प्रेग्नेंसी के दौरान बनाए इन 8 आहार से दूरी, बच्चे पर पड़ता है बुरा असर

प्रेग्नेंसी का समय किसी भी महिला के लिए बहुत चुनौतियों से भरा रहता है जिसमें आपको अपनी सेहत के साथ ही अपने बच्चे की सेहत का भी ध्यान रखना होता हैं। क्योंकि जो भी चीज मां खाती हैं उसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। ऐसे में जरूरी हो जाता हैं कि आप क्या खा रही हैं उस हर चीज का अच्छे से ध्यान रखा जाए। जी हां, इस दौरान की गई जरा सी लापरवाही होने वाले बच्चे पर भारी पड़ सकती है। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान पौष्टिक और बैंलेस डाइट खाना चाहिए। वहीँ कुछ आहार ऐसे हैं जिनसे दूरी बनाने में ही आपकी भलाई होगी। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे आहार के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हं प्रेग्नेंसी में खाने की बिल्कुल मनाही होती है जबकि कुछ चीजें सीमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...

पपीता

प्रेंग्नेट महिलाओं को पपीता नहीं खाने की सलाह दी जाती हैं। क्योंकि पपीता खाने से मिसकैरेज यानी गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है। बता दें कि पपीता उन महिलाओं को खाने की सलाह दी जाती है जिन्हें पीरियड्स समय पर नहीं होते हैं। पपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराइन कॉनट्रैक्शन शुरू कर देता है। जिसका मतलब है समय से पहले लेबर पेन शुरू हो सकता है।

एलोवेरा जूस

बालों और स्किन के लिए एलोवेरा बहुत अच्छा होता है। यहां तक कि एलोवेरा का जूस पीने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है, लेकिन आपको बता दें कि प्रेगनेंट महिलाओं के लिए एलोवेरा जूस जहर बन सकता है। गर्भावस्था में एलोवेरा जूस लेने से पेल्विक हिस्से से ब्लीडिंग हो सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि आप प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में एलोवेरा जूस का सेवन न करें।

ज्यादा मर्करी वाली मछली

मर्करी बहुत विषैला तत्व है जिसे सुरक्षित नहीं माना जाता है। ये प्रदूषित पानी में पाया जाता है। मर्करी की ज्यादा मात्रा नर्वस सिस्टम, इम्यून सिस्टम और किडनी को खराब कर देती है। इसकी थोड़ी भी मात्रा होने वाले बच्चे के विकास पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। चूंकि, यह प्रदूषित समुद्रों में पाया जाता है, इसलिए बड़ी समुद्री मछलियां मर्करी अधिक मात्रा में जमा कर लेती हैं। इसलिए, प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को मर्करी वाली मछली नहीं खानी चाहिए। ज्यादा मर्करी वाली मछलियों में शार्क, किंग मैकरल, टूना, स्वोर्डफिश, मर्लिन और ऑरेंज रौफी आती हैं।

कच्चा अंडा

प्रेग्नेंट महिलाओं को कच्चा अंडा नहीं खाना चाहिए। कच्चे अंडे में सालमोनेला बैक्टीरिया होता है जिसकी वजह से उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, बुखार आदि हो सकता है। इतना ही नहीं सालोमोनेला बैक्टीरिया बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

अनानास

अनानास बहुत स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से युक्त फल है, लेकिन गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में ये फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। यदि कोई महिला प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनों में अनानास खाती या इसका जूस पीती है तो उसका बच्चा पेट में ही मर सकता है। अनानास में ब्रोमलिन होता है जिससे पेट में संकुचन पैदा होकर मिसकैरेज हो सकता है।

तिल के बीज

गर्भवती महिलाओं को नौ महीनों में तिल के बीज ज्यादा नहीं खाने चाहिए। इसे शहद में मिलाकर खाने से गर्भपात होने का डर रहता है। आप गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में काले तिल के बीज खा सकती हैं क्योंकि ये नॉर्मल डिलीवरी में मदद करते हैं, लेकिन इसी वजह से गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में इनका सेवन करना हानिकारक होता है। अत: अपने आहार में तिल के बीजों को शामिल न करें।

अधपका और प्रोसेस्ड मीट

अधपका मीट भी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए हानिकारक है। इसे खाने से टोक्सोप्लाज्मा, लिस्टेरिया और सैल्मोनेला जैसे कई तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकते हैं। ये होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे बच्चे को गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी हो सकती है। अधिकांश बैक्टीरिया मांस के ऊपर जबकि कुछ मीट के अंदर पाए जाते हैं। इन मीट को कभी कच्चा या अधपका नहीं खाना चाहिए। पैटीज और बर्गर वाले प्रोसेस्ड मीट खाने से बचें। स्टोरेज में रखने के दौरान इनमें कई तरह के संक्रमण हो जाते हैं।

कैफीन

ज्यादातर लोगों को कॉफी पीना बहुत पसंद होता है लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को कैफीन का सेवन बहुत कम मात्रा में करने की सलाह दी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्रेग्नेंट महिलाओं को एक दिन में 200 mg से कम कैफीन लेना चाहिए। कैफीन शरीर में बहुत जल्दी घुल कर प्लेसेंटा तक पहुंच जाता है। गर्भ में पल रहे बच्चे में मेटाबॉलिज्म एंजाइम नहीं होता है जिसकी वजह से उसको नुकसान पहुंच सकता है। प्रेग्नेंसी में ज्यादा कैफीन लेने से बच्चे का वजन और विकास रुक सकता है।