आंवला के नियमित सेवन से बढ़ती है नेत्र ज्योति और स्मरणशक्ति

आंवला बहुत गुणकारी होता है इसीलिए आयुर्वेद में आंवले को जो सम्मान हासिल है वह किसी दूसरे फल, को नहीं मिलता। आंवला गैलिक एसिडए एंटी ऑक्सीडेंट, शर्करा तथा कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। आंवले के रस में संतरे और नींबू से कहीं ज्यादा विटामिन सी और संक्रमण से लडऩे के लिए जरुरी एंटीसेप्टिक होता है। आंवले को आप चटनी, मुरब्बा या आचार, किसी भी रूप में खाइए, ये आपके लिए बहुत लाभकारी रहेगा

— आंवला का मुरब्बा प्रतिदिन खायें।

— 250 एमएल पानी में 6 ग्राम सूखा आँवला रात को भिगो दें। प्रात: इस पानी को छानकर आँखें धोयें। इससे आँखों के सब रोग दूर होते हैं और आँखों की रोशनी बढ़ती है।

— नेत्र-ज्योतिवर्धक, एक काँच का गिलास पानी से भरकर प्रतिदिन रात को उसमें एक चम्मच पिसा हुआ आंवला डाल दें। सुबह बिना हिलाये आधा पानी छानकर उससे आँखों को धोयें। बचा हुआ आधा पानी आँवले सहित पियें। इस तरह लगातार चार माह करने से नेत्र ज्योति बढ़ जायेगी, चश्मा भी हट सकता है।

— त्रिफला, हर्र, बहेड़ा और आंवला, रात को पानी में मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सुबह इस पानी से आँखे धोने से आँखों की आम बीमारियाँ दूर होती है।

— आँखों के आगे अँधेरा छाना, सिर में जलन, बार-बार पेशाब आता हो, तो आंवलो का रस तीन चम्मच, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम चार दिन तक पीने से लाभ होता है।

दिल के लिए आंवला के नुस्खे

— गर्मियों में चक्कर आते हों, जी घबराता हो तो आंवला का शर्बत पियें। दिल धडक़ता हो तो आंवला का मुरब्बा खायें।

— दिल की बेचैनी उच्च रक्तचाप, आंवला में सोडियम को कम करने की क्षमता होती है। इसलिए रक्तचाप के रोगी के लिए आंवला का उपयोग लाभदायक है।

— आंवला रक्त बढ़ाने और साफ करने में सहायक है तथा इससे शरीर को आवश्यक रेशा मिलता है।

हृदय एवं मस्तिष्क को निर्बलता


— आधा भोजन करने के बाद हरे आंवले का रस 35 ग्राम पानी में मिलाकर पी लें, फिर बाकि बचा आधा भोजन करें। इस प्रकार 21 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है और स्मरण-शक्ति बढ़ती है।

कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग से बचाव

— एक चम्मच आंवला का पाउडर प्रतिदिन लेने से हृदय रोग होने से बचाव होता है।

— कच्चे हरे आंवला का रस चौथाई कप, आधा कप पानी, स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीते रहने से कोलेस्ट्रॉल कम होकर सामान्य हो जाता है, जिससे हृदय रोग से बचाव होता है।

— हृदयरोग, दो चम्मच पिसा हुआ ऑवला दूध के साथ लेने से हृदय के आम रोग दूर हो जाते हैं।

— उच्च रक्तचाप, रक्त की गर्मी, ऑवले का मुरब्बा प्रतिदिन प्रात: खाने से उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है।

पेट के लिए आंवला के उपयोग

— आंवला खाने वालों में संक्रमण का प्रभाव कम होता है। यह कब्ज़ को दूर करता है।

— कब्ज़ हो तो रात को एक चम्मच पिसा हुआ ऑवला पानी या दूध से लेने से कब्ज़ नहीं रहती। आंते तथा पेट साफ होता है।

— यकृत में सूजन, पीलिया, आंवला का रस चौथाई कप एक गिलास गन्ने के रस में मिलाकर पियें। इस प्रकार प्रतिदिन तीन बार पीते रहने से पीलिया ठीक हो जाता है।

— 50 ग्राम आँवला , 50 ग्राम जीरा, 25 ग्राम इलायची सबको मिलाकर पीसकर एक-एक चम्मच तीन बार गाय के दूध के साथ लेने से पेट साफ रहता है।

— दस्त में सूखा आँवला पिसा हुआ और काला नमक समान मात्रा में मिलाकर पानी के साथ आधा चम्मच की फंकी लेने से दस्त बन्द हो जाते हैं।

दस्तों में आंवला का मुरब्बा खाने से लाभ होता है

— ताजा आंवलो का रस चार चम्मच पानी में मिलाकर पिलाने से भी लाभ होता है। सूखा आँवला भिगोकर इसका पानी भी पिला सकते हैं।

— पिसा हुआ आंवला, 10 ग्राम़ पिसी हुई छोटी हरड़ 5 ग्राम, मिला लें। इसकी चौथाई चम्मच प्रतिदिन दो बार पानी के साथ लें। हर प्रकार के दस्तों में लाभ होगा। पाचनशक्ति बढ़ेगी।

— पेचिश, दस्तों में रक्त आता हो तो एक बढ़ा चम्मच पिसा हुआ आंवला एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन तीन बार दस दिन तक सेवन करें।

आंवले से स्मृति शक्ति में वृद्धि

— प्रतिदिन खाली पेट 2 नग ऑवले का मुरब्बा खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर हो जाती है। स्मरण-शक्ति बढ़ाने के लिए प्रतिदिन प्रात: खाली पेट आँवले का मुरब्बा खायें।

— बच्चों को पढ़ाया हुआ याद नहीं रहता, वृध्दावस्था में जिनकी स्मरण-शक्ति कमजोर हो गयी हो, उनके लिए आंवला के मुरब्बे का सेवन लाभकारी है।

वृध्दावस्था के लिए आंवला लाभकारी


वृध्दावस्था में आन्तरिक शक्ति बढ़ाने वाली औषधियों में इस्तमाल किया जाने वाला मुख्य अंश आँवला ही होता है। क्योंकि आंवला में एक रसायन सकसीनिक अम्ल होता है जो बुढ़ापे में होने वाली अनेक शारीरिक समस्याओ को कम करने में सहायक है।