पूरी दुनिया में जारी कोरोनावायरस महामारी का कहर समय के साथ बढ़ता ही जा रहा हैं। देश में कोरोना के मामले 52 हजार के पार कर गए, वहीँ दुनिया भर में यह आंकड़ा 40 लाख के करीब पहुँचने को हैं। ऐसे में समय रहते इसका इलाज होना बहुत जरूरी है। हांलाकि इटली द्वारा दावा किया गया हैं कि इसकी वैक्सीन ढूँढ ली गई हैं जिसकी सत्यता होना अभी बाकि हैं। ऐसे में दो शब्द इसके इलाज में सामने आते हैं दवा और वैक्सीन। कई लोग इसे एक ही मानते हैं जबकि ये दोनों अपना अलग-अलग महत्व रखती हैं।
वैक्सीन वैक्सीन किसी भी बीमारी से बचाव का एक ऐसा तरीका है, जिसकी मदद से व्यक्ति में शुरुआत से ही बीमारी के प्रति इम्यूनिटी विकसित की जाती है। वैक्सीन की मदद से सुनिश्चित किया जा सकता है कि भविष्य में संबंधित बीमारी दोबारा न हो। इसके लिए लोगों को वैक्सीन दिया जाता है, जो शरीर में इसके प्रति इम्यूनिटी विकसित कर देता है। यानी कि वैक्सीन एक लंबे समय तक बचाव का तरीका है। वैक्सीन आमतौर पर इंजेक्शन के जरिए शरीर में डायरेक्ट इंजेक्ट करके दी जाती है।
दवादवाई इलाज का एक तरीका है। दवाई तब दी जाती जब व्यक्ति को वो संबंधित बीमारी हो जाती है। दवाईयां कई तरह से होती है। खाने वाली, पीने वाली, सुई से इंजेक्ट की जाने वाली और नाक के अंदर से डालने वाली। वहीं दवाई खाकर ठीक होने के बाद इस बात का भरोसा नहीं दिलाया जा सकता कि व्यक्ति को ये बीमारी दोबारा नहीं होगी। यानी दवाई एक दम से शरीर पर काम तो कर जाती है, पर वक्त बीतने के साथ शरीर पर इसका असर घटने लगता है।
कोरोनावायरस के इलाज में कौन है ज्यादा कारगार?
कोरोना के इलाज में फिलहाल हम न तो दवा खोज पाए हैं, न वैक्सीन। पर अब बात ये आती है कि कोरोना की वैक्सीन ज्यादा कारगार तरीका है बीमारी से बचने का या कोराना की दवाई ज्यादा जरूरी है? तो ऐसे में आ वैक्सीन और दवाईयों के काम के तरीके को ध्यान में रख कर इसका सही उत्तर समझा जा सकता है। वैक्सीन पूरी दुनिया को कोरोना से बचाने के लिए जरूरी है और दवाई कोरोना पीड़ितों को ठीक करने के लिए जरूरी है।