कुछ आहार के लिए कहा जाता हैं कि उन्हें कच्चा खाया जाए तो अच्छा हैं क्योंकि इससे ज्यादा पोषण मिलता हैं। लेकिन कई बार यह अच्छी आदत बैक्टीरिया की वजह से परेशानी का कारण बन सकती हैं और फूड पॉइजनिंग की समस्या खड़ी हो सकती हैं। खाने की कुछ चीजों में उपस्थित जहरीले तत्व फूड पॉइजनिंग का शिकार बनाते हैं जिसमें पेट में खूब दर्द उठता है और लंबे समय तक तबियत खराब बनी रहती हैं। सभी चीजों को बनाने और खाने का तरीका अलग-अलग होता है। ऐसे में आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे आहार की जानकारी देने जा रहे हैं जो फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते है। आइये जानते हैं इनके बारे में...
चिकन या लाल मांस
कच्चा और अधपका मांस या चिकन आपको बीमार कर सकते हैं। अधिकांश कच्चे मुर्गे में कैम्पिलोबैक्टर होता है। इसमें साल्मोनेला, क्लोस्ट्रीडियम परफिरिंगेंस और अन्य बैक्टीरिया भी हो सकते हैं। कच्चे मांस में साल्मोनेला, ई। कोलाई, यर्सिनिया और अन्य बैक्टीरिया हो सकते हैं। इन्हें बनाने पहले आपको अच्छी तरह धोना चाहिए और पकाते समय कच्चा नहीं छोड़ना चाहिए।
आटा
ध्यान रखें कि कभी भी कच्ची रोटी न खाएं या आटे का हलवा बनाएं तो उसकी सिंकाई बहुत अच्छे ढंग से की गई हो। आटा कई सारे जीवाणुओं के संपर्क में आता है। ये सारे जीवाणु आग के संपर्क में आने से नष्ट हो जाते हैं इसलिए आटे को कभी भी कच्चा न रखें। आटे से बने भोजन को पकाने से जीवाणु मर जाते हैं। कच्चा आटा खाते ही कई बार पेट में दर्द उठने जैसी समस्याएं शुरु हो जाती है, जो कि आगे चलकर बड़ा रुप ले लेती है। इसलिए आपको कभी भी कच्चा आटा नहीं चखना चाहिए।
फल और सब्जियां
ताजे फल और सब्जियां खाने से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, लेकिन कभी-कभी कच्चे फल और सब्जियां साल्मोनेला, ई कोलाई और लिस्टेरिया जैसे हानिकारक कीटाणुओं से खाद्य विषाक्तता का कारण बन सकती हैं। ताजे फल और सब्जियां खेत से घर तक की यात्रा के दौरान कहीं भी दूषित हो सकती हैं। इन्हें पकाने से पहले अच्छी तरह धोएं और अधपका न छोड़ें।
कच्चे चावल
घरों में कई सारे लोगों को चलते- फिरते कच्चे चावल खाने की आदत लगी होती है। इस आदत का कोई लाभ तो नहीं होता है लेकिन नुकसान जरूर होते हैं। बड़ों को देखकर बच्चे भी यह चीजें सीख जाते हैं। घर में जब चावल पकाएं तो पानी की मात्रा हमेशा सही रखें ताकि चावल कच्चे न रह जाएं। कच्चे चावल पेट को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
अंडे
अंडे में साल्मोनेला नामक एक जर्म हो सकता है जो आपको बीमार कर सकता है। भले ही अंडा साफ और बिना फटा दिखे लेकिन ऐसा हो सकता है। कच्चे या अधपके अंडे से रेसिपी तैयार करते समय पास्चुरीकृत अंडे और अंडे के उत्पादों का उपयोग करें। अंडे को तब तक पकाएं जब तक कि जर्दी और सफेद हिस्सा सख्त न हो जाएं।
कच्चा राजमा
कई बार जब घर में राजमा-चावल बनता है तो राजमे को पहले भिगोया जाता है और इसी बीच यदि आप इसका सेवन करते हैं तो यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है। राजमे में मौजूद फाइटोमेगलगुटिन टॉक्सिन शरीर में फूड पॉइजनिंग पैदा कर सकता है इसलिए हमेशा पका हुआ राजमा ही खाएं। ऐसे चलते- फिरते भिगोये हुए राजमे का सेवन न करें।
दूध
कच्चे दूध के वैसे तो कई सारे फायदे हैं। कच्चे दूध को त्वचा पर लगाने से चेहरे पर अच्छा निखार आता है। लेकिन कच्चे दूध का सेवन करना हानिकरक साबित होता है। कच्चा दूध हानिकारक कीटाणुओं से भरा हो सकता है, जिनमें कैम्पिलोबैक्टर, क्रिप्टोस्पोरिडियम, ई। कोलाई, लिस्टेरिया और साल्मोनेला शामिल हैं। दूध जब गर्म किया जाता है तो यह दोनों ही जीवाणु नष्ट हो जाते हैं इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि दूध गर्म करने के बाद ही पिएं।
ऐसे रखें फूड पॉइजनिंग में अपना ध्यान
पानी की कमी न होने दे
फूड पॉइजनिंग के प्रभाव से लडऩे के लिए शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा कम नहीं होने देना चाहिए। उल्टी और दस्त लगने से शरीर में पानी की कमी की समस्या हो सकती है। ऐसे में पानी और इलेक्टोलाइट्स वाले स्पोट्र्स ड्रिंक्स का भरपूर सेवन करना चाहिए।
हल्का खाएं
इस मौसम में कम और शुद्ध खाना ही सबसे बेहतर उपाय है। पेट खराब होने पर कम फैट और कम फाइबर वाली चीजों का सेवन करें। अत्यधिक फैट को पचाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में केला, चावल, आलू, शहद, सिरेल्स आदि का सेवन करना चाहिए।
इन चीजों से करें परहेज
गरिष्ठ या पचने में समय लेने वाली चीजें ना लें। अल्कोहॉल, कैफीन, मसालेदार भोजन, डेयरी प्रोडक्ट्स से दूरी बनाए रखें। दही का सेवन करने से शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ती है। इससे डाइजेस्टिव और इम्यून सिस्टम फिर से अपने टै्रक पर आ जाता है।