लोगों में किस चीज की कमी की वजह से ऐसा हुआ है।

अध्ययन में चार प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की उपस्थिति पाई गई जब रोगी बीमार था तो दो प्रकार के एंटीबॉडी के उत्पादन को प्रेरित करता था। संक्रमित होने के बाद उसे 10 दिनों के लिए घर से अलग कर दिया गया, और उसके लक्षण 13 फरवरी को पूरी तरह से गायब हो गए। एंटीबॉडीज उसके खून में 7 वें दिन से 20 दिन तक रहे।

बता दे, भारत में कोरोना से निपटने के लिए सरकारें तीन स्तर पर काम कर रही है। पहला कोरोना से पीड़ित लोगों की पहचान करना। दूसरा संक्रमित शख्स और उनके संपर्क में आए लोगों को आईसोलेशन वार्ड में डालना और तीसरा लोगों को एक जगह इकट्ठा नहीं होने देना।