माइग्रेन को ट्रिगर करने का काम करती हैं ये चीजें, जानें और रहें सतर्क

स्वास्थ्य की एक सामान्य समस्या है माइग्रेन जिससे आबादी का एक बड़ा हिस्सा परेशान है। माइग्रेन एक ऐसा दर्द है जो तीव्र होता है एवं बार-बार होता है, और यह आमतौर पर सिर के एक ही तरफ होता है। यह दर्द तब होता है जब मस्तिष्क की ट्राइजेमिनल नसें उत्तेजित होती हैं। ये सिरदर्द 4-72 घंटे तक बना रह सकता है। इससे बचाव का उपाय हैं उन कारणों और आदतों को पहचानना जो माइग्रेन को ट्रिगर करने का काम करती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको रोजमर्रा से जुड़ी उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी वजह से माइग्रेन का दर्द उठने लगता हैं। इन्हें जानकर आपको सतर्क होने की जरूरत हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

तनाव

आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में लोगों में तनाव का स्तर अधिक बढ़ गया है। तनाव या चिंता से माइग्रेन की समस्या अधिक बढ़ सकती है।माइग्रेन में तनाव की भूमिका पर बहुत शोध करा गया है और यह साबित हुआ है कि तनाव कई लोगों में माइग्रेन को ट्रिगर करता है। बहुत से लोग रिपोर्ट करते हैं कि उनका पहला माइग्रेन का दौरा उनके जीवन की किसी बड़ी तनावपूर्ण घटना के बाद हुआ था, जैसे कि तलाक या किसी की मृत्यु। तनाव माइग्रेन के हादसे को बदतर बना सकता है या इस से माइग्रेन लंबे समय तक या अधिक बार हो सकता है। कभी-कभी बहुत तनावपूर्ण स्थिति से निपटने के तुरंत बाद माइग्रेन हो सकता है, यानी कि स्थिति से निपटने के कारण शरीर में कोर्टिसोल का स्तर का तेजी से बदलना और स्थिति से उत्पन्न तनाव का अचानक गिरना।

नींद पूरी न होना

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, सेहतमंद रहने के लिए एक दिन में कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लेना जरुरी है। नींद पूरी ना होने के कारण माइग्रेन की समस्या बढ़ सकरी है। इसलिए दिन में सोने से बचें और कोशिश करें कि आप रात में पूरी नींद लें।

शोर-शराबा

कई बार तेज लाइट या शोरगुल भी माइग्रेन के दर्द को ट्रिगर कर सकता है। ऐसे में एक शांत माहौल सिरदर्द में आपके लिए बाम की तरह काम कर सकता है। माइग्रेन का अटैक पड़ने पर घर में ऐसी जगह ढूंढें जहां शांति हो। आप किसी पब्लिक लाइब्रेरी या शांत माहौल वाली जगहों पर भी जा सकते हैं।

मेंस्ट्रुअल साइकिल

पुरुषों की तुलना में महिलाएं माइग्रेन का शिकार होती हैं। कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि महिलाओं के माइग्रेन में मेंस्ट्रुअल साइकिल की खास भूमिका हो सकती है। दरअसल कुछ महिलाओं को माइग्रेन का दर्द पीरियड्स के दौरान ही होता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि पीरियड्स के दौरान प्रोजेस्टेरॉन और एस्टेरॉजेन नाम के हार्मोन्स के लेवल में उतार-चढ़ाव भी माइग्रेन के दर्द को ट्रिगर कर सकता है। इस बारे में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

चीनी का अधिक सेवन

ज़्यादा शुगर वाले फूड्स से भी माइग्रेन के दर्द का खतरा बढ़ सकता है। मिठाई, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक, बेकरी प्रोडक्ट्स आदि ऐसे फ़ूड प्रोडक्ट्स जिनमें शुगर की मात्रा अधिक होती है, उन्हें अपनी डाइट से दूर रखें।

खाली पेट रहना

अगर आप ज्यादा देर तक खाना नहीं खाते हैं तो एसिडिटी की समस्या होने लगती है। पेट में गैस से भी माइग्रेन का दर्द बढ़ने का खतरा रहता है। इसलिए ज़्यादा देर खाली पेट ना रहें और नियमित अंतराल पर भोजन लेते रहें।

ज्यादा कैफीन

मस्तिष्क पर कैफीन का असर क्या है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कितनी बार लेते हैं। कभी-कभार सेवन करते हों तो कॉफी तीव्र सिरदर्द से कुछ मामूली राहत दे सकता है। परन्तु बार-बार कैफीन लें तो मस्तिष्क इस का आदी हो सकता है, और ऐसी स्थिति में कॉफी लेने से माइग्रेन के हमले के समय फायदा नहीं होता हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि माइग्रेन पीड़ितों की समस्या तब और बढ़ गई जब उन्होंने अचानक कैफीन का सेवन बंद कर दिया। इसलिए बंद करने से पहले कॉफी का सेवन कम मात्रा में करें।

बदलते मौसम में लापरवाही

चिलचिलाती धूप हो या कड़ाके की ठंड, दोनों ही माइग्रेन के लिए हानिकारक हैं। इसलिए आपको ऐसे मौसम में थोड़ा सावधान रहना होगा। ऐसे मौसम में व्यायाम और सही खानपान से माइग्रेन को दूर रखा जा सकता है।

व्यायाम

नियमित रूप से मध्यम स्तर का शारीरिक व्यायाम से माइग्रेन में फायदा होता है। पर ज़ोरदार व्यायाम माइग्रेन के लिए एक ट्रिगर माना जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने शरीर की आवश्यकताओं के आधार पर अपने व्यायाम के प्रकार चुनें और अपना व्यायाम प्रोग्राम बनाएं। व्यायाम से पहले पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ भोजन करना आवश्यक है। सुनिश्चित करें कि आप व्यायाम के दौरान और उस से पहले और बाद में निर्जलित नहीं हैं। व्यायाम से पहले वार्म-उप और स्ट्रेचिंग करें, ज़ोरदार व्यायाम न करें और ऊंचाई पर या अधिक गर्मी और नमी वाली स्थितियों में व्यायाम न करें।