ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का कोरोना वैक्सीन ट्रायल, देश के इन शहरों में यह रहेगी प्रक्रिया

देश और दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा हैं और इससे होने वाली मौतों के आंकड़ो में भी लगातार इजाफा होता जा रहा हैं। इसको लेकर सभी कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं और दुनियाभर में इसको लेकर ट्रायल किए जा रहे हैं। ब्रिटेन, रूस, अमेरिका और चीन से भी वैक्सीन को लेकर अच्छी खबरें आ रही हैं। सबसे ज्यादा सफलता ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तैयार वैक्सीन की मानी जा रही हैं जिसका अब देशभर में बड़े स्तर पर ट्रायल होना हैं।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन का उत्पादन भारत में भी होना है। अग्रणी वैक्सीन निर्माता भारतीय कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया इसका उत्पादन करेगी। लेकिन इससे पहले देश में वैक्सीन का ट्रायल भी होना है। बताया जा रहा है कि अगस्त में इस वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल शुरू किया जाएगा और इसको लेकर सीरम इंडिया की ओर से तैयारी भी तेजी से चल रही है।

खबरों के मुताबिक, ह्यूमन ट्रायल के लिए मुंबई और पुणे के हॉटस्पॉट से 4,000 से 5,000 वॉलेंटियर्स का चयन किया जाएगा। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को उम्मीद है कि इस साल अक्तूबर-नवंबर तक कोविड की वैक्सीन तैयार कर ली जाएगी। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अदार पूनावाला ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह जानकारी दी है।

दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में से एक सीरम इंस्टिट्यूट ने बायोफार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ प्रयोग के आधार पर इस वैक्सीन के उत्पादन के लिए साझेदारी की है। इसके अलावा कंपनी खुद की न्यूमोकोकल वैक्सीन भी विकसित कर रही है, जिसके लिए भारतीय औषधि महानिदेशक (DGCI) से अनुमति मिली है।

कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि भारत में अगले चरण का परीक्षण अगस्त के मध्य में शुरू हो सकता है। खबरों के मुताबिक, पूनावाला ने बताया कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की वैक्सीन ने शुरुआती चरणों के परीक्षण में उत्साहवर्धक नतीजे दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगले चरण का परीक्षण भारत में बड़े पैमाने पर होगा, जबकि अक्टूबर-नवंबर तक वैक्सीन तैयार हो जाएगी।

पूनावाला ने कहा कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और सरकार एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगी, ताकि वैक्सीन तैयार होने के बाद उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा सके। पूर्व में वह बता चुके हैं कि देश में बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीन की डोज तैयार की जाएगी। साथ ही यह भी कहा था कि उत्पादन का आधा हिस्सा भारत के लिए होगा।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला ने मीडिया को बताया है कि इस वैक्सीन के उत्पादन के लिए एक झटके में 200 मिलियन डॉलर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि ये कारोबारी फैसला जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन इसकी जरूरत को देखते हुए यह फैसला किया गया है।

मालूम हो कि इसी हफ्ते मेडिकल जर्नल लांसेट मेडिकल जर्नल में वैक्सीन के ट्रायल के परिणाम प्रकाशित हुए हैं, जिसमें कहा गया है कि वैक्सीन के ट्रायल के दौरान अच्छी प्रतिक्रिया मिली और यह किसी भी गंभीर साइड इफेक्ट का संकेत नहीं दे रहा है। वैक्सीन से एंटीबॉडी और टी सेल्स बन रही है, जो कोरोना से लड़ने में कारगर है।

अनुमानतः इस वैक्सीन की कीमत 1000 रुपये हो सकती है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि देश में सरकार ही वैक्सीन खरीद कर लोगों को टीकाकरण अभियान के जरिए नि:शुल्क उपलब्ध कराएगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक टीकाकरण नहीं किया जाता है, तबतक इस महामारी के खतरे की आशंका बरकरार रहेगी।