क्या सच में 15 फीसदी आबादी के संक्रमित होने के बाद कोरोना खो देगा अपनी ताकत?

दुनियाभर में कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण चिंता का विषय बना हुआ है जो कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। समय के अनुसार संक्रमितों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा हैं। ऐसे में दुनियाभर के वैज्ञानिकों द्वारा इसकी वैक्सीन के लिए मेहनत की जा रही हैं। लंबे समय से कोरोना पर नियंत्रण के लिए 'हर्ड इम्यूनिटी' पर भी चर्चा की गई थी। लेकिन अधिकतर विशेषज्ञों द्वारा इस पर आशंका जताई गई थी। हर्ड इम्यूनिटी में महामारी पर नियंत्रण के लिए 60 से 70 फीसदी आबादी के संक्रमित होना जरूरी बताया जाता है। लेकिन एक नए शोध अध्ययन में 10 से 15 फीसदी आबादी का संक्रमित होना भी वायरस पर नियंत्रण के लिए काफी हद तक कारगर बताया जा रहा है।

अबतक माना जा रहा था कि 60 से 70 फीसदी आबादी संक्रमण की चपेट में आए तो लोगों में हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक प्रतिरक्षा विकसित हो सकती है। लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक शोध अध्ययन में पाया है कि 10 से 15 फीसदी आबादी भी संक्रमित हो गई तो कोरोना वायरस अपनी ताकत खो देगा। लेकिन क्या वाकई यह वायरस पहले की अपेक्षा कमजोर हो रहा है?

इस शोध अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्वीडन का उदाहरण दिया है। कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए जब दुनियाभर के कई सारे देश लॉकडाउन लगा रहे थे, सख्त पाबंदियां लागू की जा रही थी, तब स्वीडन ने वैसा कुछ नहीं किया। वहां दुकानें, रेस्त्रां, बार और बाजार सब खुले रहे। परिणाम यह हुआ कि स्वीडन में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से फैला। शुरुआत में बड़ी संख्या में लोगों की मौतें भी हुई। हालांकि, बाद में मौतों की संख्या घटने लगी।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, हाल के दिनों में वहां रोजाना करीब 100 मामले रोज आ रहे हैं और पांच से भी कम लोगों की मौतें हो रही हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, लोगों में इम्यूनिटी विकसित हो गई, इसलिए आंकड़ा घट रहा है। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में वायरस कमजोर पड़ जाता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब स्वीडन में 7.3 फीसदी आबादी तक संक्रमण फैला तो देश में 5,280 मौतें हुई थीं लेकिन 14 फीसदी आबादी तक संक्रमण आते-आते मौतें काफी कम हो गईं। इस आधार पर शोधकर्ताओं को कहना है कि 10 से 15 फीसदी तक संक्रमण फैलने पर वायरस अपनी ताकत खो देता है और उतना जानलेवा नहीं रह जाता है।

स्वीडन में सामने आई हर्ड इम्यूनिटी के कारगर होने की बात स्पेन में लागू नहीं हुई। यूरोपीय देश स्पेन कोरोना से बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ। स्पेन में मात्र पांच फीसदी लोगों में इम्यूनिटी विकसित हुई, जबकि 95 फीसदी लोग इस वायरस के प्रति अतिसंवेदनशील पाए गए हैं। ये परिणाम बताते हैं कि केवल हर्ड इम्यूनिटी के बल पर कोरोना वायरस संक्रमण पर नियंत्रण संभव नहीं है।