कोरोना को लेकर लगातार रिसर्च की जा रही है ताकि इसके बारे में जान इससे होने वाले नुकसान का सही आंकलन किया जा सकें। ऐसी ही एक रिसर्च में सामने आया हैं कि वायरस फेफड़ों के साथ-साथ हृदय को भी बहुत नुकसान पहुंचा रहा हैं। अध्ययन से पता चला है कि लगभग 50 फीसदी मरीज, जो गंभीर कोविड-19 लक्षणों के कारण अस्पताल में भर्ती हैं, उनमें कोरोना के कारण ट्रोपोनिन नामक प्रोटीन का स्तर बढ़ जाता है जो दिल को नुकसान पहुंचाता है। यह अध्ययन लंदन के छह अस्पतालों में भर्ती हुए 148 कोरोना मरीजों पर किया गया। इस अध्धयन को यूरोपियन हार्ट जर्नल नामक पत्रिका में गुरुवार को प्रकाशित किया गया था।
अध्ययन के मुताबिक, मरीजों के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के एक महीने बाद एमआरआई स्कैन से हृदय के नुकसान का पता चला था। इस नुकसान में हृदय की मांसपेशियों की सूजन, दिल के ऊतकों का झुलस जाना, हृदय को रक्त की आपूर्ति नहीं होना शामिल हैं। इसमें यह पाया गया कि उनमें ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ गया था, जो हृदय की संभावित समस्या का संकेत दे रहा था। कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती हुए कई मरीजों में गंभीर बीमारी के दौरान ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया।
कुछ साल पहले अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी की पत्रिका में एक शोध रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसके लेखकों में से एक प्रोफेसर डेविड न्यूबाय ने बताया था कि ट्रोपोनिन दिल के स्वास्थ्य के एक पैमाने की तरह है। अगर ये बढ़ता है तो दिल संबंधी समस्याएं बढ़ने का खतरा रहता है और अगर ये कम होता है, तो ये अच्छा है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर मारियाना फोंटाना कहते हैं, 'बढ़ा हुआ ट्रोपोनिन का स्तर कोविड-19 के मरीजों में बदतर परिणामों से जुड़ा हुआ है। गंभीर कोविड-19 रोग वाले मरीजों में अक्सर हृदय संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, जिनमें मधुमेह, रक्तचाप और मोटापा शामिल हैं।' वह इस नए अध्ययन के मुख्य शोधकर्ताओं में से एक हैं। प्रोफेसर मारियाना फोंटाना के मुताबिक, 'हालांकि गंभीर कोविड-19 संक्रमण के दौरान हृदय भी सीधे प्रभावित हो सकता है। हृदय कैसे क्षतिग्रस्त हो सकता है, इसे समझना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन दिल का एमआरआई स्कैन नुकसान के विभिन्न पैटर्न की पहचान जरूर कर सकता है, जो हमें अधिक सटीक निदान करने और उपचारों को अधिक प्रभावी बनाने में सक्षम बना सकता है।'