मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी कमाई होती है उसका अच्छा स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन। अगर व्यक्ति का जीवन स्वस्थ निकले तो उसके कमाई करने का कोई अर्थ हैं अन्यथा कितनी भी कमाई कर लें और बीमारियों से घिरे रहें तो उस जीवन का कोई अर्थ नहीं हैं। वैसे तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम और खान-पान का ध्यान रखना अवश्य हैं, लेकिन इसी के साथ अगर कुछ ज्योतिषीय उपाय भी किये जाए तो ये आपके स्वास्थ्य को स्वस्थ रखते हैं। तो आइये हम आपको बताते हैं उन टोटकों के बारे में जो आपको आजीवन स्वस्थ रखें।
* हमेशा हैल्दी बने रहने के लिए रात्रि को पानी किसी लोटे या गिलास में सुबह उठ कर पीने के लिये रख दें। उसे पीकर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन को उल्टा रखने से यकृत सम्बन्धी परेशानियां नहीं होती तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है।
* हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर “
ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं।
* अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें। जिन लोगों को 1-2 बार दिल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे एक पाचंमुखी रूद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सहित) लाल मिर्च को, आधा गज लाल कपड़े में रख कर व्यक्ति के ऊपर से 21 बार उसार कर इसे किसी नदी या बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
* घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।
* रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दु:स्वपन नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है।
* पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी तथा व्यापार हानि से मुक्ति मिलती है।
* पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है। सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए।
* पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।