शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए योग बहुत ही जरूरी माना जाता है। योगासन के नियमित अभ्यास से न केवल शरीर, बल्कि मानसिक सेहत भी दुरुस्त रहती है। प्राणायाम शरीर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ ही सेहत को दुरुस्त करता हैं। योग की हर क्रिया कारगर होती है, लेकिन बात जब कपालभाती प्राणायाम की होती है तो इसे जीवन की संजीवनी कहा जाता है। कपालभाती प्राणायाम एक ऐसा ही आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा मिलता है। इसका दैनिक अभ्यास सेहत को कई तरीकों से फायदा पहुंचाता हैं। कपालभाति प्राणायाम सेहत का खजाना हैं जिसके अभ्यास करने के तरीके और उससे मिलने वाले फायदों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इसके बारे मे...
डाइजेस्टिव सिस्टम में मजबूती कपालभाति डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत करता है। यह गैस, एसिडिटी, कब्ज आदि में तो फायदेमंद होता ही है साथ ही यह कपालभाति करने से बॉडी के अंदर होने वाली अल्सर की समस्या से भी बचाता है और ब्लॉकेज नहीं होने देता है।
ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने में मददगारकपालभाति आसन में सांस लेने का यह उन्नत अभ्यास रक्त में कार्बनडाई ऑक्साइज लेवल को कम करने में मदद करता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है। इस श्वास तकनीक में 'सक्रिय सांस छोड़ना और निष्क्रिय सांस लेना' शामिल है और शरीर में लो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में मदद करता है
हार्ट के लिए अच्छा
यह कार्डियो वैस्कुलर सिस्टम के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें जब बार-बार पंपिंग की जाती है, तब ब्लड की सप्लाई बढ़ती है और सीधा हार्ट पर जाकर उसकी ब्लॉकेज को खोलता है, आर्टरीज और वेन्स की ब्लॉकेज भी खोलती है। जिन महिलाओं को हार्ट से संबंधित समस्याएं होती हैं, उनको कपालभाति की फर्स्ट फॉर्म कराई जाती है। इसमें पूरा इनहेल होता है और थोड़ा सा पंप किया जाता है।
वजन घटाने के लिए प्रभावीकई योग गुरु वजन घटाने के लिए इस सर्वश्रेष्ठ योग तकनीक की सलाह देते हैं। यदि आप मोटापे से पीड़ित उन लोगों में से एक हैं, तो अपने शरीर के वजन को कम करने के लिए इस श्वास तकनीक का प्रयास करें। बेहतर परिणाम के लिए आप इसके साथ वज्रासन, हलासन जैसे अन्य योगासन भी आजमा सकते हैं।
नर्वस सिस्टमयह नवर्स सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र के लिए भी बहुत अच्छा प्राणायाम है। इसमें पंपिंग करने से हमारे ब्रेन के सेल्स में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ जाता है। कई महिलाओं को कपालभाति करते समय बीच में उबासी आती है। उबासी आने का मतलब यह है कि ब्रेन के सेल्स बहुत थके हुए हैं और जब ऑक्सीजन जाता है तब वह रिलैक्स हो जाते हैं। इससे उनकी काम करने की क्षमता बढ़ती है, मेमोरी मजबूत होती है और जिन लोगों को माइग्रेन, स्ट्रेस, एग्जाइंटी आदि जैसी समस्याएं होती हैं, कपालभाति के अभ्यास से पूरी तरह से ठीक हो जाती हैं।
पेट की मांसपेशियों को करें मजबूतकपालभाती के दौरान हम शरीर से सांस को जबरदस्ती बाहर निकालते हैं और इस प्रक्रिया के दौरान हम जबरदस्ती पेट को अंदर की ओर भी धकेलते हैं। जैसे-जैसे हम धकेलते और आराम करते रहते हैं, पेट के आसपास की मांसपेशियों का व्यायाम होता जाता है। और इससे वे मजबूत बनती हैं।
हार्मोंस करता है बैलेंसयह रिप्रोडक्टिव सिस्टम के लिए भी बहुत अच्छा होता है। इसके नियमित अभ्यास करने से ब्लड की सप्लाई यूट्रस, फैलोपियन ट्यूब और ओवरीज में बढ़ती है, जहां पर साफ-सफाई का काम हो जाता है। जैसे कि पीसीओडी होने परसिस्ट बन जाते हैं। यह सिस्ट हार्मोनल इंबैलेंस के कारण बनते हैं। लेकिन जब कपालभाति प्राणायाम किया जाता है तब इससे हार्मोंस बैलेंस होते हैं। अगर पीसीओडी में कपालभाति किया जाए, तो बदलाव दिखाई देने लगता है।
बालों को झड़ने से रोके कपालभाती का प्रयोग आपके बालों को असमय झड़ने से रोक सकता है। कपालभाति के इस लाभ से आप थोड़ा हैरान हो सकते हैं, लेकिन यह सच है। यह योग खोपड़ी में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है और बालों की जड़ों को मजबूत बनाती है। यदि बालों की जड़ें मजबूत हैं, तो आप कभी भी बालों के झड़ने का अनुभव नहीं करेंगे।
मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है
कपालभाति को शरीर से विषाक्त पदार्थों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को निकालने में मदद करता है। यह श्वास तकनीक पित्त को भी बढ़ाती है और इसलिए मेटाबॉलिक रेट वजन कम करने में मदद करती है। यह आपकी त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता है और आपको ग्लोइंग त्वचा प्रदान करता है।
कपालभाति करने का तरीका कपालभाति का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले एक आसन पर आराम से बैठ जाएं। इस दौरान अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। वहीं, हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें। अब अपनी आंखों को बंद करके पूरे शरीर को ढीला छोड़ें। इसके बाद गहरी सांस लें और पेट की मांसपेशइयों को सिकोड़ते हुए सांस छोड़ें। ध्यान रखें कि सांस को बाहर छोड़ते समय अधिक दबाव न डालें। इसके बाद फिर से सांस लें और छोड़ें। सांस को आराम से लें और बिना दबाव के छोड़ें। इसी तरह लगातार कम से कम 10 बार अभ्यास करें। लगातार 3 से 5 चक्र में इस क्रिया को दोहराएं।