हेपेटाइटिस : सही समय पर पहचान ही बचा सकती है जान

हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी बचाव का कारगर तरीका हो सकता है। हेपेटाइटिस को लेकर जागरूकता की कमी बड़ी समस्या है। ज्यादातर लोग डॉक्टर के पास तभी जाते हैं, जब लक्षण उभरने लगते हैं। अक्सर ऐसा तब होता है, जब लिवर पर वायरस का प्रभाव पड़ चुका होता है। ऐसे में लक्षणों की जानकारी और जागरूकता जान बचा सकती है। घर बैठे स्वास्थ्य जांच की सुविधा देने वाली फर्म हेल्थियंस के मेडिकल अफसर डॉ. दीपक पराशर का कहना है कि इस संक्रमण से निपटने का सबसे कारगर तरीका इसे पहचानना है। इसके लक्षणों को समझकर सही समय पर इसकी जांच किसी की जान बचा सकती है।

संक्रमण की समय पर पहचान

- संक्रमण की समय पर पहचान के लिए पीलिया, सफेद या काली दस्त, अतिसंवेदनशील त्वचा, गहरे रंग की पेशाब, भूख मिट जाना, अपच और उल्टी, पेट में दर्द, पेट में सूजन, थकान, फ्लूड रिटेंशन जैसे लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए।
- इन लक्षणों के अलावा बीमार महसूस करना, अक्सर सिरदर्द होना, चिड़चिड़ापन बढ़ना, अचानक शरीर नीला पड़ना या खून आना भी लिवर में खराबी के लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों को पहचान कर समय पर चिकित्सक की सलाह इस गंभीर संक्रमण से बचने में सहायक हो सकती है।

हेपेटाइटिस का अर्थ है

डॉ. पराशर ने कहा कि हेपेटाइटिस का अर्थ है इन्फ्लेमेशन ऑफ लिवर यानी लिवर की सूजन या प्रदाह। इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द 'हेपर' से हुई है, जिसका अर्थ है लिवर। इन्फ्लेमेशन प्राय: किसी बैक्टीरिया, वायरस, ज्यादा शराब के सेवन, नशीली दवाओं के सेवन या ऑटोइम्यून डिजीज की वजह से हो सकता है।

हेपेटाइटिस वायरस के पांच प्रकार

उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस वायरस के पांच प्रकार ए, बी, सी, डी और ई ज्ञात हैं। इनमें हेपेटाइटिस ए और ई संक्रमित भोजन और पानी से फैलते हैं। इनका मरीज आमतौर पर इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है। हेपेटाइटिस ई गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा घातक होता है। हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए टीका भी उपलब्ध है। इसी तरह हेपेटाइटिस डी का खतरा उन मरीजों को ज्यादा रहता है, जिन्हें पहले से हेपेटाइटिस बी का संक्रमण हो। इसका पर्याप्त इलाज उपलब्ध नहीं है। बचाव ही इसका उपचार है।

संक्रमित सुई और असुरक्षित यौन संबंध मुख्य कारण

हेपेटाइटिस के वायरस में बी और ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं। ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैलते हैं। संक्रमित सुई और असुरक्षित यौन संबंध इसके प्रसार का कारण बन सकते हैं। हेपेटाइटिस बी के वायरस को शरीर से पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ दवाएं वायरस को दबाने में सक्षम हैं। इसका टीका उपलब्ध है, जो व्यक्ति को इसके संक्रमण से बचाने में सहायक है। वहीं हेपेटाइटिस सी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुछ दवाएं हैं, जिनसे ज्यादातर (95 प्रतिशत से ज्यादा) मरीज ठीक हो जाते हैं।

हेपेटाइटिस का समय पर उपचार न होने से लिवर सिरोसिस, लिवर फेल्योर, गंभीर बीमारियों और लिवर कैंसर का खतरा रहता है।

क्या नही खाए

- हेपेटाइटिस बी रोगी को फ़ास्ट फ़ूड जैसी चीजों का सेवन नही करना चाहिए।

- कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों से परहेज बना ले क्यूंकि यह शरीर में वसा की मात्रा को बढ़ा देते है जो इस दौरान सही नही होती है।

- हेपेटाइटिस बी के रोगी को मीठे से परहेज बना लेना चाहिए। क्यूंकि मीठा लीवर में पचता नही है और इस समस्या को बढ़ा देता है।

- हेपेटाइटिस बी के रोगी को डेयरी के किसी भी उत्पाद से बने खाद्य पदार्थ का सेवन नही करना क्यूंकि इनमे लेक्टोज पाया जाता है लीवर के लिए सही नही होता है।