ना करें इन 5 आहार को कच्चा खाने की गलती, सेहत को होगा बड़ा नुकसान

स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ आहार होना बहुत जरूरी हैं। इसके लिए लोग अपने आहार में कई ऐसी चीजों को शामिल करते हैं जो सेहत के लिए लाभकारी होती हैं। लेकिन अधूरी जानकारी के चलते कई बार सेहतमंद चीज भी नुकसान पहुंचा सकती है। जी हां, हर आहार को खाने का एक सही तरीका होता हैं जिससे वह शरीर को उचित पोषण दे पाए। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे आहार की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें लोग कच्चा खाने की गलती कई बैठते हैं और सेहत को नुकसान झेलना पड़ता है।

कसावा

इसमें साइनाइड नामक तत्व होता है, जो इसे कीड़ें लगने से बचाता है। ऐसे में इसे कच्चा खाने से शरीर के लिए नुकसावनदायक हो सकता है। अगर आप इसे खाना ही चाहते हैं तो पहले इसे अच्छे से धोएं। फिर पकाकर ही खाए।

अंडा

हाई रिच प्रोटीन से भरपूर अंडे को ज्यादातर लोग नाश्ते में खाना पसंद करते हैं। पौष्टिक गुणों से भरा होने के चलते इसके सेवन से शरीर को काफी लाभ मिलते हैं। मगर इसे अच्छे से पकाकर ही खाना चाहिए। अगर कहीं इसे कच्चा खाया जाए तो इससे पेट में दर्द, गड़बड़ी साथ ही इससे जुड़ी अन्य बीमारियों के लगने का खतरा बढ़ता है।

राजमा

किडनी बींस यानि राजमा में कलप्रिट नाम का एक विषैला पदार्थ पाया जाता है। ऐसे में इसे कच्चा खाने से पेट में दर्द, सूजन, सिरदर्द, मतली, जी- मचाला व उल्टी आने की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए इसे खाने से पहले हमेशा 4-5 घंटे भिगोकर या उबाल कर ही सेवन करना चाहिए।

हरा आलू

अगर कहीं आलू के ज्यादा धूप लग जाए तो उसका कुछ भाग हरे रंग में बदल जाता है। इसतरह के आलू में सोलेनाइन नाम का केमिकल बनता है। ऐसे में इसे आलू को कच्चा खाने की जगह पकाकर खाने में ही भलाई नहीं तो शरीर में कमजोरी, थकान, सिर में दर्द, मतली होने के साथ पेट से संबंधित शिकायतें हो सकती है। अगर आप अपने आलू को हरा होने से बचाना चाहते हैं तो इसके लिए उसे हमेशा ठंडे स्‍थान पर ही रखें। साथ ही जितना हो सके हरे आलू को खाने से परहेज रखें।

चिकन

अगर आप भी चिकन को कच्चा खाते हैं तो अपनी इस आदत को आज ही बदल लें। इसे कच्चा खाने से पेट की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में पेट में बैक्टीरिया पनपने की परेशानी हो सकती है। साथ ही यह परेशान आगे बढ़कर आपको फूड प्‍वॉयजनिंग का शिकार बना सकती है। इससे बचने के लिए चिकन को हमेशा अच्छे से साफ कर और पकाकर ही खाए। इसे पकाने का तापमान 165 डिग्री रखने पर इसमें पाएं जाने वाले सभी बैक्टीरिया मर जाते हैं।