कई शोध में सामने आया है कि कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर पुरुषों में देखा गया है। महिलाओं के मुकाबलें पुरुषों की मौत इस वायरस से ज्यादा हुई हैं। अब एक नए शोध में सामने आया है कि इस वायरस की वजह से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन स्तर भी कम हो रहा है, ये शोध जर्मनी के University Medical Center Hamburg-Eppendorf के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है।
Science Times में छपी रिपोर्ट के अनुसार, ये शोध 45 कोरोना वायरस के मरीजों पर की गई थी, जिनमें 35 पुरुष और 10 महिलाएं शामिल थीं। ये सभी मरीज ICU में भर्ती थे। इनमें से 9 पुरुषों और 3 महिलाओं की मौत इस वायरस की वजा से हो गई है। जबकि 7 मरीजों को ऑक्सीजन और 33 मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत महसूस हुई।
35 पुरुषों में से, दो तिहाई से अधिक लगभग 69% पुरुषों में सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम था। ये सेक्स हार्मोन शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाको नियंत्रित करने में मदद करता है। वहीं इस शोध में शामिल 60% महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर ज्यादा पाया गया।
आपको बता दे, पर्याप्त हार्मोन के बिना शरीर का इम्यून सिस्टम सही तरीके से काम नहीं कर पाता है, जिससे जानलेवा साइटोकिन स्टॉर्म (Cytokine Storm) का खतरा बढ़ जाता है। इम्यून सिस्टम जब किसी रोगाणु को मारने की कोशिश करता है तो टेस्टोस्टेरोन की कमी से इस प्रक्रिया में बाधा आ जाती है, जिसकी वजह से साइटोकिन स्टॉर्म (Cytokine Storm) हो जाता है। हार्मोन का निम्न स्तर पुरुषों में इम्यून रिस्पॉन्स (Immune Response) को नियंत्रित नहीं कर पाता है, वहीं स्टडी के अनुसार महिला मरीजों में इसकी उच्च मात्रा की वजह से बढ़ा हुआ इंफ्लेमेशन (जलन) देखा गया। हैम्बर्ग के Leibniz Institute for Experimental Virology के प्रोफेसर गुल्साह गेब्रियल ने डेली मेल को बताया, 'जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य होता है उनमें साइटोकिन स्टॉर्म नहीं होता है और उनके जिंदा रहने की संभावना अधिक होती है।
प्रोफेसर गेब्रियल ने कहा, 'पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने की वजह से कोरोना वायरस का खतरा गंभीर रूप से हो सकता है और साइटोकिन स्टॉर्म की वजह से यह कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है।
Northwestern University के शोधकर्ता अली दानेशखाह ने कहा, 'कोरोना वायरस के ज्यादातर मरीज सिर्फ फेफड़े खराब होने की वजह से ही नहीं बल्कि इम्यून सिस्टम में आई गड़बड़ी की वजह से भी मर रहे हैं।'
Science Times के अनुसार, कुछ पुरुष पैदाइशी हाइपोगोनाडिज्म (Hypogonadism) के शिकार होते हैं, इस स्थिति में शरीर में पर्याप्त मात्रा में टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) नहीं बन पाता है, जबकि कुछ पुरुषों में यह काफी बाद में विकसित होना शुरू होता है। आमतौर पर किसी संक्रमण या चोट का शिकार हुए पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) देर से बनना शुरू होता है। कुछ मामलों में इसका इलाज टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Testosterone Replacement Therapy) से किया जा सकता है।